संघर्षों से जूझती यह कहानी जिला मुख्यालय जांजगीर से लगे ग्राम पेण्ड्री के दुर्गाप्रसाद यादव की है जो अपनी पत्नी श्याम बाई और दो बेटे संजय एवं सत्यम के साथ पेण्ड्री में रहता है। जीवन में दुखों का पहला पहाड़ तब टूटा जब उनके दोनो बच्चे नि:शक्त हुए। इसे ही नियति मानकर दुर्गा प्रसाद रोजी-मजदूरी करके किसी तरह परिवार को पाल रहा था कि जिंदगी ने दूसरा बड़ा झटका दिया, उसकी पत्नी श्यामबाई को जब बच्चेदानी और सीने में कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी होने का पता चला। इसके बाद तो उसकी जिंदगी ही बिखर गई। ढाई महीने से श्याम बाई का इलाज मेकाहारा अस्पताल रायपुर में चल रहा है। जहां हर 15 दिन में ही क्रीमोथैरेपी करानी पड़ रही है। इलाज तीन साल तक चलेगा। ऐसे में दुर्गा के सामने अपने दो नि:शक्त बच्चों के परिवरिश को लेकर भारी संघर्षां से जूझना पड़ रहा है।
प्रशासन से नहीं मिली कोई आर्थिक मदद
अपनी पीड़ा बताते हुए दुर्गा प्रसाद के आंसू निकल आए। उसने बताया कि प्रशासन से अब तक कोई आर्थिक मदद नहीं मिल पाई है। पिछले महीने 18 तारीख को कलेक्टर जनदर्शन में भी मैंने मदद की गुहार लगाई थी। सरकारी अस्पताल में इलाज ही बस हो पा रहा है। आने-जाने और परिवार चलाने के लिए आर्थिक मदद नहीं मिल रही। वहीं नि:शक्त होने के बाद भी दोनों बच्चों को विकलांगता पेंशन भी नहीं मिल रहा। दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनाकर दे दिया गया है।