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सी-मार्ट महिलाओं के लिए खोलेगा स्वरोजगार की राह, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मिलेगी मजबूती

locationजांजगीर चंपाPublished: Jul 01, 2022 01:50:44 pm

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CG Desk

जिले में जल्द खुलेगा सी-मार्ट। जिला पंचायत सीईओ की निगरानी में चल रहा सी-मार्ट का कार्य। पढ़िए पूरी खबर।

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जांजगीर-चांपा। जल्द खुलेगा जिले का पहला सी-मार्ट। सी-मार्ट यानी की एक ऐसा बाजार जहां पर सभी प्रोड्क्टस एक ही छत के नीचे मिलेंगे और यह उत्पाद किसी बड़े दुकानदार से नहीं बल्कि उन महिलाओं, शिल्पिकार, बुनकर, दस्तकर, कुम्भकर और अन्य पारंपरिक एवं कुटीर उद्योग से खरीदे जाएंगे जो गांव में तैयार किए जाते हैं। जिला पंचायत सीईओ की निगरानी में चल रहा सी-मार्ट का कार्य। यह वह महिलाएं, संस्थाएं हैं जो गांव में रहते हुए स्वरोजगार की दिशा में आगे बढ़कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने का काम कर रही है।

जिले का पहला सी-मार्ट जांजगीर के ह्रदय स्थल कचहरी चौक के पीछे नगर पालिका जांजगीर के बनाए गए जिम, लाइब्रेरी भवन में संचालित किया जाएगा। सी-मार्ट निर्माण एवं संचालित की सतत रूप से मॉनीटरिंग जिला पंचायत सीईओ गजेन्द्र सिंह ठाकुर द्वारा की जा रही है। जिले की ग्रामीण अर्थव्यवस्था और ग्रामीण कामकाजी महिलाओं कोे मजबूत बनाने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशानुरूप ही जिले में सी-मार्ट बनाने की दिशा में तेज गति से कार्य किया जा रहा है। जिले की स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा तैयार किए गए उत्पादों की सूची बनाई गई है। इस सूची के अनुसार ही सी-मार्ट के लिए सामान मंगाया जा रहा है, जिसे जल्द ही स्टॉल में लगाया जाएगा।

सी-मार्ट मील का पत्थर साबित-
जिपं सीईओ ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने सी-मार्ट मील का पत्थर साबित होगा। वर्तमान में अलग-अलग समूह की महिलाओं द्वारा गांवों में उत्पाद तैयार किए जाते हैं, जिन्हें हाट बाजार एवं आसपास के दुकानदारों को बेचकर मुनाफा कमाती हैं, लेकिन सी-मार्ट के खुलने से इन ग्रामीण महिलाओं द्वारा तैयार उत्पाद को शहरों में आसानी से बेचा जा सकेगा और शहरों के अन्य दुकानदार भी यहां से सामान खरीद सकेंगे।

महिला समूहों को मिलेगी नई पहचान-
पारंपरिक उत्पादकों की प्रोसेसिंग, पैकेजिंग, ब्रेडिंग एवं मार्केटिंग के बारे में विस्तार से महिला स्व सहायता समूहों को बताया जाएगा। जिसके बारे में विभिन्न विभागों के समन्वय करते हुए उन्हें सिखाया जाएगा। इससे स्व सहायता समूहों की महिलाओं को नई पहचान मिलेगी और उनका गांव से निकलकर उत्पाद शहरों में आसानी से बिक सकेगा।

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