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हुर्रियत नेता बिना पाक से पूछे शौचालय तक नहीं जाते-मलिक

locationजम्मूPublished: Oct 26, 2018 02:18:33 pm

Submitted by:

Prateek

पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए राज्यपाल मलिक ने कहा कि कश्मीर के मौजूदा हालत के लिए वह जिम्मेदार है…

(श्रीनगर): जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने गुरूवार को हुर्रियत नेताओं पर जमकर निशाना साधा। मलिक ने कहा कि हुर्रियत नेता तो बिना पाकिस्तान से पूछे शौचालय तक नहीं जाते हैं। राज्यपाल ने कहा कि जब तक वे पाकिस्तान को अलग नहीं रखेंगे, उनके साथ कोई बातचीत नहीं होगी। उनके मुताबिक, मैंने किसी पक्षकार से बातचीत नहीं की है। मैंने हाल में विभिन्न पार्टियों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी।


युवओं को ले जाया जा रहा गलत रास्ते पर

पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए राज्यपाल मलिक ने कहा कि कश्मीर के मौजूदा हालत के लिए वह जिम्मेदार है। सोशल मीडिया के जरिए कश्मीर में जहर फैलाया जा रहा है। पाकिस्तान की फौज नहीं चाहती कि कश्मीर का मसला हल हो और यहां के लोग शांति के साथ रहें। वह भारत सरकार से कश्मीर के जरिए बांग्लादेश की हार का बदला ले रहा है। यह बात सभी जानते हैं कि भारत में आतंकवाद उन्हीं की देन है। अफसोस इस बात का है कि पाकिस्तान अपने निहित स्वार्थ के लिए युवाओं को इस्लाम के नाम पर गलत रास्ते पर ले जा रहा हैं। आतंकवादी कश्मीर के बच्चों को जन्नत का झूठा सपना दिखा रहे हैं। बंदूक के दम पर श्रीलंका में लिट्टे को भी कुछ नहीं मिला। कश्मीर में आतंकवादियों का भी यही अंजाम होगा। युवाओं को यह समझना होगा कि बंदूक से कुछ नहीं मिलेगा। भारत उनका देश है, जम्मू-कश्मीर उनका अपना राज्य है, जिसका अपना झंडा, अपना संविधान है। उन्हें काबिल और बेहतरीन प्रधानमंत्री मिला है। वह अपनी समस्याएं बताएं उन्हें दूर किया जाएगा।

 

शांतिपूर्ण तरीके से हुए चुनाव

राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने हाल ही में संपन्न हुए निकाय चुनावों का हवाला देते हुए कहा कि इस दौरान किसी की मौत नहीं हुई है। लोगों में राज्यपाल प्रशासन के प्रति विश्वास बढ़ा है। आतंकी इसी बात से भी भड़के हुए हैं। पिछले 3 महीनों में आतंकी संगठनों में कोई भर्ती नहीं हुई है। कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाएं भी बहुत कम हो गई हैं। उन्होंने कहा कि राजभवन के दरवाजे लोगों के लिए खुले हैं, वे कभी भी अपनी समस्याएं लेकर उनके पास आ सकते हैं।

 

जल्द होने चाहिए राज्य में चुनाव

अलगाववादी हुर्रियत नेताओं से बात करने के संबंध में उन्होंने कड़े शब्दों में कहा कि, जब हुर्रियत नेता पाकिस्तान को इस मामले से अलग नहीं रखेंगे तब तक उनके साथ कोई बातचीत नहीं होगी। मलिक ने कहा है कि जून में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और भारतीय जनता पार्टी की सरकार गिरने के बाद उन्हें नहीं लगता कि वर्तमान हालात में राज्य में एक लोकप्रिय सरकार बन सकती है। इसलिए मेरी इच्छा है की प्रदेश में जल्द से जल्द विधानसभा चुनाव हों। इसके लिए मैने विभिन्न पार्टियों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी। जहां तक अलगाववादी हुर्रियत नेताओं की बात है तो मैने उनसे बात नहीं की क्योंकि वह तो पाकिस्तान से पूछे बिना टॉइलट भी नहीं जाते हैं। जब तक वे पाकिस्तान को अलग नहीं रखेंगे उनके साथ बातचीत नहीं होगी।’


भारत पाक मामला सरकारों के बीच की बात

मलिक ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक दलों को भारत और पाकिस्तान के बीच शांति वार्ता के बारे में बात करने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि यह दोनों देशों के बीच का मामला है। “राजनीतिक दलों को भारत-पाकिस्तान शांति वार्ता के बारे में बात करने का कोई अधिकार नहीं है। यह दोनों देशों की सरकारों के बीच का मामला है, उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच एक संवाद प्रक्रिया के लिए एक बड़ी संभावना है लेकिन शांति वार्ता में विभिन्न राजनीतिक दलों के ‘हस्तक्षेप’ अस्वीकार्य है माना जाएगा।


हमारे हाथों में नहीं सब कुछ

राज्यपाल ने कहा की सब कुछ हमारे हाथों में नहीं है क्योंकि देश में और बाहर कुछ शक्तियां राष्ट्रीय विरोधी गतिवधियों में शामिल हैं। लेकिन मैं हर किसी से अपील करता हूं कि कश्मीर देश का सबसे सुंदर और असाधारण हिस्सा है। बंदूक के साथ कोई समस्या हल नहीं की जा सकती है और ऐसा कोई मौजूदा मुद्दा नहीं है जिसे बातचीत की मदद से हल नहीं किया जा सके।

 

राजनाथ सिंह ने बताया कश्मीरी मुद्यों का हल

राजनाथ सिंह की कश्मीर की यात्रा पर मलिक ने कहा सिंह ने बताया कि जम्मू-कश्मीर के कई “मुद्दों और समस्याओं” को लोकतंत्र के माध्यम से हल किया जा सकता है। “गृह मंत्री कश्मीर की समस्याओं के बारे में बहुत ग्रहणशील थे और स्वीकार करते है कि केंद्र सरकार शांति वार्ता के पक्ष में है। हम सभी जानते हैं कि शांति वार्ता के लिए पूर्व-स्थितियां क्या हैं? गृह मंत्री की यात्रा से पहले, मैंने कई मुख्यधारा के राजनीतिक दलों के नेताओं से उन्हें यह बताने के लिए मुलाकात की थी कि आने वाले पंचायत चुनावों में उनकी सक्रिय भागीदारी महत्वपूर्ण है। हम इस प्रक्रिया का हिस्सा बनने के लिए सभी को बताने की कोशिश कर रहे हैं।


बर्बाद न हो पंचायत को मिलने वाली राशि

प्रत्येक पंचायत के लिए 50 लाख से 1.50 करोड़ रुपये के बीच भारी धनराशि निर्धारित की जाती है और मैं इस तथ्य पर जोर दे रहा हूं कि हमें इसे बर्बाद नहीं होने देना चाहिए। लेकिन हम केवल तभी लोगों के उत्थान के लिए इन फंडों का उचित खर्च करेंगे जब शांतिपूर्ण चुनाव होगा।

 

पंचायत चुनाव भी होंगे हिंसा मुक्त

उन्होंने कहा कि हाल के नगरपालिका चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से आयोजित किए गए थे और 17 नवंबर से शुरू होने वाले पंचायत चुनाव भी “हिंसा मुक्त” होंगे। मलिक ने स्वीकार किया कि हाल ही में आयोजित शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में मतदान कम था, लेकिन कहा कि चुनाव प्रक्रिया एक ऐसी सफलता थी जिसने चुनाव के दौरान भी एक पक्ष को नुकसान नहीं पहुंचाया।

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