पावर हब के रूप में पहचान बना रहे जिले के युवाओं को इंजीनियरिंग की शिक्षा मुहैया कराने के लिए मुख्यमंत्री द्वारा आठ साल पहले घोषणा किया था। पर अब तक घोषणा पर अमल नहीं हो सका है। जिले में इंजीनियरिंग कालेज के लिए भवन निर्माण व अन्य संसाधन की व्यवस्था औद्योगिक इकाईयों के अनुदान राशि (सीएसआर मद) से किया जाना है। मगर न तो जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों व अफसरों ने ध्यान दिया। न ही औद्योगिक संस्थानों ने इस ओर पहल की।
१० साल सांसद रहने के बाद भी नहीं करा सकी स्थापना
जिले की सांसद कमला देवी पाटले १० साल से सांसद रही। घोषण के बावजूद भी अपने ही जिले में इंजीनियरिंग कालेज की स्थापना नहीं करा सकी। अगर कालेज खुल जाता तो जिले के छात्रों को अन्य जिले की ओर रूख करना नहीं पड़ता। इससे छात्रों खर्च के साथ-साथ समय की भी बचत होती। लेकिन इन सबसे जिले के सांसद को कोई मतलब ही नहीं है।
पूर्व विधायक ने विधानसभा में कई बार उठाया मुद्दा
पूर्व विधायक मोतीलाल देवंागन ने मुख्यमंत्री के इंजीनियरिंग कालेज के बाद इस मुद्दा को कई बार विधानसभा उठाया था। २०१६ में भी पूर्व विधायक देवांगन ने विधानसभा में उच्च शिक्षा मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय को घेरा था। जिस पर उन्होंने कहा था कि औद्योगिक संस्थान के सीएसआर मद से कालेज खोलना है। इस संबंध में औद्योगिक प्रतिष्ठानों से सहयोग नहीं मिल पा रहा है। जल्द ही कड़ाई से पालन करवाकर इंजीनियरिंग कालेज खोलने की बात कही गई थी।
-इंजीनियरिंग कालेज खोलने की घोषणा पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह द्वारा २०१२ में किया गया था। विधानसभा में कई बार इस मुद्दा को उठाया था। जवाब मिलता था कि जल्द ही जिले में इंजीनियरिंग कालेज खोला जाएगा। लेकिन आज तक घोषणा पर अमल नहीं हो सका है। इसके अलावा भी कई घोषणा किए जो अभी तक पूरा नहीं पाया है।
-मोतीलाल देवांगन, पूर्व विधायक, जांजगीर-चांपा