स्कूल खुलते ही निजी स्कूलों में पग-पग में लुट रहे अभिभावक, शिक्षा विभाग का नहीं कोई कंट्रोल
स्कूल खुलते ही निजी स्कूलों की मनमानी शुरु हो गई है। कई निजी स्कूलों में रि-एडमिशन से लेकर नए सत्र में प्रवेश को लेकर एडमिशन फीस में १० से १५ फीसदी तक बढ़ोतरी कर दी गई है। ऊपर से डे्रस, किताबें भी उन्हीं के तय दुकानों में खरीदने का दबाव बनाया जा रहा है।
जांजगीर चंपा
Published: April 03, 2022 06:48:17 pm
जांजगीर-चांपा. निजी स्कूलों में अभिभावक पल-पल में लूटने को मजबूर हो रहे हैं। निजी स्कूलों में फीस को लेकर भले ही शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा दावा किया जा रहा है कि उनका कंट्रोल है मगर धरातल में यह नजर नहीं आ रहा। यही वजह है कि अधिकांश निजी स्कूलों में अपने हिसाब से फीस तय किया जाता है और अभिभावकों पर फीस भरने दबाव बनाया जाता है। इधर शिक्षा विभाग के अधिकारी रटारटाया जवाब देते हैं कि अभिभावक अगर इस तरह की शिकायतें लेकर आते हैं तो कार्रवाई की जाती है। दोनों शैक्षणिक जिले में करीब ७०० से ज्यादा निजी स्कूल होंगे। इन निजी स्कूलों में नए शिक्षा सत्र के लिए प्रवेश व पुन: प्रवेश की प्रक्रिया शुरु हो गई है। बच्चों को अगली कक्षा में प्रवेश के लिए भी फीस वसूल किया जा रहा है। इतना ही नहीं स्कूल प्रबंधन कमीशन के खेल में सिंडीकेट बनाकर दुकानों में निजी पब्लिकेशन की पुस्तकों का ब्रांड बताकर खरीदने के लिए दबाव बना रहे हैं तो वहीं यूनिफार्म के लिए यही रास्ता अपना जा रहा है। ऐसे में अभिभावक भी उन्हीं दुकानों में जितनी कीमत मांगते हैं देकर खरीदने मजबूर हैं।
8 प्रतिशत से ज्यादा नहीं बढ़ा सकते हैं फीस
शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार निजी स्कूलों में फीस निर्धारण के लिए फीस विनियामक समिति गठित रहती है। इसमें संबंधित स्कूल के प्रमुख नोडल रहते हैं जिनकी बैठक ली जाती है। अधिकारियों की माने तो कोई भी स्कूल प्रबंधन पिछले साल की तुलना में फीस में अधिकतम ८ प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी नहीं कर सकता। मगर बता दें यह नियम कायदे केवल कागजों तक सिमट कर रह जाते हैं। अधिकांश स्कूल प्रबंधन अपने मनमुताबिक फीस तय करते हैं। अगर अभिभावकों द्वारा ज्यादा ही विरोध किया जाता है तो उसे अलग से बुलाकर फीस में कुछ कमी-बेसी कर मामला दबा देते हैं जिससे शिकायत भी अफसरों तक नहीं पहुंच पाती।
कोरोना काल का दिया जा रहा हवाला
इधर कई स्कूल प्रबंधनों द्वारा फीस बढ़ाने के पीछे यह तर्क दे रहे हैं कोरोना काल के दौरान आधी ही फीस ली जा रही थी। इसीलिए अब जब पूरी फीस ली जा रही है तो अभिभावकों को लग रहा है कि एकाएक फीस दोगुनी ली जा रही है। कोरोना काल में काफी नुकसान उठाना पड़ा है। स्कूल बंद होने के कगार में पहुंच गए थे। ऐसे में फीस में बढ़ोतरी जायज भी है।
एक माह के नए डे्रस व पुस्तकें खरीदने का दबाव
नई कक्षाएं एक अप्रैल से प्रारंभ होते ही बच्चों को नए ड्रेस व पुस्तकें लेकर आने कहा जा रहा है जबकि बच्चे कुछ दिन ही स्कूल जाएंगे। जिसके बाद फिर से गर्मी की छुट्टी हो जाएगी। इधर अभी से गर्मी ४० डिग्री तापमान को पार कर रही है। अभी मौसम और तपेगा। ऐसे में कुछ दिनों के लिए नए यूनिफार्म और पुस्तक लेने के बजाए अभिभावक नए सत्र में ही खरीदने की बात कह रहे हैं मगर कुछ निजी स्कूल अभी से दबाव बनाने लगे हैं।
स्कूल बस किराया भी हुआ महंगा
स्कूल प्रबंधनों ने महंगाई के नाम पर स्कूल बसों के किराए में भी बढ़ोतरी कर दी है। ऐसे में बच्चों को घर से स्कूल तक आवाजाही के लिए बस की सुविधा लेने पहले की तुलना में अधिक पैसों का भुगतान करना होगा। इसमें भी अलग-अलग स्कूलों में एक ही क्षेत्र के किराए की दर विभिन्न है।
वर्जन
स्कूल प्रबंधन अधिकतम ८ प्रतिशत तक ही फीस में बढ़ोतरी कर सकते हैं वो भी गत वर्ष की तुलना में। इससे अधिक फीस लेना गलत है। फीस निर्धारण को लेकर सभी स्कूलों के नोडलों को निर्देशित किया गया है। अगर कहीं ज्यादा फीस लेते हैं तो शिकायतें कर सकते हैं। जांच कर कार्रवाई होगी।
कुमुदनी द्विवेदी, डीईओ जांजगीर

स्कूल खुलते ही निजी स्कूलों में पग-पग में लुट रहे अभिभावक, शिक्षा विभाग का नहीं कोई कंट्रोल
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