script37 lakh e-rickshaws did not run properly even for 37 days and got junk | 37 लाख के ई-रिक्शा 37 दिन भी ढंग से नहीं चले और हुए कबाड़ | Patrika News

37 लाख के ई-रिक्शा 37 दिन भी ढंग से नहीं चले और हुए कबाड़

locationजांजगीर चंपाPublished: Nov 06, 2022 07:43:01 pm

Submitted by:

Anand Namdeo

डोर टू डोर कचरा कलेक्शन के लिए नपा द्वारा ३७ लाख रुपए खर्च कर खरीदी गई बैटरीचलित ई-रिक्शा ३७ दिन भी ठीक से सड़कों पर नहीं चली होगी और कबाड़ होने की कगार में पहुंच गई है। स्थिति यह है कि पुर्जा-पुर्जा ढीला हो गया है। दस में से छह गाडिय़ां खराब होकर फायर स्टेशन में धूल खाते पड़ी है। इधर शहर में डोर टू डोर कचरा कलेक्शन की हवा निकल चुकी है।

37 लाख के ई-रिक्शा 37 दिन भी ढंग से नहीं चले और हुए कबाड़
37 लाख के ई-रिक्शा 37 दिन भी ढंग से नहीं चले और हुए कबाड़
जांजगीर-चांपा. गौरतलब है कि नगरपालिका जांजगीर-नैला को मिशन क्लीन सिटी के तहत शहर में डोर टू डोर कचरा कलेक्शन के लिए १० नग बैटरी चलित ई-रिक्शा खरीदा गया है। एक गाड़ी की कीमत ३.७० लाख रुपए है। इसी तरह १० गाडिय़ों के लिए करीब ३७ लाख रुपए खर्च हुए। १४वें वित्त की राशि इसके लिए खर्च की गई है। पिछले साल २ अक्टूबर को गांधी जयंती के अवसर पर ई-रिक्शा का उद्घाटन कर इसे महिला समूहों के हाथों में सौंपा गया था मगर उद्घाटन के कुछ दिनों बाद ही ई-रिक्शा में समस्या आने लगी थी। यानी ३७ लाख रुपए की ई रिक्शा ३७ दिन भी ठीक से नहीं चली है और गाडिय़ां कबाड़ होने की स्थिति में पहुंच गई है और अब चलने लायक नहीं होने से इसे फायर स्टेशन में कबाड़ की तरह रख गया है जहां धूल खाते छह गाडिय़ां पड़ी है। जिस तरह से लाखों की गाडिय़ां बिना चले खराब होकर पड़ी हुई है और उसका मेंटनेंस तक नहीं कराया जा रहा है जिससे शासन का पैसा बर्बाद नजर आ रहा है।
शहर में दम तोड़ चुकी है डोर टू डोर कचरा कलेक्शन
जिला मुख्यालय जांजगीर में शुरु की गई डोर टू डोर कचरा कलेक्शन दम तोड़ चुकी है। संसाधनों के अभाव में जैसे-तैसे कर घरों से कचरा कलेक्शन हो रहा है। स्थिति यह है कि कचरा कलेक्शन करने के लिए महिला समूहों के द्वारा वाहन तक नहीं है। ले-देकर एक्का-दुक्का वाहनों के चलते पूरे शहर में डोर टू डोर कचरा कलेक्शन हो रहा है। ऐसे में हर रोज हर वार्ड से कचरा तक नहीं उठ पा रहा है।
सीएमओ और अध्यक्ष को कोई मतलब नहीं
जिस तरह से शहर में साफ-सफाई की व्यवस्था चरमरा गई है उससे देखकर तो यही लगता है कि सीएमओ को सफाई व्यवस्था को लेकर कोई मतलब नहीं है। गली-मोहल्ले में कचरों का अंबार लगा रहता है। कई-कई दिनों तक कचरा तक नहीं उठता। सफाई व्यवस्था दम तोड़ रही है और पार्षद से लेकर जनप्रतिनिधि सब बदहाल सफाई व्यवस्था को लेकर अंसतुष्ट है मगर इसके बाद भी सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने न तो अध्यक्ष को कोई सरोकार नजर आ रहा है और न ही सीएमओ को मतलब।
लापरवाही के चलते ही स्वच्छता सर्वेक्षण में हर बार फिसड्डी
शहर में सफाई व्यवस्था बनाने में नाकामी की ही वजह है कि स्वच्छता सर्वेक्षण में हर बार जांजगीर-नैला निकाय फिसड्डी साबित हो रहा है। जिला मुख्यालय का नगरपालिका होने के बावजूद स्वच्छता रैकिंग में हर साल किरकिरी हो रही है। इधर ई रिक्शा की गारंटी अवधि पर होने पर जिम्मेदारों के द्वारा यही दावा किया जाता है कि मेंटनेंस को लेकर ई रिक्शा सप्लाई करने वाले ठेेकेदार को नोटिस दिया गया है । जबकि गाडिय़ां महीनों से खराब होकर पड़ी है तो भी मेंटनेंस आखिर कहां हो रहा है।
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