स्कूल शिक्षा विभाग के द्वारा सालाना करोड़ो खर्च करने के बाद व अन्य तामझाम के बाद भी ५० फीसदी स्कूलों में फर्नीचर की व्यवस्था नहीं कर पाई है। सुविधाविहीन स्कूलों में हजारों छात्र अपना भविष्य गढ़ रहे हैं लेकिन स्कूलों में अब तक फर्नीचर की व्यवस्था नहीं हो पाई है। शिक्षा को बढ़ावा देने प्रशासन दिन ब दिन सजग होते दिखाई दे रही है, लेकिन मैदानी स्तर में व्यवस्था वास्तविकता से जुदा है।
स्कूलों में सबसे खराब स्थिति फर्नीचर की है। जिले के ५० फीसदी स्कूलों में फर्नीचर नहीं है। शिक्षा विभाग से मिले आंकड़े के मुताबिक ७९८ मिडिल स्कूलों में केवल ५०५ मिडिल स्कूलों में फर्नीचर की सप्लाई हो पाई है। बाकी स्कूलों में फर्नीचर की व्यवस्था नहीं है। बच्चे जमीन पर बैठकर तालीम लेने मजबूर हैं। इसके अलावा सबसे खराब स्थिति आरएसएमए के स्कूलों की है। जिले के लगभग ५० हाई स्कूलों में फर्नीचर की व्यवस्था नहीं है। हाईस्कूल के बड़े-बड़े छात्र छात्राएं जमीन पर बैठकर तालीम ले रहे हैं।
साल भर बाद भी मूर्त रूप नहीं ले पाई सौंदर्यीकरण योजना, अब भी आधे-अधूरे पड़े निर्माण कार्य जो है उसमें क्वालिटी नहीं
जिले के जिन ५० फीसदी स्कूलों में फर्नीचर आया है उसमें क्वालिटी नहीं होने से टूटकर बिखर गए हैं। जिसे स्कूल के शिक्षक एक कमरे में डंप कर दिए हैं। शिक्षकों की माने तो फर्नीचर की सप्लाई उपर से ही होती है। मंत्री लेवल के अफसर राज्य स्तर से ही गावों के स्कूलों में फर्नीचर की सप्लाई कराते हैं। फर्नीचर की क्वालिटी इतनी घटिया होती है कि चंद दिनों में ही टूट जाती है। अलबत्ता बच्चों को जमीन पर ही बैठकर तालीम लेना पड़ता है। इससे शासन को कोई सरोकार नहीं है।
-जिन स्कूलों में फर्नीचर की सुविधा नहीं है उन स्कूलों की जानकारी बनाकर राज्य शासन को भेज दी गई है। फर्नीचर की सप्लाई उपर से ही होती है -डीके कौशिक, डीईओ