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पांच लाख रुपए तक इलाज की गारंटी, मगर स्मार्ट कार्ड से साढ़े तीन सौ रुपए की दवा नहीं मिल रही

locationजांजगीर चंपाPublished: May 15, 2019 08:01:29 pm

Submitted by:

Vasudev Yadav

डॉग बाइट : जिला अस्पताल में एंटी रैबिज का स्टॉक खत्म, लोकल पर्चेच पर दवा नहीं मिलने से हाथ कर दिए खड़ेभयावह स्थिति : बच्चों को रखे संभालकर, कुत्ते ने काटा तो इलाज मुश्किल

बच्चों को रखे संभालकर, कुत्ते ने काटा तो इलाज मुश्किल

पांच लाख रुपए तक इलाज की गारंटी, मगर स्मार्ट कार्ड से साढ़े तीन सौ रुपए की दवा नहीं मिल रही

जांजगीर-चांपा. हमारे पास दवा का स्टॉक खत्म हो चुका है। स्मार्टकार्ड है तो भी दवा मंगाकर नहीं लगा सकते, क्योंकि बाहर मार्केट में भी कहीं दवा मिल नहीं रही है। आपको अगर किसी निजी दुकान से मिल रही है तो खरीदकर ले आए, हम लगवा देंगे।
बुधवार को ऐसा ही नजारा जिला अस्पताल में देखने को मिला जब अस्पताल प्रबंधन के जिम्मेदारों द्वारा डॉग बाइट का शिकार हुए मरीजों को इस तरह की सलाह दी जा रही थी। कुत्तों का शिकार हुए मरीज और उनके परिजन इंजेक्शन लगवाने के लिए इधर से उधर भटकते रहे। बाहरी मेडिकल स्टोर्स में भी दवा नहीं मिलने की बात सुनकर मरीज और परिजनों के चेहरे पर खौफ भी दिख रहा था।
दरअसल जिला अस्पताल में सोमवार से वैक्सीन का स्टॉक खत्म हो चुका है। यह दवा भी अस्पताल प्रबंधन द्वारा लोकल पर्चेच कर व्यवस्था की गई थी जो अब खत्म हो गई है। अब समस्या और बढ़ गई है कि अस्पताल प्रबंधन को लोकल पर्चेच पर भी दवा उपलब्ध नहीं होने की बात कही जा रही है। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि लोकल पर्चेच पर भी गिनती की दवा मिल रही है जबकि हमें थोक में दवा की जरूरत है। चार-पाच मरीज तो रोज आ रहे हैं। जिसके कारण यहां आने वाले मरीजों को स्टाफ द्वारा बाहर से रुपए खर्च कर वैक्सीन मंगा रहे हैं। जिले के दूसरे स्वास्थ्य केंद्रों में भी और भी बुरा हाल है।

चार महीने से सीजीएमएससी से सप्लाई बंद
जिले के सरकारी अस्पतालों में पिछले करीब चार महीनों से एंटी रैबिज वैक्सीन की सप्लाई नहीं हुई है। सीजीएमएससी जांजगीर-चांपा के असिस्टेंट मैनेजर मुकुंद चंद्रा से बात करने पर उन्होंने बताया कि रायपुर से सप्लाई होती है। करीब चार महीने से दवा नहीं आ रही है इसलिए जिले के सरकारी अस्पतालों में दवा नहीं है। उल्लेखनीय है कि सीजीएमएससी से टेंडर होने में देरी की वजह से सप्लाई बाधित हो गई है।

स्मार्टकार्ड है तो भी क्या करें
डॉग बाइट का शिकार हुए बस्ती के नुकुल कुमार बुधवार को जिला अस्पताल आया था। यहां दवा खत्म होने की बात कहकर बाहर से खरीदकर लाने की सलाह दी गई। वहीं स्मार्टकार्ड है तो उससे दवा मिलने की बात कही। मरीज आयुष्मान मित्र के पास पहुंचा तो उसने डॉग बाइट का नाम सुनते ही कह दिया कि अस्पताल में इंजेक्शन ही नहीं है तो कार्ड से कहां मिलेगा। अंत में नुकुल ने साढ़े ३५० में बाहर से इंजेक्शन खरीदा।

शहर में कुत्तों का आंतक, हर महीने १०० शिकार
शहर में आवारा कुत्तों का आतंक भी बना हुआ है। खासकर छोटे बच्चे इनका शिकार हो रहे हैं। हर महीने जिला अस्पताल में डॉग बाइट के १०० मरीज आ रहे हैं। जनवरी में १०५, फरवरी में ९१, मार्च में ९९ तो अप्रैल में ९१ मरीजों को जिला अस्पताल पहुंचे। इधर रोज चार के करीब मरीज आ रहे हैं।

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