जिले में कौशल विकास योजना का बुरा हाल है। वीटीपी संचालकों ने श्रम विभाग की योजनाओं के तहत कार्य किया है वे भुगतान के लिए भटक रहे हैं। जिसमें छात्रों को प्रशिक्षण का कार्य प्रमुख रहा है। वीटीपी संचालकों के द्वारा सिलाई कढ़ाई, राजमिस्त्री, इलेक्ट्रीशियन सहित विभिन्न तरह का प्रशिक्षण दिया गया है। जिसमें हजारों की संख्या में छात्रों ने प्रशिक्षण लिया है।
छात्रों को प्रशिक्षण के दौरान छात्रवृत्ति का भुगतान करना भी होता है। संचालकों ने बीते एक सालों से छात्रों को प्रशिक्षण तो दे दिया, लेकिन उन्हें छात्रवृत्ति प्रदान नहीं किया गया था। जबकि सरकार ने उनकी राशि तकरीबन एक करोड़ विधानसभा चुनाव यानी अक्टूबर माह से भुगतान कर दिया है। इसके बाद भी श्रम पदाधिकारी ने उक्त फंड को इस नाम से रोक रखा था क्योंकि इकनी भारी भरकम रकम से बैंक से ब्याज की राशि आती है। जिसका इस्तेमाल मिसलेनियश फंड के रूप में किया जाता है। जब वीटीपी संचालक व प्रशिक्षण लिए छात्रों ने कड़ा रुख अपनाया तब श्रम पदाधिकारी ने इसकी राशि जारी करने की बात कही है। जबकि वीटीपी संचालकों का कहना है कि अब तक उनके खातों में राशि नहीं आई है। जिसके चलते छात्र भटक रहे हैं।
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सीधी बात : वीके पटेल, श्रमपदाधिकारी
सवाल : छात्रों के स्कालरशिप का कितने का भुगतान पेंडिंग है।
जवाब : लगभगत एक करोड़ का भुगतान था जिसे जारी किया जा रहा है।
सवाल : आखिर क्यों नहीं हो रहा था भुगतान।
जवाब : चुनाव की वजह से भुगतान अटका था।
सवाल : चुनाव तो तीन माह पहले खत्म हो चुका है।
जवाब : पहले किसी अन्य कारणों से रुका था।
सवाल : आपका बेटा भी वीटीपी का संचालन कर रहा है।
जवाब : यह गलत है कोई प्रूफ नहीं है।
सवाल : कब से भुगतान किया जा रहा है।
जवाब : दो मार्च से ही भुगतान किया जा रहा है।