डीईओ-बीईओ दोनों दागी, फिर भी मलाईदार कुर्सी में काबिज
सक्ती डीईओ व जैजैपुर बीईओ दोनों के खिलाफ पहले कई तरह के घोटालों की फाइल लंबित है। बावजूद दोनों अफसर मलाईदार कुर्सी पर काबिज हैं। डीईओ बीएल खरे के खिलाफ पहले जैजैपुर में जब बीईओ थे तब उनके ऊपर छात्रवृत्ति घोटाले में नाम था।
जांजगीर चंपा
Updated: April 02, 2022 09:57:51 pm
जांजगीर-चांपा. इसी तरह बीईओ विजय सिदार के ऊपर तत्कालीन एबीईओ का फर्जी हस्ताक्षर कर मोटी रकम आहरण करने का आरोप लगा था। ऐसे अफसरों को फिर से बड़े उच्च पदों में सुमार होना कहीं न कहीं सरकार के कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है। बताया जा रहा है कि बीईओ विजय सिदार ने एबीईओ से राजीनामा कर किसी तरह अपने मामले को सुलझा लिया था। लेकिन सूत्रों का मानना है कि डीईओ की विभागीय जांच अभी संस्थित है। क्योंकि उनका विभागीय जांच चल ही रहा है।
आपको बता दें कि जैजैपुर बीईओ के द्वारा स्टेशनरी सामान खरीदी में भ्रष्टचार का आरोप लगा था। इस मामले में बीईओ के खिलाफ जांच टीम गठित की गई थी। हालांकि जांच अधिकारियों ने जांच पूरी कर बंद लिफाफे में रिपोर्ट राज्य शासन को दे दिया है लेकिन अब तक क्या कार्रवाई की गई है यह अधर में है। क्योंकि राज्य स्तर के अफसर जब जांच में आए थे तब उन्होंने कहा था कि सामान खरीदी में भंडार क्रय नियमों का पालन नहीं किया गया है। जिससे उन पर कुछ कार्रवाई हो सकती है। लेकिन अब तक किसी तरह की कार्रवाई नहीं होना कहीं न कहीं भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना प्रतीत हो
रहा है।
केस-१
सक्ती डीईओ पहले जैजैपुर बीईओ रह चुके हैं। उनके ऊपर छात्रवृत्ति गबन की शिकायत हुई थी। इस शिकायत की जांच अभी चल ही रही है और राज्य शासन ने उन्हें प्रमोट कर सक्ती डीईओ की कुर्सी पर काबिज कर दिया। इतना ही नहीं उन पर बिजली बिल घोटाले में भी उनका नाम दर्ज है। इसके अलावा वर्तमान में डीईओ रहते हुए भी शिक्षकों को कई मामले में प्रताडि़त करने का भी आरोप है। इसकी भी शिकायत हुई है। इसके बाद भी उन पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई। अधर जैजैपुर बीईओ के द्वारा किए गए फर्जीवाड़े की जांच में लीपापोती का आरोप भी उन पर लग रहा है। इस संबंध में उनका पक्ष जानने के लिए शनिवार को उन्हें फोन लगाया पर उन्होंने फोन नहीं उठाया।
केस-२
जैजैपुर के बीईओ विजय सिदार अप्रैल २०१८ में साउमावि सलनी में प्राचार्य थे। उनकी ड्यूटी नवोदय विद्यालय चिस्दा में परीक्षा ड्यूटी लगी थी। इसी दौरान एबीईओ मिनाक्षी बेग की भी ड्यूटी लगी थी। परीक्षा के संचालन के लिए आब्जर्वर के रूप में अफसरों को मिलने वाली राशि के दौरान बीईओ विजय सिदार ने मीनाक्षी बेग का फर्जी हस्ताक्षर कर १६०० रुपए को निकाल लिया था। बेग के द्वारा नवोदय के प्राचार्य राहाटे से पूछे जाने पर मीनाक्षी बेग का हस्ताक्षर का मिलान किया गया तो हस्ताक्षर फर्जी निकला। जिसके चलते सिदार के खिलाफ धोखाधड़ी का केस बनाए जाने का मामला सामने आया था लेकिन मिनाक्षी बेग से सिदार ने विनती कर समझौता कर लिया था।
केस-३
जैजैपुर में स्टेशनरी सामान की खरीदी में जांच टीम में सहयोगी के रूप में डीईओ कार्यालय में पदस्थ सहायक सांख्यिकी अंकेक्षक राकेश अग्रवाल भी मौजूद थे। उनके खिलाफ भी कई शिकायतें है। साल भर पहले वे एक मामले में सस्पेंड भी हुए थे। उनके खिलाफ जांच चल रही थी। लेकिन राकेश अग्रवाल का कहना था कि वे अब १६ मार्च को दोष मुक्त हो चुके हैं। उनका कहना है कि वे जांच टीम में शामिल नहीं थे लेकिन जांच अधिकारियों के साथ जरूर थे। भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच में उनका कोई रोल नहीं है।

डीईओ-बीईओ दोनों दागी, फिर भी मलाईदार कुर्सी में काबिज
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