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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार विस्थापित कश्मीरी पंडितों से जुड़े संगठन सतीश महालदार ने सोमवार को इस संबंध में बयान जारी कर पारा चढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि जल्द से जल्द जम्मू कश्मीर को फिर से राज्य बनाकर पहले की तरह विशेष दर्जा बहाल किया जाना चाहिए।
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उन्होंने कहा कि भारत का संविधान सभी को समानता का अधिकार देता है। यह अधिकार धर्म, जाति, क्षेत्र व सामाजिक और राजनीतिक श्रेणी के तहत होने वाले किसी भी तरह के भेदभाव को खत्म करता है। उन्होंने यह भी कहा कि इससे पहले किसी भी राज्य के साथ ऐसा नहीं हुआ है। लोकतंत्र में ऐसा नहीं होता है। उन्होंने यह भी कहा कि राजनीतिक मुद्दे का सैन्य स्तर पर समाधान नहीं हो सकता, हम अपने ही लोगों के खिलाफ जंग नहीं छेड़ सकते हैं।
सतीश का कहना है कि विशेष दर्जा जो है वह पिछड़े इलाकों के लोगों की रुचि, आकांशाओं, उनकी संस्कृति, आर्थिक तौर पर उनकी रुचि को संरक्षित करने का काम करता है। इसी तरह वह क्षेत्र के अल्पसंख्यकों को भी इसी तरह संरक्षित करता है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, व अन्य सांसदों से भी अपील की कि जम्मू कश्मीर के लोग हमारे अपने है उन्हें आपके स्नेह की आवश्यकता है। आप जनता के बीच से आते हैं तो उनकी आकांशाओं को समझे और जम्मू—कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने में सहायता करें। उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू—कश्मीर के अलावा पूर्वोत्तर भारत के भी कई राज्य है जिन्हें विशेष दर्जा प्राप्त है इसी तर्ज पर जम्मू—कश्मीर को भी अपना अधिकार मिलना चाहिए।
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नहीं लडूंगा कोई चुनाव:—उमर…
इधर अनुच्छेद 370 हटने के बाद से नाराज जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने केंद्र शासित राज्य जम्मू—कश्मीर में कभी भी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा कर दी है। उनकी मांग है कि जल्द से जल्द इसे फिर से राज्य का दर्जा दिया जाए जब तक ऐसा नहीं होता है वह यहां होने वाले विधानसभा चुनाव में हिस्सा नहीं लेंगे। गौरतलब है कि 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया गया था। इसके बाद जम्मू—कश्मीर और लद्दाख दो केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए।