माह भर से केवल बनाया जा रहा प्लान
गांव के लोग तो जैसे-तैसे पंचायतों के सहयोग से तालाबों में पानी भरने जुगत कर लेते हैं लेकिन शहर में तालाबों में पानी भरने को लेकर न तो नगर पालिका कोई खास रुचि दिखाती है और न ही शहरवासियों को भी तालाबों में पानी भरने से कोई सरोकार होता। नहरों में पानी दिए जाने के बाद भी ये तालाब नहीं भरे पाते और गर्मी के दिनों में तालाब सूखे ही रह जाते हैं। पालिका पखवाड़े भर से केवल प्लान ही बना रही है।
तीन से चार किलो सफर करते है तय
वार्ड २० में १० एकड़ एरिया में खडफ़ड़ी तालाब फैला हुआ है। जो देखरेख के अभाव में सिमटता जा रहा है। तालाब के आसपास बड़ी संख्या में गरीब वर्ग के लोग निवास करते है। जिसका निस्तारी का एकमात्र साधन तालाब है। तालाब सूख जाने व थोड़ा सा गंदा पानी होने के कारण मोहल्लेवासी नहर या खोखसा स्थित तालाब में निस्तारी कर रहे है। ऐसा ही हालत पुरानी बस्तीवासियों का है यहां पर भी भीमा तालाब सूख चुकेा है। यहां पर भी बड़ी संख्या में गरीब तबके के लोग निवास करते है।
बड़ी आबादी करती है निस्तारी
पालिका द्वारा आवर्धन योजना में लगाए गए नल लोगों की पानी की जरूरत पूरी नहीं कर पाते। गर्मी की दस्तक के साथ ही नगर में पेयजल की ऐसी समस्या आ जाती है कि टैंकर दौड़ाना पड़ता है। कई वार्ड के लोग टैंकर से पीने का पानी लेते हैं और निस्तारी के लिए तालाबों का उपयोग करते हैं। आधी आबादी को निस्तारी के लिए चार माह तालाबों पर ही आश्रित होना पड़ता है। पालतू मवेशी भी तालाबों का पानी पीते हैं।
आगे गर्मी के दिनों में स्थिति क्या होगी
अभी तालाब सूखने लगे हैं। जिससे लोगों को निस्तारी के लिए भटकना पड़ रहा है। ग्रामीणों को अब इस बात की चिंता सताने लगी है कि यदि ठंड के मौसम में पानी की समस्या होने लगी है। तो गर्मी के दिनों में तालाबों में पानी की स्थिति क्या होगी। हालांकि गांव के लोग नहर में पानी दिए जाने से तालाबों में पानी भरकर रखे जाने की बात कर रहे हैं।