एसडीएम ने तुरंत तहसीलदार जेआर शतरंज और नायब तहसीलदार नेत्रप्रभा सिदार को बीएमओ के सरकारी आवास में भेजा और जांच कर उनकी सोनोग्राफी मशीन के सील किया। तहसीलदार ने इसकी रिपोर्ट कलेक्टर को सौंप दी है।
दरअसल बीएमओ डॉ. आरएस जोशी पामगढ़ सीएचसी परिसर में स्थित शासकीय आवास में रहते हैं। इसी आवास में इन्होंने अपनी निजी सोनोग्राफी मशीन रखकर सोनोग्राफी की दुकान संचालित कर रखी है। इसकी दुकान धड़ल्ले से इसलिए चल रही है क्योंकि पामगढ़ व आसपास के क्षेत्र में सोनोग्राफी की सुविधा नहीं है। इसके चलते डॉ. जोशी के घर में दिन भर गर्भवती महिलाओं और अन्य पेट से संबंधित मरीजों की लाइन लगी रहती है।
पर सोनोग्राफी 7-8 सौ रुपए की फीस मिलने के चलते डॉ. जोशी भी ड्यूटी से अधिक सोनोग्राफी करने पर
ध्यान दे रहे थे। इससे काफी मरीज परेशान थे और उन्होंने इसकी शिकायत कलेक्टर से की। कलेक्टर ने तुरंत इसके खिलाफ जांच के निर्देश दिए।
हालाकि बीएमओ का कहना है कि उन्होंने सोनोग्राफी मशीन संचालित करने के लिए बाकायदा लाइसेंस लिया है। अब यह लाइसेंस शासकीय आवास के लिए है या फिर किसी निजी दुकान के लिए यह अभी भी संसय है।
अस्पताल के मरीज और बीएमओ की कमाई
पामगढ़ सीएचसी शासकीय सेवा नहीं बल्कि वहां पदस्थ डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस का हब बनकर रह गया है। यहां डॉ. आर डाहिरे और डॉ. केके डाहिरे से लेकर अन्य डॉक्टर मरीजों की जांच करते हैं। इनके द्वारा अस्पताल से लेकर घर में जांच किए जाने वाले मरीजों तक को सोनोग्राफी जांच के लिए बीएमओ के घर भेजा जाता था। इससे सभी डॉक्टर अपनी-अपनी कमाई में मस्त थे और गरीब मरीज पस्त थे।
जिला अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट की जरूरत– जिला अस्पताल जांजगीर में एक ही रेडियोलॉजिस्ट की पदस्थापना है। वह इतने आराम तलब है कि 20 से अधिक सोनोग्राफी नहीं करते फिर चाहे कलेक्टर ही क्यों न आदेश दें। ऐसे में मरीजों का काफी परेशानी हो रही है। यदि डॉ. आरएस जोशी को यहां पदस्थ कर दिया जाए तो एक दिन में यहां सभी मरीजों की सोनोग्राफी सरकारी दर पर आसानी से हो पाएगी।