Overground worker: सुरक्षाबलों ( Indian Army ) की निरंतर कार्रवाई और बढ़ते दबाव के कारण घाटी में आतंकियों ( Terrorism in Kashmir ) की संख्या में लगातार कमी आ रही है। लेकिन एक सिरदर्द है…
Overground worker: OMG! आतंकियों से भी खतरनाक हैं ये OGW
श्रीनगर. सुरक्षाबलों ( Indian army ) की निरंतर कार्रवाई और बढ़ते दबाव के कारण घाटी में आतंकियों ( Terrorism in Kashmir ) की संख्या में लगातार कमी आ रही है। लेकिन एक सिरदर्द है जो सुरक्षा बलों और खुफिया एजेंसियों को लगातार परेशान किए हुए हैं। घाटी में आतंकियों के हमदर्द ओवरग्राउंड वर्कर ( OWG ) की लगातार बढ़ रही संख्या ने सुरक्षा बलों, राज्य की पुलिस और खुफिया एजेंसियों को परेशान कर रखा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में लगभग 246 आतंकी सक्रिय हैं, लेकिन उनके ओजीडब्ल्यू की 2186 हैं। हैरानी बात यह भी है कि जिन जिलों में एक भी आतंकी नहीं हैं, वहां भी उनके ओजीडब्ल्यू सक्रिय हैं। राज्य में सिर्फ लद्दाख संभाग ही ऐसा क्षेत्र हैं, जहां न आतंकी हैं और उनके ओजीडब्ल्यू। हाल ही में राज्य पुलिस की अपराध शाखा द्वारा जारी की गई एक विभागीय रिपोर्ट मे कहा गया है कि घाटी में सिर्फ गांदरबल ही एकमात्र ऐसा जिला है, जहां कोई आतंकी नहीं है, लेकिन वहां भी 38 ओजीडब्ल्यू सक्रिय हैं। जम्मू संभाग के जम्मू, सांबा व ऊधमपुर जिलों में न कोई आतंकी है और न कोई ओजीडब्ल्यू। लेकिन रियासी, डोडा व रामबन में करीब 370 ओजीडब्ल्यू काम कर रहे हैं।
भीड़ में छिप जाते हैं ओजीडब्ल्यू
अधिकारियों ने बताया कि ओजीडब्ल्यू आतंकियों से ज्यादा खतरनाक होते हैं क्योंकि ये आम लोगों की तरह रहते हैं और भीड़ में ही छिप जाते हैं। हालांकि ये आतंकियों हमदर्द होते हैं और उनके लिए काम करते हैं। यह न सिर्फ आतंकियों तक सुरक्षाबलों की सूचनाएं पहुंचाते हैं, बल्कि उनके लिए हथियारों, पैसों और सुरक्षित ठिकाने का इंतजाम भी करते हैं। वारदात से पहले आतंकियों के लिए रैकी करने का काम भी ये ओजीडब्ल्यू करते हैं। अधिकारियों ने बताया कि कई बार तो आतंकी हमले का समय और जगह का चयन करने से लेकर पूरी साजिश यही ओजीडब्ल्यू रचते हैं।
कश्मीर संभाग में हैं 1569 ओजीडब्ल्यू
कश्मीर के हंदवाड़ा में 32 आतंकी हैं तो वहीं ओजीडब्ल्यू 496 है। कुपवाड़ा में 9 आतंकी तो 32 ओजीडब्ल्यू हैं। बारामुला में 3 आतंकी तो 26 ओजीडब्ल्यू हैं। सोपोर में 15 आतंकी तो 30 ओजीडब्ल्यू हैं। बडग़ाम में 4 आतंकी तो 89 ओजीडब्ल्यू हैं। शोपियां में 39 आतंकी तो 136 ओजीडब्ल्यू हैं। वहीं, अनंतनाग में 23 आतंकी तो 130 ओजीडब्ल्यू हैं। अवंतीपोर में 25 आतंकी तो 71 ओजीडब्ल्यू हैं। कुलगाम में 29 आतंकी तो 317 ओजीडब्ल्यू हैं। इसी तरह पुलवामा में 36 आतंकी तो 92 ओजीडब्ल्यू हैं। श्रीनगर में १1 आतंकी तो 112 ओजीडब्ल्यू हैं। वहीं गांदरबल में कोई आतंकी तो नहीं पर 38 ओजीडब्ल्यू हैं।
ओजीडब्ल्यू जम्मू संभाग की बड़ी परेशानी जम्मू संभाग के रियासी में 182, रामबन में 122, डोडा में 74 ओजीडब्ल्यू हैं। इन पुलिस जिलों में एक भी आतंकी नहीं है। वहीं, कठुआ में 7 आतंकी और 135 ओजीडब्ल्यू हैं। किश्तवाड़ में भी 7 आतंकी और 135 ओजीडब्ल्यू हैं। राजौरी-पुंछ में 5 आतंकी और 80 ओजीडब्ल्यू हैं।
गिरफ्तारी में होती है मशक्कत आम लोगों की तरह रहने और कोई आपराधिक रेकॉर्ड नहीं होने के कारण ओजीडब्ल्यू को गिरफ्तार करने में खुफिया एजेंसियों और सुरक्षा बलों को खासी मशक्कत करनी पड़ती है। फिर भी समय-समय पर ऐसे लोगों की गिरफ्तारी होती रहती है। दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा जिले के अवंतीपोरा इलाके से पुलिस ने गत वर्ष सितम्बर में आतंकी के भाई समेत दो ओजीडब्ल्यू को गिरफ्तार किया। इनके संबंध आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन से थे। इसी प्रकार गत वर्ष ही अगस्त में पुलवामा से 4 ओजीडब्ल्यू को गिरफ्तार किया गया था। सोपोर में 2016 में हिजबुल से जुड़े 7 ओजीडब्ल्यू को गिरफ्तार किया गया था। 2016 में ही शोपियां से लश्कर से जुड़े 3 ओजीडब्ल्यू को गिरफ्तार किया गया था।
लोग हों जागरूक तो बने बात अधिकारियों के मुताबिक ओजीडब्ल्यू को पकडऩे और इनके मंसूबों को नाकाम करने में स्थानीय लोगों की जागरुकता अधिक काम आती है। ये ओवरग्राउंड वर्कर्स आम लोगों के बीच ही रहते हैं। ऐसे में सुरक्षा बलों या खुफिया एजेंसियों का संदेह इन पर नहीं हो पाता है। अगर लोग जागरूक हो अपने आस-पास रहने वाले संदिग्ध लोगों को पहचान कर पुलिस या स्थानीय अधिकारियों को इसकी जानकारी देेंगे तो इन ओजीडब्ल्यू का सफाया मुमकिन है।