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जांजगीर चंपा

खेलने के लिए मैंदान नहीं, शौचालय का भी अभाव, नियमों को ताक पर रख संचालित हो रहा किराए के मकान में स्कूल

– नोडल अधिकारी बिना जांचे परखे प्रदान कर रहे हैं मान्यता

जांजगीर चंपाSep 23, 2018 / 01:21 pm

Shiv Singh

खेलने के लिए मैंदान नहीं, शौचालय का भी अभाव, नियमों को ताक पर रख संचालित हो रहा किराए के मकान में स्कूल

खेलने के लिए मैंदान नहीं, शौचालय का भी अभाव, फिर भी संचालित हो रहा किराए के मकान में स्कूल

जांजगीर-चांपा. जिले में संचालित निजी स्कूल मान्यता की शर्तो का मटियामेट कर संचालित कर रहे हैं। जिले में ऐसे दर्जनों स्कूल संचालित हैं, जो मान्यता की शर्तों में खरे नहीं है। किसी स्कूल के पास खेल का मैदान नहीं है, तो कोई स्कूल होटल में संचालित हो रहा है। कई स्कूल ऐसे हैं जो घरों को किराए के रूप में लेकर स्कूल का संचालन कर रहे हैं। ऐसे स्कूल संचालकों को नोडल अधिकारी बिना जांचे परखे मान्यता भी प्रदान कर रहे हैं। मान्यता की शर्तों का पालन नहीं करने वाले निजी स्कूल संचालक नोडल अफसरों से सांठ-गांठ कर धड़ल्ले से स्कूल का संचालन कर रहे हैं। इतना ही नहीं कई स्कूल ऐसे भी हैं जो व्यवसाय के लिए स्कूल तो खोला पर नहीं चलने से बंद भी
हो गए।
जिले में संचालित निजी स्कूलों की मानीटरिंग ठंडे बस्ते में है। अधिकारियों की शिकायत के बाद भी ऐसे स्कूलों की जांच नहीं की जा रही। जिले में ऐसे दर्जनों हाईस्कूल संचालित कर रहे हैं जिनके पास न तो छात्रों के बैठने के लिए फर्नीचर है और न पीने के पानी। छात्राओं के लिए शौचालय तक की व्यवस्था नहीं है। खेल का मैदान तो दूर की बात। जब ऐसे स्कूल छोटे मोटे घरों को किराए में लेकर संचालित कर रहे हैं तो मान्यता की शर्तों का उल्लंघन स्वाभाविक है। ऐसे में छात्रों को आरटीई के नियमों के मानकों के तहत शिक्षा नहीं मिल पा रही है।
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दिलचस्प बात यह है कि ऐसे स्कूलों की शिकायत के लिए डीईओ ने टीम भी गठित किया था, लेकिन जांच अधिकारियों ने जांच करने की बजाए चुप्पी साध ली। ऐसे में आरटीई की धज्जियां उड़ रही है। एक ओर शिक्षा गुणवत्ता अभियान मना रही है। वहीं जिले में ऐसे स्कूलों की जांच ठंडे बस्ते में है। बीते माह खोखरा भांठा जांजगीर में आरकेआर नाम से एक ऐसा स्कूल संचालित हो रहा है। जो नगरपालिका की जमीन में स्कूल खोल लिया और स्कूल भवन की छबाई भी नहीं हुई थी और बच्चे जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने मजबूर हैं। इसकी शिकायत डीईओ के पास होने के बाद भी स्कूल संचालक के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई।

एक साल में दर्जन भर स्कूलों को मान्यता
हर साल की भांति इस साल भी दीक्षा पब्लिक स्कूल जैसे कई नए स्कूल खुले हैं। इसी तरह इंडिया इंटरनेशनल जैसे कई स्कूल ऐसे हैं जो पहले व्यवसाय के नाम स्कूल तो खोले, पर व्यवसाय चला नहीं तो संचालकों को स्कूल बंद करना पड़ा। जबकि नए स्कूलों के पास आरटीई के मानकों के मुताबिक स्कूलों में सुविधाएं नहीं है। बावजूद अधिकारियों ने रेवड़ी की तरह उन्हें मान्यता दे दी। जबकि जांच के लिए सभी नौ बीईओ को जांच अधिकारी बनाया है। जांच में अधिकारियों ने नरमी बरती और उन्हें स्कूल के नाम व्यवसाय के नाम खुली छूट दे दिया।

यह है नियम
आरटीई के तहत स्कूलों के लिए ३६ कंडिका के तहत दस्तावेज होनी चाहिए। जिसमें स्कूल की मान्यता, भवन, फर्नीचर, स्टॉफ की व्यवस्था सहित बिजली पानी की सुविधा होनी चाहिए, लेकिन इतनी कंडिका में किसी भी मापदंड का पालन नहीं किया जा रहा है। दिलचस्प बात यह है कि नियम को पालन कराने में शिक्षा अधिकारी ही रुचि नहीं ले रहे हैं। क्यों कि प्रत्येक स्कूलों की मान्यता के लिए जांच अधिकारी यानी नोडल अधिकारी द्वारा जांच कराई जाती है। जांच में अधिकारी द्वारा ही नरमी बरती जाती है। जिसके चलते ऐसे स्कूल फल-फूल रहे हैं।

-स्कूल खोलने से पहले मान्यता की शर्तों का पालन करना अनिवार्य है। यदि जिन स्कूलों ने मान्यता की शर्तों का पालन नहीं किया है ऐसे स्कूलों की जांच कराएंगे और कार्रवाई किया जाएगा- -डीके कौशिक, डीईओ

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