देवरी गांव को अगर
स्वच्छ भारत अभियान के तहत जिले का आईडियल ग्राम बनाया जाए तो अति संयोक्ति नहीं होगी। यहां की सीसी रोड व सभी घर एकदम साफ व धूल रहित हैं। यहां काफी पेड़ पौधे लगे हैं। घरों में शौचालय बने हैं। नदी के किनारे बसें इस गांव में धीरे-धीरे पिकनिक स्पॉट भी डवलब होता जाता है। यहां बड़ी संख्या में सैलानी पहुंच रहे हैं। इतना खुशहाल गांव होने के बाद भी यहां भूगर्भ जल खारा है। इससे यहां के लोगों ने नदी के जल को खाना पकाने का पर्याय बना लिया है।
पत्रिका की टीम जब देवरी गांव पहुंची तो वहां से छोटी.छोटी बच्चियां खाना पकाने वाले पतीले में नदी का पानी भर कर ले जा रहीं थी। पूछने पर अंजली नाम की एक लड़की ने बताया कि हैंडपंप के पानी से खाना नहीं पकता, क्योंकि वह खारा है। इसलिए वह लोग नदी के पानी का उपयोग खाना बनाने के लिए करते हैं।
पीने के लिए नहीं करते उपयोग
ग्रामीणों ने एक और जागरूकता वाली बात यह बताई कि वह नदी के पानी का उपयोग केवल खाना पकाने के लिए करते हैं। खाना पकाने में पानी काफी अधिक उबल जाता है, इससे उसमें मौजूद बैक्टीरिया मर जाते हैं। पीने के लिए गांव वाले हैंडपंप का ही पानी उपयोग करते हैं। इससे अभी तक इस गांव में कोई भी संक्रामक बीमारी या वायरल आदि की समस्या नहीं हुई है।
सभी बच्ची पढऩे वाली
नदी का पानी लेकर आ रही एक 9.10 साल की बच्ची से जब नदी का पानी ले जाने के बारे में पूछा गया तो उसने नो कमेंट प्लीजण्ण्ण् कहा। उसका अंग्रेजी में जवाब सुनकर काफी अच्छा भी लगा और सुकून भी। फिर एक अन्य बच्ची ने बताया कि यहां सभी लड़की लड़के रोज समय पर स्कूल जाते हैं।