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Breaking : पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित कुष्ठ पीडि़तों की सेवा करने वाले दामोदर गणेश बापट नहीं रहे, पढि़ए पूरी खबर…

locationजांजगीर चंपाPublished: Aug 17, 2019 01:38:42 pm

Submitted by:

Vasudev Yadav

Damodar Ganesh Bapat : अपोलो अस्पताल बिलासपुर में ली अंतिम सांसें, 26 जनवरी 2018 को उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री अवार्ड से नवाजा.

Breaking : पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित कुष्ठ पीडि़तों की सेवा करने वाले दामोदर गणेश बापट नहीं रहे, पढि़ए पूरी खबर...

Breaking : पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित कुष्ठ पीडि़तों की सेवा करने वाले दामोदर गणेश बापट नहीं रहे, पढि़ए पूरी खबर…

जांजगीर-चांपा. चांपा क्षेत्र के कात्रेनगर सोंठी में 37 सालों तक कुष्ठ पीडि़तों की सेवा करने वाले दामोदर गणेश बापट (Damodar Ganesh Bapat) अब नहीं रहे। शुक्रवार की देर रात अपोलो अस्पताल बिलासपुर में अंतिम सांसें ली। उनके निधन से क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। शनिवार को उनके अंतिम दर्शन के बाद कुष्ठ आश्रम कात्रेनगर सोंठी लाया गया। अंतिम दर्शन के लिए कलेक्टर एसपी सहित अन्य अफसर सोंठी पहुंचे थे। इसके बाद बापट का पार्थिव शरीर को सिम्स में रखा जाएगा। क्यों कि उन्हें देहदान की घोषणा की थी।
गौरतलब है कि 1962 में महाराष्ट्र के सदाशिव गोविंदराव कात्रे ने सोंठी के पास कुष्ठ आश्रम की स्थापना की थी। उनके निधन के बाद 1972 से दामोदर गणेश बापट (Damodar Ganesh Bapat) ने यहां का काम काज संभाला था। प्रदेश के अलावा देश के कोने-कोने से यहां कुष्ठ के मरीज भर्ती होते हैं। जिनकी सेवा के लिए दामोदर गणेश बापट (Damodar Ganesh Bapat) ने अपनी पूरी उम्र खपा दी थी। वे लगातार 37 सालों से कुष्ठ पीडि़तों का इलाज कराने पूरी लगन से काम करते रहे। उनके इस कार्य को देख 26 जनवरी 2018 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) ने उन्हें पद्मश्री अवार्ड से नवाजा। वे हमेशा कुष्ठ पीडि़तों की सेवा में ही लीन थे।

दो सादे कपड़ों में गुजारी पूरी जिंदगी
आश्रम के एक कमरे में केवल एक बिस्तर और दो सादे कपड़ों में पूरी जिंदगी बिता दी। आश्रम में करोड़ों की संपत्ति उनके नाम है। चाहते तो वे सर्वसुविधायुक्त एसी कमरे रह सकते थे, लेकिन वे दो सादे कपड़े में ही पूरी जिंदगी बिता दी।

जीते जी आश्रम का किया कायाकल्प
बापट (Damodar Ganesh Bapat) ने आश्रम में न केवल एक सर्वसुविधायुक्त अस्पताल का निर्माण कराया बल्कि आश्रम के साथ-साथ सुशील बालक गृह का भी निर्माण कराया। जहां अनाथ व गरीब बच्चों को नि:शुल्क आवासीय शिक्षा प्रदान की जाती है। आश्रम में सैकड़ों छात्र पिछले तीन दशक से निवासरत हैं।

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