पांच अगस्त के बाद आया बदलाव
पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 हटने के बाद यहां पर स्थायी नागरिकता प्रमाणपत्र को खत्म कर दिया। इसके बाद यहां पर देश के अन्य भागों की तरह ही सभी राज्यों के लोगों को भूमि खरीदने का अधिकार मिलने के अलावा सरकारी नौकरियां करने का भी अधिकार हासिल हो गया। इससे यहां के लोगों विशेषकर युवाओं में इस बात की आशंका थी कि पहले ही यहां रोजगार के साधन कम हैं, ऐसे में अगर बाहर के राज्यों के युवाओं को भी यहां पर नौकरियां दी गई तो यहां पर बेरोजगार और बढ़ेगी। सूत्रों की मानें तो जम्मू-कश्मीर प्रशासन यहां के बेरोजगारों की संख्या को देखते हुए नौकरियों के अधिकार सिर्फ यहां के लोगों के लिए ही संरक्षित कर सकता है। इससे पहले की तरह ही जम्मू-कश्मीर के लोग ही यहां पर नौकरी कर सकेंगे। इसी तरह यहां पर जमीन खरीदने और बेचने का अधिकार भी पहले की तरह ही लागू हो सकता है। इस पर प्रशासन गंभीरता के साथ मंथन कर रहा है। सूत्रों के अनुसार, यह अधिकार कुछ वर्षो के लिए होंगे या फिर लंबे समय तक जारी रहेंगे, इस पर अभी तक कोई भी फैसला नहीं हुआ है।
करीब 6 लाख बेरोजगार
जम्मू-कश्मीर में बेरोजगारों की संख्या छह लाख से अधिक है। यहां के रोजगार केंद्रों में ही एक लाख से अधिक युवाओं ने अपना पंजीकरण करवा रखा है। यहां पर चतुर्थ श्रेणी के पदों के लिए भी एक-एक लाख युवा आवेदन देते हैं। माना जा रहा है कि इस स्थिति को देखते हुए ही सरकार कदम उठाने जा रही है।