scriptपुस्तक मेला में दुसरे दिन एक्टर अखिलेन्द्र मिश्रा पहुंचे शहर | Actor Akhilendra Mishra reached the city on the second day in the book | Patrika News

पुस्तक मेला में दुसरे दिन एक्टर अखिलेन्द्र मिश्रा पहुंचे शहर

locationजांजगीर चंपाPublished: Feb 16, 2020 11:52:04 pm

Submitted by:

sandeep upadhyay

पुस्तक मेला में दुसरे दिन एक्टर अखिलेन्द्र मिश्रा पहुंचे शहर

पुस्तक मेला में दुसरे दिन एक्टर अखिलेन्द्र मिश्रा पहुंचे शहर

पुस्तक मेला में दुसरे दिन एक्टर अखिलेन्द्र मिश्रा पहुंचे शहर

रायपुर. बीटीआई मैदान में चल रहे राष्ट्रीय पुस्तक मेला में दूसरे दिन पुस्तक प्रेमियों की काफी भीड़ दिखी। टॉपर्स एजूकेशनल सोसायटी की ओर से आयोजित इस 18वें किताब मेले में शाम के समय लोगों के मनोरंजन के लिए कार्यक्रम भी हो रहे हैं। इसमें पहले दिन जहां कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया तो दूसरे दिन चंद्रकांता सीरियल से यकु की भूमिका से चर्चित हुए और लगान जैसी कई फिल्मों अपने अभिनय का जलवा दिखा चुके एक्टर अखिलेन्द्र मिश्रा शहर पहुंचे। मिश्रा ने कहा कि आज बॉलीवुड फिल्मों में से भारतीय संस्कृति गायब सी हो गई है। आज कल की फिल्मों में 100 करोड़ का नया ट्रेंड शुरू हुआ है। आज फिल्मों का प्रमोशन उसकी लागत को बताकर किया जा रहा है।
बॉलीवुड फिल्मों के पुराने और नए दौर पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने बताया कि लोग बॉलीवुड फिल्मों को अधिक पंसद करते हैं। लेकिन बॉलीवुड वाले पुरानी फिल्मों के कंटेट को परोसने में लगे हुए हैं। डॉयरेक्टर यह नहीं देखना चाहते या पता नहीं करना चाहते कि आखिर बॉलीवुड फिल्म क्यों हीट हो रही। लोगों को उस फिल्म में क्या अच्छा लग रहा है और उनकी डिमांड क्या है। उन्होंने कहा कि भारत को अपनी संस्कृति को साफ रखकर आगे चलना होगा। अखिलेन्द्र मिश्रा ने कहा उनके पास कई फिल्में आती हैं, लेकिन वह उनमें से कई को इसलिए साइन नहीं करते क्योंकि उनके नाम गलत होने के साथ ही संस्कृति से हटकर होते हैं।
सहित्य पर बननी चाहिए फिल्में

अखिलेन्द्र का कहना है भारत में साहित्य पर फिल्में नहीं बनती, लेकिन साहित्य में लिखी कहानी से फिल्म बन जा रही है। वह भी साहित्यकार से बिना पूछे बगैर। उनका कहना है, पहले के समय में डॉयलाग में हिंदी और उर्दू भाषा होती थी। लेकिन अब एक्टर हिंदी के साथ अंग्रेजी साथ बोलने लगे है। चीन, जपान की फिल्मों में वहां कि संस्कृति देखने को मिलती है। भारत को फिर अपनी संस्कृति में लौटकर फिल्म बनाना होगा।
विदेशों में भाषा को मिलती है जगह
अखिलेन्द्र का कहना है, भारत में केवल हिंदी भाषा को मल्टीपेक्स में जगह मिलती है। क्षेत्रिय भाषा कभी यहां तक नहीं पहुंचती है। विदेशों में भाषा को महत्व दिया जाता है। देश में सिंगल पर्दे बंद करते वक्त लोग काफी खुश हुए की अब हम फिल्मों को बड़े पर्दे में देखेंगे। लेकिन वही लोग अब पुराने पर्दे में लौटना चाहते है। पुस्तक मेला को लेकर अखिलेन्द्र ने कहां, शहरों में ऐस आयोजन होने से लोगों में भाषा और संस्कृति का संचार होगा। इस दौरान उन्होंने आम लोगों से चर्चा की।
पंसदीदा लेखक से मिले पाठक
पुस्तक मेला में दिनभर किताब प्रेमियों की भीड़ जुटी रही। लोगों ने अपनी रूचि अनुसार किताबे खरीदी। वही पंसदीदा लेखक से चर्चा भी की। कार्यक्रम में हिंदी युग्म प्रकाशक के लेखक सत्य व्यास, नवीन चौधरी, अंकिता जैन पहुंचे हुए थे। लेखकों स्टाल में बैठकर ना केवल किताबों का प्रचार किया। इस दौरान पाठकों से किताब के संदर्भ में चर्चा भी की।
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