आखिरकार नहर की धार हो गई बंद पर नहीं टूटी कुंभकरर्णीय नींद
इसे लापरवाही की हद की कहे कि नहर की धार बंद हो गई लेकिन जिम्मेदारों की कुंभकरर्णीय नींद नहीं टूटी। नहर के पानी से तालाब को भरने गड्ढा खोदकर बनाय गया रास्ता सूखा ही पड़ा रह गया लेकिन बूंदभर पानी नहर से नहीं पहुंचा। नतीजा तालाब मैदान ही बना हुआ है और लोगों को अब गर्मी भर निस्तार के लिए भटकना पड़ेगा।
जांजगीर चंपा
Published: April 24, 2022 09:13:43 pm
जांजगीर-चांपा. शहर के निस्तारी तालाबों को नहर से भरने में इस बार भयंकर लापरवाही की जा रही है। शहर के खडफ़ड़ी पारा में स्थित तालाब सूखकर पूरी तरह से मैदान बना हुआ है। यहां केवल पत्थर ही नजर आ रहा है। इस तालाब को भरने जिम्मेदारों ने गड्ढा खोदकर रास्ता जरुर बनाया है मगर इससे बूंदभर पानी पहुंचा या नहीं यह देखने कोई नहीं पहुंचा। लिहाजा न तो इस गड्ढे में बूंदभर पानी आया और न ही तालाब बूंदभर पानी भरा। भरी गर्मी में तालाब पूरी तरह से सूखा पड़ा हुआ है जबकि आसपास के लोग बड़ी संख्या में तालाब पर ही निस्तार के लिए आश्रित है। इसके बावजूद जिम्मेदारों की लापरवाही लोगों को भारी पड़ेगी। गर्मी में निस्तार के लिए भटकना पड़ेेगा। क्योंकि अब नहर की धार आधी हो गई है जो कुछ दिनों में पूरी तरह से थम जाएगी।
नहर की धार हुई कम
इधर नहर की धार कम कर दी गई है। कुछ दिन पहले तो नहर टापोटाप बह रहा था लेकिन जिम्मेदारों की कुंभकरर्णीय नींद ही नहीं टूटी जिससे शहर के कई तालाब सूख ही रह गए हैं। इधर नहर चलने से अब तक शहर में वाटर लेबल भी बना हुआ है लेकिन जैसे ही नहर की धार बंद हो जाएगी वैसे ही जलसंकट शुरु हो जाएगा। ऐसे में अभी जो लोग नहर से निस्तार कर ले रहे हैं उन्हें भी भटकना पड़ेगा। क्योंकि तालाब भी सूखे पड़े हुए हैं। एक ओर पालिका शहर को टैंकर मुक्त बनाने में अमादा है लेकिन दूसरी ओर जिन कार्यों से शहर का वाटर लेबल बना रहता उसी में लापरवाही की गई। पिछले दो सालों से शहर में टैंकर नहीं चलाया गया है जिसके लिए काफी हद तक नहर का पानी ही है जिससे क्षेत्र का वाटर लेबल बना हुआ था क्योंकि समय रहते तालाबों को भी भर लिया गया था।

आखिरकार नहर की धार हो गई बंद पर नहीं टूटी कुंभकरर्णीय नींद
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