बड़ी मुश्किल से दंपतियों ने रजामंदी होकर मिलने के लिए राजी हुए। दोनों ने कोर्ट परिसर में एक दूसरे को गले लगाया, एक दूसरे को वरमाला पहनाया और दोनों की आंखें नम हो गई। इस दौरान दोनों परिवार के लोगों में खुशी का ठिकाना नहीं रहा। इधर के कोर्ट में मौजूद न्यायाधीश व अधिवक्ताओं के बीच भी हर्ष का माहौल था।
Video- लिपिक वर्गीय कर्मचारी संघ ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा, हड़ताल में जाने से दफ्तरों में पसरा रहा सन्नाटा नेशनल लोक अदालत के दौरान कुटुंब न्यायालय जांजगीर में शनिवार को बड़ा रोचक मामला सामने आया। दरअसल बिर्रा थानांतर्गत ग्राम सिलादेही निवासी मोती राम पिता दया राम (55) की शादी वर्ष 1984 में हीरा बाई के साथ हुई थी। दोनों लगातार चार साल तक एक साथ रहे। इस दौरान उनकी दो लड़कियां भी हुई। दोनों के बीच न जाने किस बात को लेकर इस तरह मन मुटाव हो गया कि दोनों एक दूसरे के साथ रहने से इनकार कर दिया। दोनों परिवार वालों ने दोनों को समझाइश देने के लिए लगातार बैठकों का दौर किया, लेकिन बात नहीं बनी।
आखिरकार हीरा बाई ने कुटुंब न्यायालय में अपने पति के विरुद्ध दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत केस दायर कर दिया। कुटुंब न्यायालय के जज ने अनावेदक से आवेदिका को 1500 रुपए मासिक भरण-पोषण राशि दिलाया था। बाद में कुटुंब न्यायालय के न्यायाधीश आनंद कुमार धु्रव ने उभय पक्षों के मध्य विवाह के पवित्र आधार को समझाकर राजीनामा के लिए प्रेरित किया। शनिवार को जज ने नेशनल लोक अदालत में दोनों परिवार वालों को समझाइश दी। तब जाकर दोनों रजामंदी हुए और एक साथ रहने के लिए प्रण किया।
एक-एक लड़कियों की कराई शादी
मोतीराम ने बताया कि शादी के बाद उनकी दो लड़कियां हुई थी। एक-एक लड़कियों को उन्होंने आपस में बांट लिए थे। 32 साल से अलग रहते रहते दोनों लड़कियों की उम्र भी हाथ पीले करने लायक हो गए। आखिरकार दोनों ने अपनी-अपनी लड़कियों की शादी अलग-अलग रहकर संपन्न कराई।