scriptब्लड टेस्ट के नाम पर डॉक्टर मरीजों की जेब में डाल रहे डाका, सामान्य मरीजों को लिख रहे आरएफटी एवं एलएफटी टेस्ट | Doctors making people fool by writing expencive tests | Patrika News

ब्लड टेस्ट के नाम पर डॉक्टर मरीजों की जेब में डाल रहे डाका, सामान्य मरीजों को लिख रहे आरएफटी एवं एलएफटी टेस्ट

locationजांजगीर चंपाPublished: Jul 20, 2018 08:13:42 pm

Submitted by:

Shiv Singh

१२०० रुपए के टेस्ट में ६०० रुपए मिल रहा कमीशन

१२०० रुपए के टेस्ट में ६०० रुपए मिल रहा कमीशन

१२०० रुपए के टेस्ट में ६०० रुपए मिल रहा कमीशन

जांजगीर-चांपा. जांजगीर एवं चांपा के डॉक्टर ब्लड टेस्ट के नाम से मरीजों के जेब में डाका डाल रहे हैं। सामान्य सर्दी खांसी होने पर भी यदि आप डॉक्टर के पास गए, तब आपका कम से कम ५०० रुपए लगना तय है। इतना ही नहीं अब डॉक्टर तगड़ी कमीशन के फेर में आरएफटी एवं एलएफटी टेस्ट भी लिखने लगे हैं। सामान्यत: यह टेस्ट १२०० रुपए में होता है। इतनी रकम में ५० फीसदी कमीशन ६०० रुपए डॉक्टर का फिक्स है तो वहीं ६०० रुपए लैब संचालक को मिल रहा है। इस तरह का गोरख धंधा जांजगीर व चांपा में अभी – अभी शुरू हुआ है।

अपनी जान बचाने के लिए मरीज कुछ भी कर सकता है। इलाज में चाहे उसे जितनी भी खर्च आए। वहीं भगवान का दूसरा रूप कहे जाने वाले यही डॉक्टर मरीजों के जेब में डाका डालकर करोड़पति बनने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। उन्हें मरीजों की जेब की फिक्र नहीं है। कुछ इसी तरह का खेल जिले में ब्लड टेस्ट के नाम पर हो रहा है। मामला चाहे जिला अस्पताल का हो या फिर निजी क्लीनिकों का।
जांजगीर में एक दर्जन तो वहीं चांपा में दो दर्जन डॉक्टर हैं। अब अमूमन सभी डॉक्टर बिना ब्लड टेस्ट कराए इलाज नहीं कर रहे हैं। वजह चाहे मरीज के शरीर के तासीर जानने के लिए हो या फिर ब्लड टेस्ट के नाम पर मिलने वाला ५० से ६० फीसदी कमीशन के लिए हो। सामान्य मरीजों को खून पेशाब जांच लिखा जाए यहां तक ठीक है,
क्योंकि मरीज इतनी जांच में १०० से २०० रुपए तक खर्च कर सकता है, लेकिन बात आरएफटी एवं एलएफटी टेस्ट की बात हो तो मरीजों को पसीना जरूर आएगा। क्योंकि इस टेस्ट में मरीजों को कम से कम १२०० रुपए का खर्च आता है। इस तरह की जांच जिला अस्पताल के तीन -चार डॉक्टर खूब लिख रहे हैं। क्योंकि उनकी कमीशन लैब वालों से फिक्स है। जिला मुख्यालय के लैब संचालक इस जांच के नाम से मरीजों से मोटी रकम ऐंठ रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि सामान्य मरीजों को इतना महंगा टेस्ट लिखने की जरूरत ही नहीं है। क्योंकि ९० फीसदी मरीजों का टेस्ट रिपोर्ट निल आ रहा है।


क्या है आरएफटी, एलएफटी टेस्ट
आरएफटी यानी रीनल फंक्शन टेस्ट होता है। जिसमें किडनी के संबंध में जांच की जाती है। वहीं एफएफटी यानी लीवर फंक्शन टेस्ट होता है। जिसमें लीवर की जांच की जाती है। इस जांच के लिए हालांकि केमिकल महंगे आते हैं इस कारण सामान्य टेस्ट से खर्च अधिक आता है। बताया जाता है कि इस टेस्ट के लिए कुल खर्च ३०० रुपए आता है।


इस तरह बटता है कमीशन
बताया जा रहा है कि इस टेस्ट के लिए मरीजों से १२०० रुपए आता है। जिसमें ६०० रुपए लैब वाले का होता है वहीं ६०० रुपए डॉक्टर का। लैब संचालक डॉक्टर की पर्ची को सम्हालकर रखता है। इसके बाद पर्ची के हिसाब से लैब संचालक द्वारा डॉक्टर के पास कमीशन पहुंचा दिया जाता है। यदि डॉक्टर हर रोज एक मरीज को भेजता है तो एक माह में ३० मरीज हो रहा है। ३० केस से उसे एक माह में १८ हजार रुपए कमीशन मिल रहा है।


सीधी बात: डॉ. वी जयप्रकाश, सीएचएचओ
सवाल: जिले के डॉक्टर आरएफटी, एलएफटी टेस्ट अधिक लिख रहे हैं।
बवाब: गंभीर मरीजों को यह टेस्ट लिखते हैं, हो सकता है जरूरत हो।
सवाल: जिला अस्पताल में क्यों नहीं हो रहा यह टेस्ट।
बवाब: जांच महंगी है और अभी शुरू नहीं हुआ है यह जांच।
सवाल: यहां के डॉक्टर यह टेस्ट लिखकर लैब वालों से कमीशन ले रहे हैं।
बवाब: कौन लिख रहा है यह टेस्ट इसकी जांच कराएंगे।
सवाल: डॉक्टरों पर क्या कार्रवाई करेंगे।
बवाब: उन्हें शोकॉज नोटिस दिया जाएगा और कार्रवाई करेंगे।

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