16 हजार छात्र हुए पास, कॉलेजों में एडमिशन के लिए मचेगी होड़
जिले में इस साल बारहवीं का परीक्षा परिणाम ७१.४४ प्रतिशत रहा। १६ हजार ८७ बच्चे उत्तीर्ण हुए हैं। परीक्षा परिणाम अच्छा रहने से इस बार कॉलेजों में प्रवेश के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा की स्थिति बनेगी। क्योंकि जिले के निजी और सरकारी कॉलेजों में यूजी के फस्र्ट ईयर में सीट कम पड़ेंगे।
जांजगीर चंपा
Published: June 12, 2022 06:55:41 pm
जांजगीर-चांपा. ऐसे में एक-एक सीट के लिए दो से तीन दावेदार तक हो सकते हैं। कट माक्स भी साइंस जैसे विषयों में ७५ से ८० तक सकता है जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। कॉलेजों में एडमिशन की तैयारी शुरु हो गई है। शहीद नंदकुमार पटेल विवि से संबंद्ध जिले के कॉलेजों में एडमिशन के लिए पोर्टल १६ जून से खुलेगा।
गौरतलब है कि १६ जून से कॉलेजों में पंजीयन के लिए पोर्टल ओपन होना है। जिले में निजी और सरकारी कॉलेज मिलाकर फस्र्ट ईयर की करीब साढ़े ६ हजार सीटें हैं जबकि जिले में इस बार बारहवीं में १६ हजार से ज्यादा उत्तीर्ण हुए हैं। इनमें प्रथम श्रेणी से ही परीक्षा पास करने वाले विद्यार्थियों की संख्या ५ हजार ३३० है। जाहिर है इससे अच्छे कॉलेजों में प्रवेश के लिए छात्रों के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा होगी।
मुख्यालय के कॉलेज पहली च्वाइस
१२वीं के ग्रामीण इलाके के अधिकतर बच्चों की पहली पसंद मुख्यालय के कॉलेज होते हैं। बच्चे ज्यादातर शहर के कॉलेजों में प्रवेश लेना चाहते हैं। उनमें से ज्यादातर बच्चे प्राइवेट की बजाए सरकारी कॉलेजों को प्राथमिकता देते हैं। इसीलिए हर साल प्रमुख कॉलेजों में सीट संख्या से कई गुना अधिक आवेदन आते हैं। जिला मुख्यालय जांजगीर की बात करें तो यहां प्रमुख टीसीएल कॉलेज और गल्र्स कॉलेज जांजगीर में प्रवेश पाने के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा रहती है। टीसीएल कॉलेज में तो सबसे ज्यादा आवेदन आते हैं और हजारों बच्चों को मायूस होना पड़ता है। वहीं गल्र्स कॉलेज जांजगीर में भी इसी तरह स्थिति बनती है। सीट संख्या की तुलना में कई गुना अधिक आवेदन होने से पहली लिस्ट में ही ज्यादातर सीटें भर जाती है। जिसमें हायर नंबर पाने वाले बच्चों को ही मौका मिल पाता है।
१२वीं में १६ हजार बच्चे हुए हैं पास
सीजी बोर्ड में इस बार बारहवीं में २३ हजार ६४८ छात्र पंजीकृत थे। इनमें से २३ हजार २८३ विद्यार्थी परीक्षा में शामिल हुए। इनमें ५३३० बच्चे फस्र्ट डिवीजन से पास हुए। जबकि ९९०० विद्यार्थी सेकंड और ८५७ विद्यार्थी थर्ड डिजीवन से उत्तीर्ण हुए हैं। वहीं ३५४९ विद्यार्थी पूरक आए हैं। इस तरह १६ हजार ८७ बच्चे बारहवीं पास होकर निकले हैं। वहीं इनमें सीबीएसई के विद्यार्थियों की संख्या और बढ़ जाएगी। जाहिर है जिले के कॉलेजों में सीट संख्या कम होने से प्रतिस्पर्धा तो होगी ही। कॉलेज प्रबंधन की माने तो हर साल ऐसी स्थिति बनती है। हालांकि कई बच्चे जिले की बजाए बड़े शहरों में भी पढऩे चले जाते हैं और यहां एडमिशन नहीं लेते। ऐसे में उनकी सीटें दूसरे बच्चों के काम आ जाती है।

16 हजार छात्र हुए पास, कॉलेजों में एडमिशन के लिए मचेगी होड़
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