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कुंदरूझांझ में आजादी के 70 वर्ष बाद भी ऐसे हैं हालात, पढि़ए खबर

locationजांजगीर चंपाPublished: Nov 15, 2017 04:00:53 pm

Submitted by:

Rajkumar Shah

डभरा क्षेत्र के ग्राम पंचायत मिरौनी के आश्रित ग्राम कुन्दरूझांझ में शासन की बुनियादी सुविधाओं की किरण आजादी के 70 साल बाद भी नहीं पहुंच पाई है।

शासन की बुनियादी सुविधाओं की किरण आजादी के 70 साल बाद भी नहीं पहुंच पाई है।

डभरा क्षेत्र के ग्राम पंचायत मिरौनी के आश्रित ग्राम कुन्दरूझांझ में शासन की बुनियादी सुविधाओं की किरण आजादी के 70 साल बाद भी नहीं पहुंच पाई है।

जांजगीर- डभरा. डभरा क्षेत्र के ग्राम पंचायत मिरौनी के आश्रित ग्राम कुन्दरूझांझ में शासन की बुनियादी सुविधाओं की किरण आजादी के 70 साल बाद भी नहीं पहुंच पाई है। यह वजह है कि यहां के ग्रामीर अंग्रेज जमाने के समय की तरह जीवन बसर करने मजबूर हैं।
ग्राम कुन्दरूझांझ में पहुंच मार्ग के लिए कच्ची सड़क है। जिसमें पुल पुलिया का भी अभाव है। वहीं शासकीय प्राथमिक शाला भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है, विद्यालय में छात्र छात्राओं के लिए शौचालय एवं पेयजल की सुविधा अब तक नहीं है। यहां के ग्रामीण हर बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं।

जिला मुख्यालय से १२० किलोमीटर दूर तो पहीं ब्लाक मुख्यालय से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम कुन्दरूझांझ की कहानी बड़ी अजीब है। गांव जिला मुख्यालय की दूरी का दंश झेल रहा है। गांव की की आबादी लगभग 700 है। जहां आज तक विकास की कल्पना करना बेमानी से कम नहीं है।
इस ग्राम में प्राथमिक विद्यालय सन 1973 से संचालित है, इस विद्यालय में कुल 20 छात्र छात्राएं पढ़ाई करते हैं। जिसमें ८ बालिका एवं १२ बालक अध्ययनरत हंै। विद्यालय में दो शिक्षिका पदस्थ है। एक प्रभारी प्रधान पाठक के पद है, तो दूसरी शिक्षिका है। 20 बच्चों के पीछे दो शिक्षक पदस्थ हंै।
वहीं विद्यालय भवन की छत पूरी तरह से जर्जर हो चुकी हैं। नीचे का फार्स भी उखड़ गया है। एक ही कमरा और छोटा सा बरामदा है, आज तक इस विद्यालय को 44 सालों के बाद भी सुविधा युक्त भवन नहीं मिला है। जबकि विद्यालय में शौचालय तक नही है, पूर्व में निर्मित शौचालय जर्जर होकर टूट चुका है। विद्यालय परिसर में लगे हेड़पंप तीन माह से खराब पड़ा हुआ है। पानी के लिए बच्चे दूर दूर जाते हैं। जबकि सरकार गांव-गांव में शौचालय निर्माण करा रही है। परन्तु इस विद्यालय में शौचालय व पेशाब घर तक नहीं है।
बच्चे खुले में शौच करने विवश हैं। विद्यालय में मध्यान्ह भोजन लकड़ी से पकाया जा रहा है, ग्राम कुन्दरूझांझ में पहुंचने के लिए कच्ची सड़क है जो खेत के मेड़ को चौड़ाकर बनाया गया है। जहां बारिश में पैदल चलना भी मुश्किल होता है। गांव से बारिश के दिनों में स्कूली बच्चों के पढ़ाई करने बाहर जाने में दिक्कत होती है। क्योंकि गांव जाने के लिए ठीक ढंग से रास्ता भी नहीं है।

गांव तक नहीं पहुंच पाती संजीवनी– गांव पहुंचने के लिए रास्ता नहीं होने से यहां संजीवनी भी नहीं पहुंच पाती। किसी कि अचानक तबीयत खराब होने से बारिश के दिनों में पगडंडियों वाली रास्ते से आवागमन करना पड़ता है। ग्राम के उरांव मोहल्ले में पेयजल की समस्याएं गंभीर है। इस बारे में ग्राम कुन्दरूझांझ के ग्रामीण डमरूधर पटेल व राजू पटेल ने बताया कि गांवो में कोई विकास नहीं हुआ है।
गांव की गलियों बारिश में कीचड़ से भर जाता है। उरांव मोहल्ला में पेयजल की समस्या व सीसी रोड गांव में पहुंचने के लिए पक्की सड़क तक नहीं है। समस्याओं के बारे में क्षेत्रीय विधायक व प्रशासन को अवगत करा चुके है, पर समस्या जस की तस है। इस संबंध में ग्राम पंाचयत मिरौनी के सचिव सतीश सिदार ने कहा कि विद्यालय भवन एवं गांव की मूलभूत सुविधाओं के लिए ग्राम पंचायत से प्रस्ताव पारित कर जनपद पंचायत भेज दिया गया है, लेकिन अब तक किसी तरह के विकास कार्य शुरू नहीं हो पाया है।

प्रस्ताव उपर भेजा जाएगा– कुन्दरूझांझ गांव के विकास के बारे में जांच कराई जाएगी। और जांच रिपोर्ट मिलने के बाद अगर भवन की आवश्यकता हुआ तो तत्काल ग्राम पंचायत से प्रस्ताव मंगाकर उच्च अधिकारियों को प्रेषित किया जाएगा। सड़क के लिए भी प्रस्ताव उपर भेजा जाएगा।
– नितेश कुमार उपाध्याय सीईओ डभरा

ग्राम पंचायत से प्रस्ताव भेजा जाएगा– प्रा. शाला भवन जर्जर होगा तो ग्राम पंचायत से प्रस्ताव मंगवाकर जिला पंचायत को स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा। शिक्षा संबंधित अन्य सुविधाओं के लिए प्रस्ताव मिलने के बाद उचित कदम उठाया जाएगा।
– ताराचन्द भोई बीईओ डभरा

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