चार सालों में बिजली की खपत जिले में 9 करोड़ से बढ़कर 12 करोड़ यूनिट पहुंची
पूरे देश में इस समय बिजली संकट पर ही सबकी नजर हैं क्योंकि कोयला की कमी लगातार बनी हुई है और बिजली की खपत हर साल बढ़ती जा रही है। जिले में हर साल बिजली की खपत एक करोड़ यूनिट से भी ज्यादा तेजी से बढ़ती जा रही है। क्योंकि जिले में बिजली उपभोक्ताओं की संख्या में भी हर साल बढ़ते क्रम में है।
जांजगीर चंपा
Published: May 10, 2022 09:14:28 pm
जांजगीर-चांपा. चार साल पहले २०१९-१९ में मार्च माह में बिजली की खपत जिले में ९ करोड़ २२ लाख यूनिट थी जो चार सालों में ३ करोड़ यूनिट तक बढ़ चुकी है। मार्च २०२१-२२ में १२ करोड़ ७४ लाख यूनिट खपत हुई है।
गौरतलब है कि गर्मी के दौरान मार्च, अप्रैल और मई माह में ही बिजली की सबसे ज्यादा खपत होती है। इसीलिए इस दौरान ही सबसे ज्यादा बिजली की मांग भी होती है लेकिन जैसे-जैसे जिले की आबादी बढ़ती जा रही है वैसे-वैसे खपत भी बढ़ती जा रही है। इस हिसाब से बिजली की आपूर्ति कर पाना विद्युत वितरण कंपनी के लिए भी काफी मुश्किल साबित होता है। क्योंकि जितनी डिमांड है उतनी पावर प्लांटों से सप्लाई भी लेनी पड़ती है। क्योंकि जिले में कई पॉवर प्लांट बंद पड़े हुए हैं। विद्युत वितरण कंपनी को जिले के केवल चार पावर प्लांटों से बिजली मिल रही है। हालांकि खपत इतनी बढऩे के बावजूद भी जिले में बिजली कटौती की समस्या न के बराबर हैं। खासकर शहरी इलाकों में कटौती की जरुरत अब तक नहीं पड़ी है। एसई बीके जैन ने बताया कि गर्मी में हर साल बिजली की खपत बढ़ती है। इसके हिसाब से विभाग की भी पूरी तैयारी रहती है कि लोगों को परेशानी न हो। जिले में बिजली सप्लाई की स्थिति बेहतर है। कटौती जैसी कोई स्थिति नहीं है।
इस साल तो अप्रैल में यूनिट खपत का टूटा रिकार्ड
इधर इस साल जिस तरह से भीषण गर्मी पड़ रही है उससे कई सालों का रिकार्ड टूटा गया है। पिछले मार्च माह की तुलना में ही १ करोड़ यूनिट की खपत ज्यादा हुई है। यानी ८ प्रतिशत यूनिट की खपत बढ़ी है। मार्च २०२२ में जहां १२ करोड़ ७४ लाख यूनिट खपत हुई तो वहीं अप्रैल २०२२ में १३ करोड़ ७७ लाख यूनिट खपत हुई। इधर मई माह में जिस तरह से भीषण गर्मी पड़ रही है, इसको देखते हुए खपत १४ करोड़ यूनिट तक पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है।
खपत बढऩे से विभाग के सामने ये दिक्कतें आ रही
ट्रांसफार्मरों में लोड बढ़ रहा है जिससे ट्रांसफार्मर जल रहे हैं। अप्रैल माह में ५६ ट्रांसफार्मर जिले में जल चुके हैं। ट्रिपिंग की समस्या आ रही है। डीओ कटना, जंफर जलना आदि समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। विभाग भी इसको लेकर खुद को तैयार कर रहा है। सब स्टेशनों की संख्या बढ़ाई जा रही है। फीडरों की संख्या में भी इजाफा किया जा रहा है। फीडर बदलने से भी ज्यादा लोड वाले इलाके के ट्रांसफार्मर और सिस्टम को बचाया जा सकता है।
इन वजहों से बढ़ रही खपत
हर साल मकानों, व्यवसायिक दुकानें, कॉम्पलेक्स, बनती जा रही है। छोटे उद्योग भी लग रहे हैं। जिससे नए कनेक्शनों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसके अलावा एसी का उपयोग कई गुना अधिक होने लगा है। दूसरी सबसे प्रमुख वजह गर्मी है। कूलर, एसी दिनरात चलते हैं। इसके अलावा पंप कनेक्शनों की संख्या भी बढ़ते क्रम में है। कृषि पंप भी सरकार दे रही है। इसका सीधा असर यूनिट की खपत पर पड़ रहा है।
लाइन लॉस में आई कमी
बिजली की खपत बढऩे से विभाग लाइन लॉस को कम करने में कमर कस रहा है क्योंकि लाइन लास ज्यादा होने से काफी मात्रा में बिजली यूनिट बर्बाद चली जाती है। दिसंबर में जिले में ३४ प्रतिशत बिजली लॉस में जा रही थी जो अप्रैल माह में २९.४७ प्रतिशत में आ गई है। लाइनलास का मतलब जो बिजली विभाग उपयोग नहीं कर पाता। ट्रांसमिशन समेत बिजली चोरी के दौरान इतनी बिजली बेकार चली जाती है। बिलिंग नहीं होने से कंपनी को नुकसान होता है।
चार सालों में बिजली खपत पर एक नजर
वर्ष यूनिट खपत
२०१८-१९ ९ करोड़ २२ लाख
२०१९-२० ८ करोड़ ५६ लाख
२०२०-२१ १२ करोड़ १९ लाख
२०२१-२२ १२ करोड़ ७४ लाख
(आंकड़े हर साल मार्च माह की बिजली खपत की)

चार सालों में बिजली की खपत जिले में 9 करोड़ से बढ़कर 12 करोड़ यूनिट पहुंची
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