बड़ा भाई भी था आतंकी
सूत्रों ने बताया कि जमालदीन का बड़ा भाई हबीब गुज्जर भी लश्कर का नामी कमांडर था, जो चार अक्टूबर 2011 में नागनीगढ़ में हुई मुठभेड़ में मारा गया था। जमालदीन ने अपने भाई हबीब के साथ मिलकर राज्य पुलिस में सब इंस्पेक्टर कासिमदीन की मां की वर्ष 2010 में हत्या कर दी थी। इस मामले में जमालदीन पकड़ा गया और उसके खिलाफ अदालत में आरोप पत्र भी दायर हुआ है, लेकिन वह दो साल बाद जमानत पर रिहा हो गया था। जमालदीन जेल से रिहा होने के बाद बतौर ओवरग्राउंड वर्कर आतंकी संगठन के लिए काम करता रहा। वर्ष 2015 में स्वतंत्रता दिवस से कुछ दिन पहले किश्तवाड़ में वह और उसका एक अन्य भाई बुर्का व औरतों के कपड़े पहन रहस्यमय परिस्थितियों में घूमते हुए पकड़े गए थे। उन्होंने बताया कि जमालदीन गत वर्ष दोबारा आतंकी बना और उसके बाद वह किश्तवाड़ में सुरक्षाबलों के लिए एक चुनौती बन गया था।
गत माह हुआ जख्मी
गत माह 22 जून को किश्तवाड़ के सरवां जंगल में जमालदीन अपने साथियों संग सुरक्षाबलों की घेराबंदी में फंस गया था, लेकिन मुठभेड़ में जख्मी होने के बावजूद वह बच निकला था। उसके बाद वह डोडा की तरफ चला गया और ठाठरी के निकट एक जंगल में छिपकर अपना इलाज कराने लगा, लेकिन आवश्यक दवाओं और उचित चिकित्सा के अभाव में उसकी हालत लगातार बिगड़ रही थी।