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Google Doodle: बायलॉजी में की थी महत्वपूर्ण खोज, गूगल ने डूडल बना दी श्रद्धांजलि

locationजम्मूPublished: Sep 13, 2019 05:38:45 pm

Submitted by:

Nitin Bhal

Google Doodle: Hans Christian Gram हैंस क्रिश्चियन ग्रैम ने 1884 में एक जर्नल में ग्रैम-पॉज़िटिव (Gram-positive) और ग्रैम नेगेटिव (Gram-negative) नाम से अपनी खोज को पब्लिश किया…

Google Doodle: बायलॉजी में की थी महत्वपूर्ण खोज, गूगल ने डूडल बना दी श्रद्धांजलि

Google Doodle: बायलॉजी में की थी महत्वपूर्ण खोज, गूगल ने डूडल बना दी श्रद्धांजलि

श्रीनगर. डेनमार्क के माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैंस क्रिश्चियन ग्रैम ( hans christian gram ) का 166वां जन्मदिवस शुक्रवार को मनाया जा रहा है। गूगल ने भी विशेष डूडल बना ग्रैम को याद किया है। वे ग्रैम स्टेन ( Google Doodle ) के विकास के लिए जाने-जाते थे। डैनिश आर्टिस्ट मिक्केल सोमर ने इस गूगल डूडल को बनाया है। इस डूडल के जरिए उन्होंने हैंस के काम को दिखाया है। इसमें हैंस को ग्रैम स्टेन ( Hans Gram stain ) पर काम करते हुए दिखाया गया है। हैंस क्रिश्चियन ग्रैम का जन्म 1853 में डेनमार्क के कोपेनहैगन में हुआ था। उन्होंने माइक्रोस्कोप से बैक्टीरिया ( Bacteria ) का पता लगाने वाली खास तकनीक की खोज 1884 में की थी। हैंस क्रिश्चियन ग्रैम ने साल 1878 में कोपेनहैगन यूनिवर्सिटी से डॉक्टर ऑफ मेडिसिन की डिग्री हासिल की। इसके बाद वो बैक्टिरियोलॉजी और फार्मालॉजी की पढ़ाई करने यूरोप चले गए। बर्लिन की माइक्रोबायोजिल्ट लैब में काम करते हुए उन्होंने नोटिस किया कि बैक्टीरिया के धब्बे को क्रिस्टल वॉयलेट स्टेन में मिलाने से अलग-अलग सैंपल में अलग स्ट्रक्चर और बायोकेमिकल फंक्शन मिले।

क्या है साल्मोनेला बैक्टीरिया

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हैंस क्रिश्चियन ग्रैम ने 1884 में एक जर्नल में ग्रैम-पॉजिटिव ( Gram-positive ) और ग्रैम नेगेटिव ( Gram-negative ) नाम से अपनी खोज को पब्लिश किया। साथ ही बताया कि ग्रैम पॉजिटिव बैक्टीरिया माइक्रोस्कोप से पर्पल कलर का दिखा, क्योंकि सेल की लेयर काफी मोटी थी। इस वजह से वो घुल नहीं पाई। वहीं, ग्रैम नेगेटिव बैक्टीरिया के सेल काफी पतले थे, जिस वजह से वो घुल पाए। जर्नल में हैंस ने लिखा कि मैं इस विधि को पब्लिश कर रहा हूं, हालांकि मुझे मालूम है कि ये अभी अधूरी है और इसमें कई दोष मौजूद हैं, लेकिन मुझे उम्मीद है कि कोई खोजकर्ता इस जर्नल को पढ़ेगा और इस विधि को आगे बढ़ाने में सफलता मिलेगी।

1938 में हुई मौत

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डैनिश वैज्ञानिक हैंस क्रिश्चियन ग्रैम की 85 की उम्र में साल 1938 में मौत हो गई। ग्रैम स्टेनिंग तकनीक का इस्तेमाल माइक्रोबायोलॉजी के क्षेत्र में आज भी किया जा रहा है। उनके द्वारा इजाद की गई इस तकनीक का इस्तेमाल आज भी बायोल़ॉजी स्टूडेंट लैब में करते हैं।

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