राज्य कांग्रेस प्रमुख गुलाम अहमद मीर ने कहा कि बेशक हम चुनाव लड़ना चाहते हैं। हमने इसके लिए चुनाव आयोग और केंद्र से इस बारे में बात भी की है। लेकिन अभी भी हमारे नेता हिरासत और नज़रबंद हैं। हम चाहते हैं कि उन्हें चुनाव प्रचार के लिए रिहा किया जाए। लेकिन, इस संबंध में केंद्र की तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। राज्य प्रशासन के उदासीन रवैये और घाटी में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की हिरासत के विरोध में यह कदम उठाया गया है। उन्होंने कहा कि अभी तक बीडीसी चुनाव की हलचल तेज नहीं हुई है। चुनाव लड़ने के लिए राजनीतिक पार्टियां हैं कहां? कौन बीडीसी चुनाव लड़ेगा।
मीर ने कहा कि जिस तरह से विपक्ष के नेताओं को नज़रबंद किया जा रहा है, उससे साफ है कि सिर्फ एक पार्टी के लिए चीजें आसान की जा रही हैं। इसलिए हमने बीडीसी चुनावों का बहिष्कार करने का फैसला लिया है। बता दें कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के बेअसर किए जाने के बाद से कांग्रेस, (NC) नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी (PDP) और अलगाववादी नेता नज़रबंद हैं।
केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने के साथ ही राज्य को दो हिस्सों में बांट दिया है। अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश होंगे। 31 अक्टूबर से ये दोनों नए केंद्र शासित प्रदेश बन जाएंगे। इसके एक हफ्ते पहले ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल के चुनाव होंगे।
बड़ा सवाल, सब करेंगे बहिष्कार तो कौन लड़ेगा चुनाव
बता दें कि जम्मू-कश्मीर के सभी बड़े विपक्षी दलों जिनमें पीडीपी, कांग्रेस, और नेशनल कांफ्रेंस शामिल है सभी ने चुनाव का बहिष्कार कर दिया हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर बीडीसी चुनाव में भाग कौन लेने वाला है। ऐसे में चुनाव बीजेपी की पहुंच तक सीमटता हुआ दिखाई दे रहा है।