हर रविवार लगती है कतार
हर रविवार को श्रीनगर और अन्य क्षेत्रों के छात्र बसंत रथ के आधिकारिक आवास चश्माशाही में हट नंबर 224 पर पुस्तकें प्राप्त करने के लिए लाइन में लगे होते हैं। जो युवा यहां नहीं आ पाते हैं उन्हें कुरियर सेवाओं के माध्यम से भेजी जाती हैं। बसंत रथ ने अब तक युवाओं के बीच कई हजार पुस्तकें वितरित की हैं। रथ विज्ञान, कला, इंजीनियरिंग, अर्थशास्त्र और पत्रकारिता पर पुस्तकें वितरित करते हैं।
बचपन की मजबूरियों से सीखा
रथ बताते हैं कि बचपन में उनके सामने आई मजबूरियों को देख कर उनके मन में जरूरतमंद लोगों की मदद का जज्बा जगा। उन्होंने कहा कि मैं उन दिनों को नहीं भूल सकता जब मैं 11 साल का था और सबसे ज्ञानी व्यक्ति बनना चाहता था। उस दिन को भी नहीं भूल सकता जब मेरी माँ मेरे लिए भूखा रहती थी ताकि मैं पढ़ाई कर सकूं। बसंत रथ लाइम लाइट में आना पसंद नहीं करते हैं। उन्होंने बताया कि वे जरूरतमंद छात्रों को वितरण के लिए दिल्ली, जम्मू और श्रीनगर से किताबें खरीदते हैं।
युवा पढ़ें, आगे बढ़ें
अपनी इस पहल के पीछे मकसद बताते हुए बसंत रथ बोले की वह चाहते हैं कि कश्मीर के युवा भी पढ़ें और आगे बढ़ें। रथ ने दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में सोशियोलॉजी का अध्ययन किया और बाद में 2000 में यूपीएससी की परीक्षा पास की। बसंत ने जम्मू-कश्मीर में IPS के रूप में नियुक्त होने के एक वर्ष से जम्मू और कश्मीर की यातायात व्यवस्था में सुधार किया। उन्होंने राज्य के इच्छुक लोगों के लिए 2008 में पहल शुरू की सिविल और पुलिस सहित लगभग 50 छात्रों को मुफ्त आवास और कोचिंग प्रदान करने के लिए मदद करते रहे हैं।