बता दें कि हुर्रियत नेता तारिक अहमद आतंकियों को कश्मीर का रक्षक बताया करते थे। मृतक खुद भी कभी आतंकी रह चुका था। मिली जानकारी के अनुसार, मौलवी तारिक अहमद मेमंदर गांव में अपने बगीचे में काम कर रहे थे। तारिक अपने काम में व्यस्त थे तभी अचानक आतंकी वहां आ धमके। बचाव का कोई मौका दिए बिना उन्होंने प्वायंट ब्लैंक रेंज से तारिक को गोली मारी और वहां से फरार हो गए।
दो माह पहले ही हुआ था रिहा
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मौलवी तारिक अहमद वर्ष 1996 तक दक्षिण कश्मीर में एक आतंकी के तौर पर एक्टिव रहा था। वह हुर्रियत कांफ्रेंस के कटटरपंथी गुट के प्रमुख घटक जम्मू कश्मीर मुस्लिम लीग का जिला प्रधान और हुर्रियत के प्रमुख नेताओं में से एक था। वह जेल में बंद मुस्लिम लीग के चेयरमैन मसर्रत आलम के करीबियों में से एक है। वर्ष 2016 में उसे राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के सिलसिले में पकड़ा था और करीब दो माह पहले ही वह जेल से रिहा हुआ था।