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सूखने लगे तालाब, जिम्मेदार बस बना रहे प्लान

locationजांजगीर चंपाPublished: Mar 26, 2019 07:27:29 pm

Submitted by:

Rajkumar Shah

लगता है अमल शायद गर्मी के बाद ही होगा, कुछ दिन बाद और गहराएगी पानी की समस्यानपा की लापरवाही, तालाबों को भरने नहीं किया गया इंतजाम, लोगों को हो रही परेशानी, आगे गर्मी में होगी ज्यादा परेशानी

लगता है अमल शायद गर्मी के बाद ही होगा, कुछ दिन बाद और गहराएगी पानी की समस्या

सूखने लगे तालाब, जिम्मेदार बस बना रहे प्लान

जांजगीर-चांपा. शहर के लोगों को आने वाली गर्मी में एक बार फिर पानी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ेगी। निस्तारी के पानी की समस्या इस साल और ज्यादा होगी। नगर के प्रमुख तालाबो को भरने की योजना केवल कागजों तक ही सीमित है। इसी वजह से मार्च महीने में शहर के अधिकांश तालाब खूस चुके है। निस्तारी के लायक नहीं है। सबसे ज्यादा परेशानी गरीब तबके के लोगों को हो रही जो निस्तारी के लिए २ से ३ किलोमीटर सफर तय करने मजबूर है। गर्मी शुरू होते ही शहर में समस्या शुरू हो चुकी है लेकिन जिम्मेदार अब तक प्लान ही बना रहे है।
अभी गर्मी ने दस्तक ही दी है, लेकिन शहर के तालाबों का पानी तेजी से सूखने लगा है। गांवों में भी कुछ ऐसी ही स्थिति दिख रही है। हालात यही रहे तो अगले माह तालाब सूखकर मैदान बन जाएंगे। जिससे शहर की बड़ी आबादी को निस्तारी के भयानक संकट का सामना करना पड़ेगा। इस साल औसत से काफी कम बारिश होने के कारण पहले से ही तालाबों में कम पानी था। इस पर नगर पालिका ने सिंचाई सीजन में नहर के पानी से तालाबों को नहीं भरा जबकि पूर्व वर्षों में नहर से खरीफ फसल की सिंचाई के लिए पानी छोड़े जाने पर शहर के तालाब भरे जाते थे। गंभीर लापरवाही के कारण ही बारिश के दौरान आधे अधूरे भरे तालाब अब ठंड के मौसम में ही तेजी से सूखने लगे हैं। पानी काफी कम हो जाने और चारों तरफ जलीय पौधे उग आने के कारण भाठापारा का तालाब, खडफ़ड़ी तालाब, वार्ड 15 की डबरी तालाब, वार्ड 19 की डबरी तालाब, रानी तालाब, बोंगा तालाब जैसे कुछ अन्य प्रमुख तालाब अब निस्तारी करने लायक भी नहीं रह गए हैं। शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के अधिकांश तालाब इस बार गर्मी के शुरूआत में सूखने लगे हैं। शहरवासियों को बड़ी समस्या खड़ी हो गई। अभी फिलहाल नहर में पानी चल रहा है तो वहां जाकर निस्तारी कर ले रहे है। लेकिन नहर में पानी बंद होते बड़ी समस्या शहरवासियों के लिए खड़ी हो जाएगी। खासकर सबसे ज्यादा परेशानी गरीब तबके के लोगों को होगी, जिसके घरों में बोर वगैरहा नहीं है। ऐसी आबादी भी शहर में बड़ी संख्या में मौजूद है।

माह भर से केवल बनाया जा रहा प्लान
गांव के लोग तो जैसे-तैसे पंचायतों के सहयोग से तालाबों में पानी भरने जुगत कर लेते हैं लेकिन शहर में तालाबों में पानी भरने को लेकर न तो नगर पालिका कोई खास रुचि दिखाती है और न ही शहरवासियों को भी तालाबों में पानी भरने से कोई सरोकार होता। नहरों में पानी दिए जाने के बाद भी ये तालाब नहीं भरे पाते और गर्मी के दिनों में तालाब सूखे ही रह जाते हैं। पालिका पखवाड़े भर से केवल प्लान ही बना रही है।

तीन से चार किलो सफर करते है तय
वार्ड २० में १० एकड़ एरिया में खडफ़ड़ी तालाब फैला हुआ है। जो देखरेख के अभाव में सिमटता जा रहा है। तालाब के आसपास बड़ी संख्या में गरीब वर्ग के लोग निवास करते है। जिसका निस्तारी का एकमात्र साधन तालाब है। तालाब सूख जाने व थोड़ा सा गंदा पानी होने के कारण मोहल्लेवासी नहर या खोखसा स्थित तालाब में निस्तारी कर रहे है। ऐसा ही हालत पुरानी बस्तीवासियों का है यहां पर भी भीमा तालाब सूख चुकेा है। यहां पर भी बड़ी संख्या में गरीब तबके के लोग निवास करते है।

बड़ी आबादी करती है निस्तारी
पालिका द्वारा आवर्धन योजना में लगाए गए नल लोगों की पानी की जरूरत पूरी नहीं कर पाते। गर्मी की दस्तक के साथ ही नगर में पेयजल की ऐसी समस्या आ जाती है कि टैंकर दौड़ाना पड़ता है। कई वार्ड के लोग टैंकर से पीने का पानी लेते हैं और निस्तारी के लिए तालाबों का उपयोग करते हैं। आधी आबादी को निस्तारी के लिए चार माह तालाबों पर ही आश्रित होना पड़ता है। पालतू मवेशी भी तालाबों का पानी पीते हैं।

आगे गर्मी के दिनों में स्थिति क्या होगी
अभी तालाब सूखने लगे हैं। जिससे लोगों को निस्तारी के लिए भटकना पड़ रहा है। ग्रामीणों को अब इस बात की चिंता सताने लगी है कि यदि ठंड के मौसम में पानी की समस्या होने लगी है। तो गर्मी के दिनों में तालाबों में पानी की स्थिति क्या होगी। हालांकि गांव के लोग नहर में पानी दिए जाने से तालाबों में पानी भरकर रखे जाने की बात कर रहे हैं।

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