किताबें और गणवेश नहीं पहुंची स्कूलों में, कैसे मनेगा प्रवेशोत्सव
१६ जून को इस बार स्कूलों में शाला प्रवेशोत्सव मनाया जाना है। पहले ही दिन स्कूल में आने वाले बच्चों को पाठ्यपुस्तकें और गणवेश का वितरण किया जाएगा। स्कूल खुलने को अब महज चार दिन ही शेष बचे हैं लेकिन स्थिति यह है कि अभी भी अधिकांश स्कूलों में गणवेश और किताबें पहुंच ही नहीं पाई है।
जांजगीर चंपा
Updated: June 11, 2022 10:06:59 pm
जांजगीर-चांपा. संकुलों में किताबें डंप पड़ी हुई है और स्कूलों को बांटने में संकुलों के द्वारा कोताही बरती जा रही है। साथ ही किस स्कूलों में कितना गणवेश और किताब दिया गया है इसकी भी ऑनलाइन एंटी संकुलों को करनी है लेकिन इसमें भी लापरवाही बरती जा रही है। जिसके चलते एंट्री के काम में जिला काफी पिछड़ गया है। यही हाल रहा तो शाला प्रवेशोत्सव अधूरी तैयारियों के बीच मनेगा और बच्चों को बिना गणवेश और किताब मिले ही प्रवेश दिलाना पड़ जाएगा।
गौरतलब है कि कोरोना के चलते पिछले दो सालों से स्कूलों में शाला प्रवेशोत्सव का आयोजन नहीं हो पाया है। यह साल स्थिति अच्छी है इसीलिए शासन ने १६ जून को सभी सरकारी स्कूलों में शाला प्रवेशोत्सव मनाने के निर्देश दिए हैं। इसके तहत बच्चों को टीका, आरती उतारते हुए प्रवेश दिलाया जाएगा और पहले ही दिन किताबें और गणवेश बांटी जाएगी। इसके लिए मिडिल और प्राइमरी स्कूलों के बच्चों के लिए किताबें पूर्व से ही संकुलों में भेज दी गई है। यहां से स्कूलों को वितरण किया जाना है लेकिन इसमें कोताही बरती जा रही है। कई स्कूलों में अब तक किताबें नहीं पहुंची गई है। संकुलों में ही किताबों को पकड़कर बैठै हैं। इधर स्कूल खुलने में महज ४ दिन का समय बचा है। ऐसे में स्कूलों में ही किताबेें और गणवेश नहीं पहुंच पाएगी तो शिक्षक बच्चों को वितरण कैसे करेंगे। हालांकि इसको लेकर जिला प्रशासन के द्वारा सभी डीईओ, बीईओ को निर्देशित भी कर दिया गया है कि समय पर वितरण कराएं और ऑनलाइन एंट्री की जाए मगर संकुलों के द्वारा इसमें लापरवाही बरती जा रही है।
गणवेश संकुलों तक भी नहीं पहुंची
इधर किताबें तो बच्चों को मिल भी जाएगी लेकिन गणवेश का तो अब तक संकुलों में भी नहीं सप्लाई हो सकी है। बताया जा रहा है कि हाथकरधा से संकुलों में सीधे गणवेश का वितरण किया जा रहा है लेकिन अधिकतर संकुलों में ही अब तक गणवेश नहीं पहुंच पाया है। ऐसे में कई संकुलों के द्वारा स्कूलों को किताबों का ही वितरण कर दिया गया है। अब गणवेश आने पर दोबारा वितरण करना पड़ेगा। यही वजह है कि कई संकुलों के द्वारा गणवेश आने के बाद एक साथ किताब और गणवेश वितरण करने को लेकर किताबें नहीं बांट रहे हैं। जबकि गणवेश कब तक पहुंचेगा, संकुलों को खुद भी पता नहीं है। मिडिल और प्राइमरी के बच्चों को यूनिफार्म के दो सेट मिलेंगे। लेकिन अभी जिले के अधिकारी बता रहे हैं कि अभी एक सेट ही यूनिफार्म आ रहा है, बाद में दूसरे सेट के सप्लाई होगी।
ऑनलाइन एंट्री की जानी है
संकुलों को कितनी किताबें और गणवेश मिली है और साथ ही उन्होंने कितने स्कूलों को कितनी संख्या में किताब और गणवेश वितरण किया है, इसकी पूरी संख्या विभागीय पोर्टल में एंट्री करनी है। लेकिन स्थिति यह है कि १० जून तक की स्थिति में १०० से ज्यादा संकुलों ने तो १८०० से ज्यादा प्रधानपाठकों ने लॉग इन ही नहीं किया था। जबकि ८० के करीब ही संकुलों के द्वारा स्कूलों को वितरण किए जाने की एंट्री की थी। इससे समझा जा सकता है कि किस तरह वितरण व एंट्री का काम पीछे चल रहा है। जिले में कुल २९३ संकुलों की संख्या है और २३०३ स्कूलों की संख्या है।
वर्जन
संकुलों में किताबें और गणवेश की सप्लाई लगातार हो रही है। स्कूलों तक किताबें और गणवेश का वितरण संकुलों के द्वारा लगातार किया जा रहा है। हो सकता है कि एंट्री नहीं कर पाए होंगे। १६ जून से पहले-पहले स्कूलों तक वितरण कर लिया जाएगा। सभी स्कूलों में शाला प्रवेशोत्सव मनाने को लेकर निर्देश जारी कर दिए हैं।
आरके तिवारी, डीएमसी

किताबें और गणवेश नहीं पहुंची स्कूलों में, कैसे मनेगा प्रवेशोत्सव
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