प्रतिबंध के बाद किसान जला रहे पराली, रोक नहीं पा रही टीम
जिले में गौठानों में पैरा जमा करने, जमीन की उपजाऊ क्षमता को बनाए रखने व प्रदूषण रोकने के लिए कलेक्टर ने पराली नहीं जलाने के स्पष्ट निर्देश दिए है। इसके लिए अफसरों को जिम्मेदारी दी गई है। लेकिन अफसर इस पर अमल नहीं कर रहे है। इसका असर यह हो रहा है कि जगह-जगह ग्रामीण पराली जला रहे है।
जांजगीर चंपा
Published: June 17, 2022 09:47:38 pm
जांजगीर-चांपा. जिले के लगभग सभी विकासखंडों में किसान धान कटाई के बाद बच रही पराली को खेत में ही जला रहे हैं। इससे गौठानों तक को जरूरत के मुताबिक पैरा नहीं मिला पा रहा है, जमीन भी खराब हो रही है व प्रदूषण हो रहा है। बड़ी बात यह है कि गांव स्तर तक सरकारी कर्मचारी, सचिव पटवारी व कृषि विभाग के अधिकारी हैं। इसके बाद भीर रोक नहीं लगाई जा पा रही है। जिले के नवागढ़ व पामगढ़ ब्लॉक के किसान सबसे ज्यादा पराली जला रहे है। जिला प्रशासन ने पर्यावरण प्रदूषण रोकने खेतों में धान की पराली जलाने पर प्रतिबंध लगाया गया। लगभग पखवाड़े भर पहले जिला स्तर के अफसरों बैठकों लेकर कलेक्टर जितेन्द्र शुक्ला ने इसे हर प्रतिबंध के बाद किसान जला रहे पराली, रोक नहीं पा रही टीम
हाल में अफसरों को जिम्मेदारी दी
है। इसके बावजूद पराली जलाने रोक नहीं पा रही है। शहर के लगे गांव मुनुंद, धनेली, भड़ेसर, मेहंदा, कुटरा सहित अन्य गांवों में खूब पराली जलाई जा रही है।
खेतों में पराली जलाने के नुकसान
फसल अवशेष, ठूंठ को खेतों में जलाने से भूमि में लाभदायक जीवाणु नष्ट हो जाते हैं। कार्बन डाइआक्साइड, नाइट्रस आक्साइड मिथेन गैस व अन्य जहरीली गैसों में वायु प्रदूषण, मृदा स्वास्थ्य बिगड़ता है। मनुष्यों में दमा, फेफेड़े की बीमारी और मानव स्वास्थ्य को नुकसान होता है। जिले में गौठानों में पैरा जमा करने, जमीन की उपजाऊ क्षमता को बनाए रखने व प्रदूषण रोकने के लिए कलेक्टर ने पराली नहीं जलाने के स्पष्ट निर्देश दिए है। इसके लिए अफसरों को जिम्मेदारी दी गई है। लेकिन अफसर इस पर अमल नहीं कर रहे है। इसका असर यह हो रहा है कि जगह-जगह ग्रामीण पराली जला रहे है।

प्रतिबंध के बाद किसान जला रहे पराली, रोक नहीं पा रही टीम
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