scriptनपा में भवन अनुज्ञा के 200 आवेदन पेंडिंग, केवल ‘वीआईपी को स्पेशल ट्रीट | 200 applications for building permission pending in NAPA, special trea | Patrika News

नपा में भवन अनुज्ञा के 200 आवेदन पेंडिंग, केवल ‘वीआईपी को स्पेशल ट्रीट

locationजांजगीर चंपाPublished: Jul 02, 2022 09:48:50 pm

नगरपालिका जांजगीर नैला में भवन अनुज्ञा के लिए तकरीबन २०० आवेदन पेंडिंग में है। लोग मकान निर्माण के लिए आवेदन जरूर लगाए हैं लेकिन उन्हें नपा से अनुमति नहीं मिल रही है। जिसके चलते शहर मेंमकान निर्माण में रोड़ा अटक रहा है।

नपा में भवन अनुज्ञा के 200 आवेदन पेंडिंग, केवल 'वीआईपी को स्पेशल ट्रीट

नपा में भवन अनुज्ञा के 200 आवेदन पेंडिंग, केवल ‘वीआईपी को स्पेशल ट्रीट

जांजगीर-चांपा। दिलचस्प बात यह है कि केवल वीआईपी लोगों व वीआईपी कालोनियों के लिए धड़ल्ले से अनुमति दी जा रही है। जिसके चलते शहर के लोगों में रोष पनप रहा है। लोग इस बात की शिकायत उच्चाधिकारियों से करते थक जा रहे हैं लेकिन किसी की सुनवाई नहीं हो रही है। हद तो तब हो जा रही है जब नगरपालिका के ही दर्जनों पार्षदों की फाइल पेंडिंग है। यहां तक उन्हें पावती तक नहीं दी जा रही है।
नगरपालिका जांजगीर नैला में यदि आप भवन निर्माण की सोंच रहे हैं तो आपकों ऐसे स्थानों का चयन करना होगा जहां नाली पानी बिजली सहित तमाम सुविधाएं उस स्थान में हो। तभी आपको भवन अनुज्ञा की अनुमति मिल पाएगी। नहीं तो आप मकान निर्माण अनुमति के लिए भटकते रह जाएंगे। क्योंकि नगरपालिका के सीएमओ केवल ऐसे स्थानों में ही मकान निर्माण की अनुमति दे रहे हैं जहां पर बिजली पानी नाली जैसी तमाम सुविधाएं है। हालांकि एक तरह से नपा के सीएमओ की सोंच भी अच्छी है लेकिन सीएमओ का भेदभाव शहर के लोगों को नहीं पच पा रहा है। लोगों का आरोप है कि जब नियम बना रहे हैं तो सभी के लिए एक समान हो। केवल वीआईपी व वीआईपी कालोनी के लोगों को ही धड़ल्ले से अनुमति क्यों दी जा रही है। जबकि उन स्थानों में भी ढेर सारी खामियां है। इसके बाद भी नपा के अधिकारी ऐसे लोगों पर दरियादिली दिखा रही है।
पावती तक नसीब नहीं
नगरपालिका के एक पार्षद विवेक सिंह ने बताया कि वे भी अपने लिए मकान निर्माण के लिए भवन अनुज्ञा की अनुमति के लिए आवेदन दिया है लेकिन उन्हें पावती तक नहीं दी जा रही है। ऐसे में उनका मकान निर्माण का सपना केवल ‘सपनाÓ बनकर रह गया है। नियम के मुताबिक ऐसे आवेदनों को लेकर100 रुपए का शुल्क जमा करना होता है। लेकिन आवेदन लेने से ही इनकार किया जा रहा है। विवेक सिंह का कहना है कि जब पार्षदों को भवन अनुज्ञा के लिए भटकना पड़ रहा है तो आम आदमी का क्या होगा अंदाजा लगाया जा सकता है।
कितने आवेदन पेंडिंग यह भी नहीं बता रहे
इस संबंध में नगरपालिका के अधिकारियों ने संपर्क कर पूछा गया कि भवन अनुज्ञा की कितने आवेदन पेंडिंग है तो इसकी जानकारी देने के लिए भी संबंधित शाखा के कर्मचारी द्वारा टालमटोल की जा रही है। कभी कहा जाता है कि आवेदन काउंट करना कठिन काम है। कभी कहा जाता है कि अभी कर्मचारी नहीं है। जबकि वीआईपी वर्ग के लोगों का कहीं भी काम नहीं रुक रहा है। आज भी वीआईपी कालोनी हो या वीआईपी आदमी, सभी को धड़ल्ले से मकान निर्माण की अनुमति दी जा रही है।
ऐसे में कैसे होगा शहर का विकास
बिजली पानी सड़क शहर विकास का द्योतक है। इसके अलावा शहर की आबादी बढऩे के साथ-साथ मकानों की संख्या बढऩा भी स्वाभाविक है। यदि शहर में मकान बनेंगे तो निश्चित ही नगरपालिका की आय भी बढ़ेगी। संपत्ति कर, समेकित कर, जल कर सहित तमाम तरह के आय बढ़ेंगे। जब मकान का निर्माण ही नहीं होगा तो शहर का विकास आखिर कैसे हो सकता है। शहर के कई पार्षदों ने यह भी कहा है कि मौजूदा सीएमओ शहर विकास की दिशा में काम नहीं कर रहे हैं। बल्कि कई विकास कार्यों की पेंडेंसी बढ़ाकर शहर को गर्त की ओर ले जाने कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
सीधी बात: चंदन शर्मा, सीएमओ जांजगीर नैला
सवाल: भवन अनुज्ञा के लिए आपके द्वारा अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है?
जवाब: अविकसित कालोनियों व स्थान में अनुमति नहीं देंगे।
सवाल: दो सौ से अधिक आवेदन पेंडिंग है?
जवाब: इतनी पेंडेंसी नहीं है। 50-60 से अधिक पेंडेंसी नहीं है।
सवाल: केवल वीआईपी वर्ग के लोगों व कालोनियों को ही अनुमति दी जा रही?
जवाब: ऐसा नहीं है। स्थान देखकर काम किया जा रहा है।
सवाल: ऐसे में शहर का विकास थम सा जाएगा?
जवाब: विकसित स्थानों में भवन निर्माण की अनुमति देना उचित है।
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