scriptकचरा प्रबंधन महिलाओं के हाथों, क्योंकि औरतों से संवरता है घर, अब संवरेगा शहर भी, पढि़ए खबर… | Cleaning city by women | Patrika News

कचरा प्रबंधन महिलाओं के हाथों, क्योंकि औरतों से संवरता है घर, अब संवरेगा शहर भी, पढि़ए खबर…

locationजांजगीर चंपाPublished: Jan 07, 2018 07:54:57 pm

Submitted by:

Vasudev Yadav

– इस काम के एवज में नगरपालिका प्रत्येक महिलाओं को पांच-पांच हजार रुपए मानदेय प्रदान कर रही है।

कचरा प्रबंधन महिलाओं के हाथों, क्योंकि औरतों से संवरता है घर, अब संवरेगा शहर भी, पढि़ए खबर...
जांजगीर.चांपा। शहर की स्व सहायता समूह की महिलाएं कचरा एकत्र कर आत्म निर्भर हो रहीं हैं। महिलाएं खुद के घर चूल्हा चौका छोड़कर दो पैसे की आमदनी बढ़ा रहीं हैं। इस काम के एवज में नगरपालिका प्रत्येक महिलाओं को पांच-पांच हजार रुपए मानदेय प्रदान कर रही है। 45 हजार की आबादी वाले 25 वार्ड में फैले शहर की 60 महिलाएं ठोस एवं अपशिष्ट प्रबंधन के तहत काम कर रहीं हैं और अपने आय के साधन में बढ़ोतरी कर रहीं हैं।
कहावत है कि यदि मन कुछ कर गुजरने की क्षमता हो तो हाथ की चूडिय़ां आड़े नहीं आती। कुछ इसी तरह की कहावतों को चरितार्थ करने के लिए शहर की गरीब वर्ग की महिलाएं सुबह उठकर जीतोड़ मेहनत कर रहीं हैं। घर में छोटे-छोटे बाल बच्चों का जतन करने के बाद सुबह 6 बजे रिक्शा लेकर घर से निकल पड़तीं हैं।
यह भी पढ़ें
सांसद कमला पाटले सड़क दुर्घटना में घायल,
रायपुर रेफर

हौसलों में उड़ान भरते हुए नगरपालिका द्वारा प्रदत्त इ रिक्शा लेकर घर से तीन-तीन लोगों का समूह बनाकर घर से निकलतीं हैं और घरों के बाहर बल्टियों में सूखा प गीला कचरे को बंटोरकर रिक्शे में रखतीं हैं। इन कचरों को शहर के एसएलआरएम सेंटर में छोड़तीं हैं। इसके एवज में प्रत्येक महिलाओं को पांच-पांच हजार रुपए आर्थिक आमदनी होती है।

इस तरह करतीं हैं काम
नगर पालिका ने महिलाओं को ई रिक्शा प्रदान किया है। महिलाएं तीन-तीन लोगों का समूह बनाकर रिक्शा लेकर घर-घर में आवाज लगातीं हैं। घर के लोग अपने दोनों डस्टबिन को लेकर गीला व सूखा कचरा महिलाओं को सौंपतीं हैं। महिलाएं रिक्शा के दोनों तरह के कचरे को अलग-अलग भाग में रखतीं हैं। फिर एसएलआरएम सेंटर में डंप करतीं हैं। महिलाओं के द्वारा घर की महिलाओं को जागरूक करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। लोगों को जागरूक करने के लिए स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा सह समझाइश दी जा रही है कि वे तय डस्टबिन में ही कचरे को डालें और खुले में कचरे को न फेंकें।

महिलाओं ने कहा
स्व सहायता समूह की महिलाओं ने कहा कि घर की आर्थिक स्थिति सुदृण करने के लिए पति-पत्नी दोनों का काम जरूरी हो गया है। घर में बच्चों के पढ़ाई लिखाई का खर्च व महंगाई के दौर में राशन सामान के लिए पैसे जुटाना कठिन हो गया है। जिसके चलते महिलाओं को भी पति के साथ-साथ आमदनी बढ़ाना जरूरी हो गया है। इसके चलते वे काम कर रहीं हैं। उन्होंने बताया कि रिक्शा चलाने में भी उन्हें कोई हर्ज नहीं है। महिलाओं ने बताया कि जो काम पुरूष कर सकता है वह हर महिलाएं भी कर सकतीं हैं।

नगरपालिका जांजगीर नैला में ठोस एवं अपशिष्ट प्रबंधन के तहत स्व सहायता समूह की महिलाओं को लगाया गया है। वर्तमान में 60 महिलाएं इ रिक्शा के माध्यम से कचरा बंटोर रहीं हैं। कचरे को शहर के आउटर में बने एसएलआरएम सेंटर में छोड़ रहीं हैं-आशुतोष गोस्वामी, उपाध्यक्ष नगरपालिका जांजगीर
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो