कटटरपंथी सईद अली शाह गिलानी और उदारवादी हुर्रयित प्रमुख मीरवाईज मौलवी उमर फारुक समेत प्रमुख अलगाववादी नेताओं की नजरबंदी जारी रही। कुलगाम में रविवार को सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में तीन स्थानीय आतंकी मारे गए थे। इस दौरान हिंसा और आतंकी ठिकाने पर एक धमाके में सात नागरिकों की मौत भी हुई थी। इन सभी मौतों के लिए हुर्रियत कांफ्रेंस समेत विभिन्न अलगाववादी संगठनों के सांझा मंच ज्वायंट रजिस्टेंस लीडरशिप (जेआरएल) ने सोमवार को को कश्मीर पूर्ण बंद का आहवान किया था।
बंद के दौरान हिंसा की आशंका को देखते हुए प्रशासन ने ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर के सात थाना क्षेत्रों रैनावारी, नौहट्टा, खनयार, सफाकदल, महराजगंज, करालखुड और मैसूमा में बीती रात ही निषेधाज्ञा लागू कर दी गई थी। इन इलाकों में कई जगह आने-जाने के रास्तों को सील कर दिया गया था। इसके अलावा कुलगाम,पुलवामा, अनंतनाग और शोपियां के संवेदनशील इलाकों में भी किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए निषेधाज्ञा लागू करते हुए पुलिस व अर्धसैनिकबलों की तैनाती बढाई गई थी।
बंद और प्रशासनिक पाबंदियां का असर सोमवार सुबह से ही श्रीनगर समेत वादी के विभिन्न इलाकों में नजर आया। सभी दुकानें और व्यापारिक प्रतिष्ठान तथा शिक्षण संस्थान बंद रहे। सड़कों पर सार्वजनिक वाहनों की आवाजाही ठप रही और कहीं कहीं निजी या तिपहिया वाहन ही नजर आए। डाऊन-टाऊन में लगभग कर्फ्यू जैसी स्थिति रही। पुलिस नियंत्रण कक्ष में मौजूद एक अधिकारी ने बताया कि बंद का व्यापक असर देखा गया। स्थिति तनावपूर्ण लेकिन थी लेकिन नियंत्रण में रही।