पुलिस वालों ने यह दलील दी कि हर रोज ऐसे मामले आते रहते हैं। रोज-रोज ऐसी रिपोर्ट लिखते बैंठें तो उनका पूरा दिन ऐसे ही मामले में निकल जाएंगे। पुलिस वालों ने उसे उपभोक्ता फोरम जाने की सलाह दी। आखिरकार कृषि वैज्ञानिक ने पुलिस वालों पर गुस्सा करते हुए बैरंग लौट गया। कृषि विज्ञान केंद्र में पदस्थ चंद्रशेखर खरे ने बीते दिनों सुपर साइन ट्रेडिंग कंपनी से रेडमी नाट फोर कंपनी का ऑनलाइन मोबाइल मंगाया था। मोबाइल की कीमत 4500 रुपए निर्धारित थी। उसने कंपनी को ऑनलाइन भुगतान कर मोबाइल का आर्डर किया था। शुक्रवार की शाम 4 बजे पोस्टआफिस से उसके पास फोन आया कि उसका एक जरूरी डाक आया है। जिसे ले जाओ। खरे तत्काल पोस्टआफिस पहुंचा और डॉक को दफ्तर के भीतर ही चार-पांच लोगों के बीच खोला।
Weather : द्रोणिका का असर खत्म, पूरे महीने भर पड़ेगी तेज गर्मी परत दर परत वह डिब्बे को खोलता गया जिसमें से कागज व खाकी कलर के कार्टून का कतरन निकलते गया। इसे देखकर उसकी आंखें फटी ही रह गई। पहले तो वह पोस्टआफिस वालों पर अपनी भड़ास निकाली। इसके बाद वह सीधे मामले को लेकर कोतवाली थाना पहुंच गया। कोतवाली में वह डे अफसर दिलीप सिंह को आपबीती बयां की। दिलीप सिंह ने उसकी बातें फुरसत से सुनी और उसकी शिकायत दर्ज की।
इसलिए नहीं लिखी रिपोर्ट
कोतवाली के एएसआई दिलीप सिंह ने बताया कि बाजार में ठगी का कारोबार सिर चढ़कर बोल रहा है। आए दिन इस तरह की ऑनलाइन ठगी हो रही है। यदि वह हर रोज इस तरह की रिपोर्ट लिखते जाए तो उन्हें केवल एक ही काम रह जाएगा। उन्होंने तर्क दिया कि इसके लिए वह उपभोक्ता फोरम जाए।
दरअसल इस तरह के दर्जनों मामले लंबित हैं। रिपोर्ट तो दर्ज कर ली जाती है, लेकिन मामलों की निकाल नहीं हो पाती। क्योंकि ऐसी कंपनियों को कोई पता ठिकाना नहीं होता। मामले की निकाल करने पुलिस को बेवजह माथापच्ची करनी पड़ती है। यही वजह है कि ऐसे मामलों की रिपोर्ट दर्ज करने परहेज किया जाता है।