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जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन पर कांग्रेस में हुई डील,अल्ताफ बुखारी होंगे?

locationजम्मूPublished: Nov 21, 2018 07:31:43 pm

Submitted by:

Prateek

जानकरों की माने तो भारतीय जनता पार्टी और राज्य में उभरते रहे सज्जाद लोन के “तीसरा मोर्चा” को रोकने के लिए सब ने साथ आने का फैसला किया है…

(पत्रिका ब्यूरो,जम्मू): जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक बार फिर नई सुगबुगाहट शुरू हुई है। सरकार के गठन को लेकर महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और कांग्रेस एक साथ आ सकती है जबकि राज्य की सियासत में धुर विरोधी मानी जाने वाली उमर अबदुल्ला की अध्यक्षता वाली नेश्नल कॉन्फ्रेंस (एनसी) पीडीपी का साथ दे सकती है।


जानकरों की माने तो भारतीय जनता पार्टी और राज्य में उभरते रहे सज्जाद लोन के “तीसरा मोर्चा” को रोकने के लिए सब ने साथ आने का फैसला किया है। रियासत में पीडीपी-कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनाने के लिए जोड़तोड़ शुरू हो गई है। इसे नेशनल कांफ्रेंस की ओर से समर्थन दिए जाने की भी चर्चा है। दोनों पार्टियों ने वर्ष 2002 व 2007 में भी मिलकर सरकार बना चुकी हैं। वर्तमान विधानसभा में पीडीपी के पास 28, नेकां के पास 15 तथा कांग्रेस के पास 12 विधायक हैं। ये तीनों यदि मिल गए तो बहुमत के लिए आवश्यक आंकड़ा यानी 44 का जादुई संख्या बल आसानी से हासिल हो जाएगा। जबकि भाजपा के पास 25 विधायक हैं।


नेकां के सूत्रों ने बताया कि पार्टी गठबंधन में शामिल होने की इच्छुक नहीं है, लेकिन पीडीपी-कांग्रेस को बाहर से समर्थन देने से परहेज नहीं है। यदि ऐसा गठबंधन अस्तित्व में आता है तो महबूबा को छोड़कर पीडीपी का कोई वरिष्ठ नेता सरकार का नेतृत्व कर सकता है। यदि धुर विरोधी पीडीपी और नेकां एक फ्रंट पर आते हैं तो यह रियासत की सियासत के लिए काफी महत्वपूर्ण होगा।


सूत्रों ने साथ ही बताया कि तीनों दलों की बैठक में मुख्यमंत्री पद के लिए अल्ताफ बुखारी के नाम पर सहमति बनी है। उन्होंने बताया कि तीनों पार्टियों के नेता जल्द ही राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे। वहीं अल्ताफ बुखारी ने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा, ‘तीनों पार्टी के नेताओं ने नीतिगत आधार पर गठबंधन का फैसला किया है| फिलहाल मैं इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दे सकता।


कांग्रेस-पीडीपी-एनसी गठबंधन पर कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हम पार्टियों का ये कहना था कि क्यों ना हम इक्ट्ठे हो जाये और सरकार बनाए। अभी वो स्टेज सरकार बनाने वाली नहीं है। एक सुझाव के तौर अभी बातचीत चल रही है।


वर्ष 2014 में जब किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए जरूरी आंकड़ा नहीं मिला था तो नेकां ने पीडीपी को समर्थन की पेशकश की थी, लेकिन पीडीपी ने इसकी अनदेखी करते हुए भाजपा के साथ हाथ मिला लिया था।


20 जुलाई 2018 को रियासत में गठबंधन सरकार गिरने के बाद पीपुल्स कांफ्रेंस के सज्जाद गनी लोन ने पीडीपी के नाराज नेताओं से भाजपा संग गठबंधन के लिए संपर्क साधा था। इनमें पूर्व मंत्री इमरान रजा अंसारी भी थे। हाल ही में श्रीनगर नगर निगम के मेयर के रूप में नेकां के मुख्य प्रवक्ता रहे जुनैद मट्टू को पदस्थापित कराने में लोन सफल रहे।


बता दें कि राज्य में भारतीय जनता पार्टी और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी गठबंधन टूटने के बाद फिलहाल राज्यपाल शासन लागू है। आगामी 19 दिसंबर को राज्यपाल शासन की 6 महीने की मियाद पूरी हो रही है और इसे और अधिक बढ़ाया नहीं जा सकता है। बताया जा रहा है कि आज- कल में इन तीनों दलों का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश कर सकता है। इस बीच, पीडीपी में मुजफ्फर हुसैन बेग व उनके कुछ करीबियों को संगठन से बाहर करने की प्रक्रिया पर मंथन चल रहा है। लेकिन पार्टी प्रमुख महबूबा मुफ्ती चाहती हैं कि उनके साथ संवाद और समन्वय बना, उन्हें संगठन में ही बनाए रखा जाए।


सईद अल्ताफ बुखारी ने कही ये बात

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सईद अल्ताफ बुखारी ने पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस द्वारा मिलकर सरकार बनाने के संकेत देते हुए कहा कि धारा 35ए और धारा 370 समेत राज्य की विशिष्ट पहचान काे यकीनी बनाए रखने के लिए मिलकर चलने का फैसला हुआ है। अलबत्ता, अगली सरकार के गठन पर कोई स्पष्ट जवाब देने से बचते हुए कहा कि पीडीपी, कांग्रेस व नेंका के वरिष्ठ नेता आपस में संपर्क में हैं, जैसे हालात होंगे उसी तरह फैसला लेकर आगे बढ़ा जाएगा।


भाजपा के पास 25 और सज्जाद गनी लोन के पास दो विधायक हैं, जबकि सरकार बनाने के लिए 44 विधायक चाहिए। उन्हें सरकार बनाने के लिए पीडीपी के कुछ विधायकों का साथ चाहिए और पीडीपी में इस समय अंतर्कलह जोरों पर है। नेशनल कांफ्रेंस में भी दो से तीन विधायक शीर्ष नेतृत्व से कथित तौर पर नाराज हैं।


सूत्रों की मानें तो भाजपा को फिर से राज्य में सरकार बनाने से रोकने और अपने दल में विभाजन रोकने के लिए नेशनल कांफ्रेंस, कांग्रेस और पीडीपी ने आपस में मिलकर सरकार बनाने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। अगर उनकी यह योजना सफल रहती है तो पीडीपी व कांग्रेस जो पहले भी वर्ष 2002 से 2008 तक गठबंधन सरकार चला चुकी है, फिर से सरकार बनाएगी और नेकां सरकार को बाहर से समर्थन देगी। नेकां के पास 15, कांग्रेस के पास 12 और पीडीपी के पास 28 विधायक हैं। तीनों के विधायकों की संख्या 55 होती है, जो सरकार बनाने के लिए जरूरी 44 विधायकों से कहीं ज्यादा है।

 

नेकां व पीडीपी इसलिए मिला सकते हैं साथ

राज्य की सियासत पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों की मानें तो जुनैद अजीम मट्टू को जिस तरह सज्जाद लोन ने नेशनल कांफ्रेंस से वापस पीपुल्स कांफ्रेंस में शामिल किया है, उससे नेकां सकते में है और जुनैद श्रीनगर के मेयर हैं। इसलिए अब नेकां और पीडीपी को लगता है कि भाजपा को रोकने और कश्मीर में अपनी सियासत को बनाए रखने के लिए उन्हें न चाहते हुए भी एक दूसरे से हाथ मिलाना चाहिए।

 

वही मुजफ्फर हुसैन बेग, पीडीपी के वरिष्ठ नेता के कहा की नेकां व पीडीपी का गठजोड़ बहुत मुश्किल है। अगर यह गठजोड़ होता है तो जम्मू व लद्दाख संभाग के लोग कैसे प्रतिक्रिया देंगे, यह भी सोचिए। यह गठजोड़ सिर्फ एक मजहब का और सिर्फ कश्मीर तक सीमित होगा। जम्मू व लद्दाख में लोग इसे पसंद नहीं करेंगे और यह राज्य का तीन हिस्सों में बंटवारे का कारण बनेगा।


जम्मू कश्मीर विधानसभा की स्थिति

87 कुल सीटें
44 चाहिए बहुमत के लिए
28 पीडीपी
25 भाजपा
15 नेशनल कांफ्रेंस
12 कांग्रेस
2 पीपल्स कॉन्फ्रेंसे
5 निर्दलीय

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