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Ground Report: अनुच्छेद 370 हटने के बाद ऐसे हैं हाल-ए-कश्मीर

locationजम्मूPublished: Aug 06, 2019 09:44:14 pm

Submitted by:

Nitin Bhal

Article 370: सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर में अघोषित कफ्र्यू मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। यूं तो सरकारी तौर पर कफ्र्यू घोषित नहीं है पर सख्ती कफ्र्यू से भी ज्यादा हैं। ऐसा हाल सिर्फ कश्मीर…

this is the current situation in Jammu and Kashmir

Ground Report: अनुच्छेद 370 हटने के बाद ऐसे हैं हाल-ए-कश्मीर

जम्मू (योगेश). सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर ( jammu kashmir ) में अघोषित कफ्र्यू मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। यूं तो सरकारी तौर पर कफ्र्यू घोषित नहीं है पर सख्ती कफ्र्यू से भी ज्यादा हैं। ऐसा हाल सिर्फ कश्मीर वादी के जिलों का ही नहीं बल्कि जम्मू संभाग का भी है। यहां गलियों के मुहानों पर कांटेदार तारें लगा लोगों को घरों में ही बंद रहने को मजबूर किया गया। पिछले 48 घंटों से कश्मीर संभाग में सब कुछ बंद है। जबकि जम्मू के डोडा , किश्तवाड़, रामबन, राजौरी और पुंछ जिले भी पूरी तरह कटे रहे। फिलहाल कश्मीर से किसी विरोध प्रदर्शन का समाचार इसलिए नहीं है क्योंकि फोन, इंटरनेट, मोबाइल और ब्राडबैंड सब बंद है। साथ ही लोगों को घरों से बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा है। पत्रकारों को भी बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा है। इतना जरूर था कि कश्मीर में सुरक्षाकर्मियों ( Indian army ) के पहुंचने का सिलसिला रुका नहीं है, जिसका परिणाम यह था कि दहशत और डर और गहरा रहा था। केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद जम्मू कश्मीर में आतंकी हमले की आशंका और एलओसी ( LOC ) पर तनातनी बढऩे के बीच सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे। कश्मीर में धारा 144 लागू है। इसके अलावा किश्तवाड़, राजौरी और बनिहाल में कफ्र्यू लगा दिया गया है।
जम्मू में भी किसी भी तरह के हालात से निपटने के लिए सोमवार की सुबह 6 बजे से धारा 144 लगा दी गई थी। सभी शिक्षण संस्थान बंद कर दिए गए थे। जनजीवन ठहर गया है। पुराने शहर में कांटेदार तार लगाकर गलियों को बंद कर दिया गया है और लोगों को घरों से बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा। सरकारी तौर पर कफ्र्यू नहीं लगाया गया है परंतु हालात कफ्र्यू जैसे ही बने हुए हैं। शहर में ट्रैफिक पूरी तरह से बंद है। कश्मीर समेत जम्मू संभाग के कई जिलों में फोन भी बंद कर दिया गया है और सारे राज्य में इंटरनेट सेवा ठप है।


ईद मनाने के मूड में नहीं

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ईद त्योहार आने वाले सोमवार को मनाया जाना था लेकिन निवासियों ने कहा कि वे जश्न मनाने के मूड में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें बलि के जानवरों को बाजारों से खरीदने की अनुमति नहीं थी। विक्रेताओं ने कहा कि उनके व्यवसाय पर कड़ा असर पड़ा है। एक व्यापारी ने कहा कि मैंने इस सीजन में बम्पर बिक्री की उम्मीद की थी, लेकिन भारत सरकार की इस फैसले के बाद न केवल मेरे अपने राज्य में सुरक्षित रहने की मेरी उम्मीदों को धराशायी कर दिया है, बल्कि इससे मेरे व्यवसाय को भी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि लोग ईद के लिए इन जानवरों को खरीदते थे, लेकिन अब कोई भी पैसा खर्च नहीं करना चाहता क्योंकि स्थिति तनावपूर्ण है और किसी को नहीं पता कि भविष्य में क्या होगा। मरीजों और शिशुओं को सबसे अधिक परेशानी को सामना करना पड़ रहा है। दुकानदारों ने कहा कि उनका स्टॉक लंबे समय तक नहीं टिक सकता है।

सेब उत्पादकों पर मार

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सेब उत्पादकों पर वर्तमान स्थिति का बुरा प्रभाव पड़ा है। वर्ष के इस समय वे अपनी उपज का उत्पादन करते हैं। सेब उद्योग राज्य की अर्थव्यवस्था में मुख्य योगदानकर्ताओं में से एक है। फल उत्पादकों ने कहा कि उनकी उपज से लदे ट्रक फंस गए हैं, क्योंकि सुरक्षा बल राजमार्ग पर वाहनों की आवाजाही की अनुमति नहीं दे रहे हैं। इस बीच, निवासियों में गुस्सा और लाचारी है क्योंकि सुरक्षा बल सडक़ों पर गश्त करते हैं और अधिकारियों ने चार से अधिक लोगों के किसी भी सभा पर प्रतिबंध लगा दिया है।

दुनिया के दूसरे हिस्सों से कटे

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वहीं, जम्मू संभाग में अघोषित कफ्र्यू के चलते मंगलवार को चिनाब वैली और पीरपंजाल में सडक़ों और गलियों में सुरक्षाबलों की तैनात रहे। पुंछ और राजौरी में मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं को बंद करने के बाद दुनिया के बाकी हिस्सों से अलग रहा। राजौरी जिले के छोटे गांवों में भी सख्ती है। सुरक्षा बल किसी को भी दुकान को खोलने या बाहर जाने की अनुमति नहीं दे रहे हैं। लोग डरे हुए हैं। मुस्लिम इलाकों में अर्धसैनिक बलों की सख्ती का सामना करना पड़ रहा है। किश्तवाड़, डोडा, भद्रवाह और बनिहाल में स्थिति शांतिपूर्ण रही, हालांकि कफ्र्यू जैसी स्थिति बनी रही (धारा 144 के तहत सख्त प्रतिबंध), जहां सुरक्षा बलों ने लोगों को घर से बाहर नहीं निकलने दिया। किश्तवाड़ के सूत्रों ने बताया कि पुलिस ने कई राजनीतिक नेताओं, सामाजिक गतिविधियों और जामा मस्जिद के इमाम, किश्तवाड़, फारूक किचलू को नजरबंद कर दिया है और उन्हें बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी गई है।

मैदानी क्षेत्रों में थोड़ी राहत

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जम्मू, उधमपुर, कठुआ और सांबा जिलों में धारा 144 प्रतिबंध लागू रहा। लेकिन मैदानी क्षेत्रों में इससे जनजीवन ज्यादा प्रभावित नहीं हुआ। कुछ क्षेत्रों में लोगों को सुरक्षा बलों द्वारा स्वतंत्र रूप से स्थानांतरित करने की अनुमति दी गई थी और आवश्यक वस्तुओं की कई दुकानें पेट्रोल पंपों की तरह खोली गई थीं। जम्मू के पुराने शहर क्षेत्रों में साम्प्रदायिक रूप से संवेदनशील स्थानों पर सख्त प्रतिबंध लगाए गए थे। शहर के इलाकों में प्रवेश करने या छोडऩे वाले सभी लोगों के पहचान पत्र की जाच की जा रही है।

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