पुलिस के अनुसार, एक पूर्व राजस्व अधिकारी और प्रसिद्ध स्थानीय व्यक्ति सांझी राम ने लडक़ी के अपहरण, बलात्कार और हत्या की साजिश रची। अन्य आरोपी सांझी राम के भतीजे, सांझी राम के बेटे विशाल जंगोत्रा, एक स्नातक छात्र, विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजुरिया और सुरेंद्र वर्मा, हेड कांस्टेबल तिलक राज, उप-निरीक्षक आनंद दत्ता, और एक अन्य किशोर जो कि नाबालिग का दोस्त, इसमें शामिल थे।
यह मामला 9 अप्रैल 2018 को सुर्खियों में आया जब पुलिस ने कठुआ की अदालत में आरोप पत्र दायर किया। पुलिस को आरोप पत्र दाखिल करने से रोकने के लिए, स्थानीय वकीलों ने हंगामा किया। जिसके बाद मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप कर इस मुकदमे को पठानकोट में स्थानांतरित करने का आदेश देने के साथ ही प्रत्येक दिनों की कार्रवाई कैमरे के समक्ष करने की बात कही थी।
वरिष्ठ वकील एस एस भासरा और जिला अटॉर्नी जे सी चोपड़ा द्वारा हुए बहस में यह सामने आया कि मामला आरोप पत्र पर आधारित है जिसमें कहा गया है कि इस मामले में सबसे पहली पूछताछ सांझी राम के भतीजा से हुई जो स्कूल से बाहर हो गया था। वह उस आठ साल की बच्ची से पहली बार पास के जंगल में मिला था। किशोर के अनुसार, जिस दिन लडक़ी का अपहरण किया गया था, उसने अपने लापता घोड़ों को खोजने के लिए मदद मांगी थी। उस वक्त उसे जबरन सांझी राम के मवेशी शेड में ले जाया गया और उसके हाथ-पैर बांध दिए गए। 16 जनवरी तक उसे बंदी बनाए रखने के बाद, उसने लडक़ी के साथ बलात्कार करने का प्रयास किया। लेकिन जब आठ साल की नाबालिग ने भेद खोलने की बात कही, तो उसने उसका गला घोंट दिया और सिर पर पत्थर मार दिया।
पुलिस द्वारा फाइल की गई चार्जशीट के अनुसार अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि सांझी राम ने किशोर को समुदाय से बदला लेने के लिए उकसाया, ताकि पिछली मार का बदला लिया जा सके। इसलिए, 10 जनवरी को, जब वे आठ साल की बच्ची को सांझी राम के स्वामित्व वाले ‘देवी-चरण’ मंदिर में ले गए, तो किशोर और एक अन्य दोस्त ने लडक़ी को नशा देकर बेहोश कर दिया।
12 जनवरी को किशोर ने कथित तौर पर अपने दोस्त विशाल जंगोत्रा को मेरठ से अपनी वासना को शांत करने के लिए बुलाया। किशोर और जंगोत्रा ने उसके साथ बलात्कार भी किया। देवी-स्थान पर सांझी राम के निर्देशन में, किशोर, उसका दोस्त और विशाल कथित तौर पर लडक़ी को पुलिया पर ले गए। चार्जशीट में दावा किया गया था कि जब सभी उसे मारने के लिए तैयार थे, तो खजुरिया ने कथित तौर पर बलात्कार करने के उद्देश्य से उन्हें रोक दिया। इसके बाद, खजुरिया और फिर किशोर द्वारा लडक़ी का फिर से सामूहिक बलात्कार किया गया। इसके बाद, एसपीओ ने लडक़ी की गर्दन को अपनी जांघ पर रखा और उसे मारने के लिए बल लगाना शुरू कर दिया,जब वह उसे मार नहीं सका, तो किशोर ने अपने घुटनों के बल उसकी पीठ पर तब तक बल लगाया जब तक उसकी मौत नहीं हो गई। यह सुनिश्चित करने के लिए कि वह मर चुकी है, उसके सिर पर पत्थर से हमला किया गया। साजिश के अनुसार, शव को हीरानगर में नहर में ले जाया जाना था, लेकिन जब कार चालक ने अपनी कार लाने से इनकार कर दिया, उन्होंने शव को पास के जंगल में फेंक दिया। 17 जनवरी को यह शव बरामद किया गया।