अपनी जान बचाने के लिए मरीज कुछ भी कर सकता है। इलाज में चाहे उसे जितनी भी खर्च आए। वहीं भगवान का दूसरा रूप कहे जाने वाले यही डॉक्टर मरीजों के जेब में डाका डालकर करोड़पति बनने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। उन्हें मरीजों की जेब की फिक्र नहीं है। कुछ इसी तरह का खेल जिले में ब्लड टेस्ट के नाम पर हो रहा है। मामला चाहे जिला अस्पताल का हो या फिर निजी क्लीनिकों का।
क्या है आरएफटी, एलएफटी टेस्ट
आरएफटी यानी रीनल फंक्शन टेस्ट होता है। जिसमें किडनी के संबंध में जांच की जाती है। वहीं एफएफटी यानी लीवर फंक्शन टेस्ट होता है। जिसमें लीवर की जांच की जाती है। इस जांच के लिए हालांकि केमिकल महंगे आते हैं इस कारण सामान्य टेस्ट से खर्च अधिक आता है। बताया जाता है कि इस टेस्ट के लिए कुल खर्च ३०० रुपए आता है।
इस तरह बटता है कमीशन
बताया जा रहा है कि इस टेस्ट के लिए मरीजों से १२०० रुपए आता है। जिसमें ६०० रुपए लैब वाले का होता है वहीं ६०० रुपए डॉक्टर का। लैब संचालक डॉक्टर की पर्ची को सम्हालकर रखता है। इसके बाद पर्ची के हिसाब से लैब संचालक द्वारा डॉक्टर के पास कमीशन पहुंचा दिया जाता है। यदि डॉक्टर हर रोज एक मरीज को भेजता है तो एक माह में ३० मरीज हो रहा है। ३० केस से उसे एक माह में १८ हजार रुपए कमीशन मिल रहा है।
सीधी बात: डॉ. वी जयप्रकाश, सीएचएचओ
सवाल: जिले के डॉक्टर आरएफटी, एलएफटी टेस्ट अधिक लिख रहे हैं।
बवाब: गंभीर मरीजों को यह टेस्ट लिखते हैं, हो सकता है जरूरत हो।
सवाल: जिला अस्पताल में क्यों नहीं हो रहा यह टेस्ट।
बवाब: जांच महंगी है और अभी शुरू नहीं हुआ है यह जांच।
सवाल: यहां के डॉक्टर यह टेस्ट लिखकर लैब वालों से कमीशन ले रहे हैं।
बवाब: कौन लिख रहा है यह टेस्ट इसकी जांच कराएंगे।
सवाल: डॉक्टरों पर क्या कार्रवाई करेंगे।
बवाब: उन्हें शोकॉज नोटिस दिया जाएगा और कार्रवाई करेंगे।