हौसला ऐसा भी: ट्रायसिकल में ब्रेड बेचकर परिवार की गाड़ी चला रहे गोपाल
जांजगीर चंपाPublished: Dec 02, 2022 08:27:52 pm
ग्राम सरखों के रहने वाले ३२ साल गोपाल सूर्यवंशी एक पैर से विकलांग है और चलने के लिए उन्हें बैशाखी और ट्रायसाइकिल का सहारा लेना पड़ता है मगर इसके बावजूद भी गोपाल ने दिव्यांगता को कभी भी अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया।


हौसला ऐसा भी: ट्रायसिकल में ब्रेड बेचकर परिवार की गाड़ी चला रहे गोपाल
सरखों. दिव्यांग होने के बावजूद गोपाल कड़ी मेहनत करते हैं। गांव में ट्रायसाइकिल में ही वे ब्रेड (पाव रोटी) बेचते हैं और इसी से परिवार की गाड़ी चला रहे हैं। परिवार में पत्नी और दो छोटे बच्चे हैं। ऐसे में परिवार की पूरी जिम्मेदारी भी गोपाल के कंधों में ही है। दसवीं तक पढ़े गोपाल गांव से रोजाना अपनी में टायसाइकिल में जांजगीर आते हैं और यहां से बे्रेड लेकर गांव जाते हैं और गांव में घूम-घूमकर टायसाइकिल में ही ब्रेड बेचते हैं। कई बार आसपास के गांवों तक भी चले जाते हैं। ब्रेड रखने के लिए उन्होंने अपनी ट्रायसाइकिल के पीछे एक डिब्बा लगाया है। वे २०१६ से ब्रेड बेचने का काम कर रहे हैं। इससे पहले गांव में ठेला लगाकर बच्चों के खाने-पीने का सामान बेचते थे।
घर की आर्थिक स्थिति काफी खराब
गोपाल बताते हैं कि ब्रेड बेचने से दिनभर में ७० से ८० रुपए तक ही कमाई निकल पाती है जिसमें घर का गुजारा काफी मुश्किलों से गुजरता है। घर की माली हालात को देखते हुए अब उनकी पत्नी भी जांजगीर के एक होटल में साफ-सफाई का काम करती है ताकि किसी तरह दो पैसे कमा लें। गोपाल का घर उनकी आर्थिक स्थिति की तस्वीर बयां करता है। मिट्टी और खरपैल का घर है जहां ठीक से दरवाजा तक नहीं है। घर में फर्श तक नहीं है और जगह-जगह से दरारें साफ नजर आती है। घर में शौचालय भी नहीं है। एक बच्चा सरकारी स्कूल में पढ़ता है और दूसरा अभी छोटा है। राशनकार्ड बना है जिससे हर महीने ३५ किलो चावल मिल जाता है। वहीं शासन से मिलने वाला दिव्यांग पेंशन ३५० रुपए मिलते हैं। इन सबको मिलकर किसी तरह परिवार का गुजारा होता है।
मोटरराइज्ड ट्रायसाइकिल की दरकार
गोपाल के पास हाथ से चलाने वाली ट्रायसाइकिल है। इसी में वे सरखों से जांजगीर ब्रेड लेने आते हैं और फिर गांव जाकर घूम-घूमकर बेचते हैं। इसमें काफी मेहनत लगती है। शासन के द्वारा इन दिनों दिव्यांगों को मोटरराइज्ड ट्रायसिकल बांटी जा रही है लेकिन गोपाल ने बताया कि उसे मोटरराइज्ड ट्रायसिकल नहीं मिली है। ८० प्रतिशत से ज्यादा दिव्यांगता होने पर ही मोटरराइज्ड ट्रायसिकल मिलने की बात कही जाती है। गोपाल को शासन की ओर से और मदद की दरकार है। शासन के द्वारा दिव्यांगों की आर्थिक स्थिति सुधारने कई तरह के योजनाएं भी चलाई जाती है। स्वरोजगार के लिए लोन भी मिलता है।