24 से शुरू होगा मुख्य कार्यक्रम
कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य में तीन दिवसीय मुख्य कार्यक्रम द्रास में 24 जुलाई से शुरू हो रहा है। जानकारी के अनुसार रक्षामंत्री जम्मू कश्मीर के सुरक्षा हालात का जायजा भी लेंगे। इस समय राज्य में अमरनाथ यात्रा जारी है और सेना, सुरक्षाबल बेहतर समन्वय से आतंकवादियों पर भारी दबाव बनाते हुए इस यात्रा को सुरक्षित बनाने की मुहिम पर हैं।
रक्षा मंत्री बनने के बाद पहला दौरा
रक्षामंत्री बनने के बाद जम्मू संभाग का यह उनका पहला दौरा होगा। इस दौरान वह सीमांत क्षेत्रों में लोगों को पाकिस्तान की गोलाबारी से बचाने के लिए बंकर निर्माण के साथ सेना के अन्य कुछ महत्वपूर्ण प्रोजेक्टों का भी जायजा लेंगे। ज्ञात रहे कि साल 1999 के कारगिल युद्ध के बारे में सोचकर आज भी भारतीयों का मन गर्व से भर उठता है। इस युद्ध में पाकिस्तान को हार का सामना करना पड़ा था। 26 जुलाई को कारगिल युद्ध के 20 साल पूरे हो जाएंगे। कारगिल युद्ध के शहीदों की याद में भारतीय सेना कई कार्यक्रम आयोजित कर रही है। कारगिल के जांबाजों की याद में दिल्ली के वॉर मेमोरियल से एक विजय मशाल निकाली गई। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस विजय मशाल को जलाकर कारगिल के शहीद जवानों को याद किया था । इस मौके पर आर्मी चीफ बिपिन रावत भी मौजूद थे। कारगिल के वीरों की याद में इंडिया गेट के वॉर मेमोरियल से यह मशाल द्रास के उसी मेमोरियल तक जाएगी, जहां वीरों की गौरवगाथा लिखी है। कार्यक्रम में कारगिल युद्ध में भाग ले चुके सैनिकों के अलावा एनसीसी कैडेट्स और छात्र भी शामिल हुए।
अनोखी है मशाल
मशाल ( Mashal ) की डिजाइन बेहद अलग है। इसका सबसे ऊपर का हिस्सा कॉपर का, बीच का हिस्सा कांसे का और नीचे का हिस्सा लकड़ी का है। अमर जवानों के त्याग को दर्शाने वाला चिह्न बीच में है। कारगिल विजय को अभी 12 दिन बाकी हैं। 11 शहरों से होते हुए ये मशाल द्रास तक पहुंचेगी। मशाल को टाइगर हिल, तूलिंग प्वाइंट और प्वाइंट 4875 पर भी ले जाया जाएगा।
कारगिल युद्ध की खास बातें
जानकारी हो कि कारगिल युद्ध 18 हजार फीट की ऊंचाई पर 3 जुलाई से 26 जुलाई के बीच लड़ा गया था। इस युद्ध में भारत के 522 जवान शहीद हुए थे। इनमें 26 अफसर, 23 जेसीओ और 473 जवान शामिल थे। घायल सैनिकों की तादाद 1363 थी। युद्ध में पाकिस्तान के 453 सैनिक मारे गए थे। कारगिल की ऊंची चोटियों पर पाकिस्तान के सैनिकों ने कब्जा जमा लिया था। यहां करीब 5 हजार पाकिस्तानी सैनिक मौजूद थे। पाकिस्तानियों को खदेडऩे के लिए भारतीय वायुसेना ने मिग-27 और मिग-29 का इस्तेमाल किया था। भारत की ओर से 2 लाख 50 हजार गोले दागे गए थे। 300 से ज्यादा मोर्टार, तोप और रॉकेट का इस्तेमाल किया गया था। दूसरे विश्व युद्ध के बाद यह पहला ऐसा युद्ध था, जिसमें दुश्मनों पर इतनी बमबारी की गई।
थलसेनाध्यक्ष भी होंगे साथ
इस दौरान वे राज्य में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करने के अलावा राज्य के मौजूदा परिदृश्य का भी आंकलन करेंगे। रक्षा मंत्री सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ( General Bipin Rawat ) के साथ अपनी एक दिन की यात्रा पर राज्य में विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के अफसरों के साथ मिल बैठ कर सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करेंगे। सूत्रों के मुताबिक सिंह अमरनाथ यात्रा ( Amarnath Yatra ) के लिए सैनिकों की तैयारियों की समीक्षा के अलावा नियंत्रण रेखा ( LOC ) के साथ लगे क्षेत्रों की स्थिति का जायजा भी लेंगे। मोदी पार्ट-2 में रक्षा मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद यह सिंह की पहली जम्मू-कश्मीर यात्रा होगी। सूत्रों के मुताबिक रक्षामंत्री राजनाथ सिंह जम्मू में प्रमुख ढांचागत विकास परियोजनाओं पर काम की समीक्षा भी करेंगे। केंद्रीय मंत्री सांबा और अखनूर जाएंगे, जहां सेना ने प्रमुख ढांचागत विकास परियोजनाओं का निर्माण किया है। इससे पहले रक्षा मंत्री 3 जून को दो दिनों के कश्मीर और लद्दाख डिवीजन के दौरे पर थे। उन्होंने पाकिस्तान के साथ सीमाओं पर सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करने के लिए दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर का दौरा किया था।