ईद मनाने के मूड में नहीं
ईद त्योहार आने वाले सोमवार को मनाया जाना था लेकिन निवासियों ने कहा कि वे जश्न मनाने के मूड में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें बलि के जानवरों को बाजारों से खरीदने की अनुमति नहीं थी। विक्रेताओं ने कहा कि उनके व्यवसाय पर कड़ा असर पड़ा है। एक व्यापारी ने कहा कि मैंने इस सीजन में बम्पर बिक्री की उम्मीद की थी, लेकिन भारत सरकार की इस फैसले के बाद न केवल मेरे अपने राज्य में सुरक्षित रहने की मेरी उम्मीदों को धराशायी कर दिया है, बल्कि इससे मेरे व्यवसाय को भी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि लोग ईद के लिए इन जानवरों को खरीदते थे, लेकिन अब कोई भी पैसा खर्च नहीं करना चाहता क्योंकि स्थिति तनावपूर्ण है और किसी को नहीं पता कि भविष्य में क्या होगा। मरीजों और शिशुओं को सबसे अधिक परेशानी को सामना करना पड़ रहा है। दुकानदारों ने कहा कि उनका स्टॉक लंबे समय तक नहीं टिक सकता है।
सेब उत्पादकों पर मार
सेब उत्पादकों पर वर्तमान स्थिति का बुरा प्रभाव पड़ा है। वर्ष के इस समय वे अपनी उपज का उत्पादन करते हैं। सेब उद्योग राज्य की अर्थव्यवस्था में मुख्य योगदानकर्ताओं में से एक है। फल उत्पादकों ने कहा कि उनकी उपज से लदे ट्रक फंस गए हैं, क्योंकि सुरक्षा बल राजमार्ग पर वाहनों की आवाजाही की अनुमति नहीं दे रहे हैं। इस बीच, निवासियों में गुस्सा और लाचारी है क्योंकि सुरक्षा बल सडक़ों पर गश्त करते हैं और अधिकारियों ने चार से अधिक लोगों के किसी भी सभा पर प्रतिबंध लगा दिया है।
दुनिया के दूसरे हिस्सों से कटे
वहीं, जम्मू संभाग में अघोषित कफ्र्यू के चलते मंगलवार को चिनाब वैली और पीरपंजाल में सडक़ों और गलियों में सुरक्षाबलों की तैनात रहे। पुंछ और राजौरी में मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं को बंद करने के बाद दुनिया के बाकी हिस्सों से अलग रहा। राजौरी जिले के छोटे गांवों में भी सख्ती है। सुरक्षा बल किसी को भी दुकान को खोलने या बाहर जाने की अनुमति नहीं दे रहे हैं। लोग डरे हुए हैं। मुस्लिम इलाकों में अर्धसैनिक बलों की सख्ती का सामना करना पड़ रहा है। किश्तवाड़, डोडा, भद्रवाह और बनिहाल में स्थिति शांतिपूर्ण रही, हालांकि कफ्र्यू जैसी स्थिति बनी रही (धारा 144 के तहत सख्त प्रतिबंध), जहां सुरक्षा बलों ने लोगों को घर से बाहर नहीं निकलने दिया। किश्तवाड़ के सूत्रों ने बताया कि पुलिस ने कई राजनीतिक नेताओं, सामाजिक गतिविधियों और जामा मस्जिद के इमाम, किश्तवाड़, फारूक किचलू को नजरबंद कर दिया है और उन्हें बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी गई है।
मैदानी क्षेत्रों में थोड़ी राहत
जम्मू, उधमपुर, कठुआ और सांबा जिलों में धारा 144 प्रतिबंध लागू रहा। लेकिन मैदानी क्षेत्रों में इससे जनजीवन ज्यादा प्रभावित नहीं हुआ। कुछ क्षेत्रों में लोगों को सुरक्षा बलों द्वारा स्वतंत्र रूप से स्थानांतरित करने की अनुमति दी गई थी और आवश्यक वस्तुओं की कई दुकानें पेट्रोल पंपों की तरह खोली गई थीं। जम्मू के पुराने शहर क्षेत्रों में साम्प्रदायिक रूप से संवेदनशील स्थानों पर सख्त प्रतिबंध लगाए गए थे। शहर के इलाकों में प्रवेश करने या छोडऩे वाले सभी लोगों के पहचान पत्र की जाच की जा रही है।