scriptFormer CMHO resting in district hospital instead of district jail | जिला जेल के बजाय जिला अस्पताल में आराम फरमा रहा पूर्व सीएमएचओ | Patrika News

जिला जेल के बजाय जिला अस्पताल में आराम फरमा रहा पूर्व सीएमएचओ

locationजांजगीर चंपाPublished: Feb 23, 2023 10:20:00 pm

Submitted by:

Ashish Tiwari

आय से अधिक संपत्ति मामले में जिले के पूर्व सीएमएचओ को १० साल कारावास की सजा सुनाई गई है। सजा के बाद अब पूर्व सीएमएचओ जेल की जगह जिला अस्पताल में आराम फरमा रहा है। वहां उसको घर जैसी सुविधा मिल रही है।

जिला जेल के बजाय जिला अस्पताल में आराम फरमा रहा पूर्व सीएमएचओ
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जिला अस्पताल बंदियों व कैदियों के आराम का जगह बन गया है। इसके लिए मात्र जेल में मौजूद डॉक्टर को चढ़ावा देना पड़ता है, इसके बाद जिला अस्पताल में आराम फरमा सकते है।
ज्ञात हो कि आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. रामलाल धृतलहरे को विशेष न्यायाधीश (एंटी करप्शन ब्यूरो) सुरेश जून ने 7 साल सश्रम कारावास और 10 लाख जुर्माने की सजा सुनाई है। साथ ही उन्होंने अवैध रुप से कमाई गई 1 करोड़ 4 लाख 61 हजार 335 रुपए की संपत्ति को जब्त करने का भी आदेश दिया है। डॉ. आरएल धृतलहरे साल 2010 से 2016 तक जांजगीर-चांपा जिले के सीएमएचओ थे। उस दौरान वर्ष 2011-12 में एसीबी ने उनके घर और कार्यालय में छापा मारा, जिसमें बड़े पैमाने में अवैध संपत्ति मिली। यह उनकी वैध स्रोतों से प्राप्त आय की तुलना में 1 करोड़ 4 लाख 61 हजार रुपए अधिक थी। संपत्ति उनकी पत्नी व बेटे के नाम पर खरीदी गई थी। गड़बड़ी पाए जाने पर एसीबी ने डॉ. आरएल धृतलहरे के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध दर्ज करके न्यायालय में पेश किया। मामले में सुनवाई के दौरान मिले साक्ष्यों के आधार पर जज ने तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. रामलाल धृतलहरे को सात साल जेल और 10 लाख रुपए जुर्माना किया। उन्होंने वैध आय से 1 करोड़ 04 लाख 61 हजार 355 रुपए अधिक संपत्ति को जब्त करने का आदेश दिया। इसके बाद बिलासपुर स्थित जेल में भेजा गया। जहां से पेरोल में कुछ दिन के छोड़ा गया। इसके बाद पुन: वापस जेल भेज दिया गया। जेल पहुंचते ही तत्कालीन सीएमएचओ जिला जेल से जिला अस्पताल पहुंच गए है। जहां आराम फरमा रहे है। वहां उसको घर जैसी आराम से मिल रहा है। यहां पर आने जाने में किसी को कोई रोक टोक नहीं है। ज्ञात हो कि जिला अस्पताल बंदियों व कैदियों के आराम फरमाने का उपयुक्त जगह बनकर रहा गया। यहां जिला जेल में चढ़ावा चढ़ाना पड़ता है। सूत्रों की माने तो वहां स्टाफ द्वारा ही खुलेआम कहा जाता है कि पैसा दो और आराम से जिला अस्पताल बीमारी का बहाना बनाकर आराम करो। तत्कालीन सीएमएचओ की तबियत होने की बात कही जा रही है, लेकिन पत्रिका की टीम पहुंची तो वहां तबियत खराब जैसी स्थिति नजर ही नहीं आई। आराम से बैठकर भोजन कर रहे थे।
सेंट्रल जेल के बजाय जिला जेल में बंद हैं कैदी
तत्कालीन सीएमएचओ को सजा सुनाने के सेंट्रल जेल बिलासपुर भेजा गया था। पेराल में छूटने के बाद पुन: जेल पहुंचने पर सेंट्रल जेल की जगह जिला शिफ्ट कर दिया गया। जबकि जिला जेल में ३ साल से अधिक के सजायाफ्ता कैदी को रखने का नियम नहीं है, बावजूद नियम को दरकिनार करते हुए बिलासपुर जेल से जिला जेल में शिफ्ट कर दिया गया हैं।
दो कैदियों के लिए मात्र एक पुलिस बल तैनात
वर्तमान में जिला अस्पताल के पेईंग वार्ड में एक बंदी व एक कैदी को भेजा गया है। इनकी सुरक्षा के लिए शिफ्ट वाइज तीन पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई हैं, लेकिन दोपहर में जब पत्रिका की टीम पहुंची तो मात्र एक पुलिसकर्मी तैनात थे। बाकी अभी कहीं बाहर होने की बात कही गई। हालांकि बंदी को हथकड़ी लगाया गया था। बावजूद जिला अस्पताल में बाथरूम जाने के बहाने कई बार बंदी होने की घटना सामने आ गई है। ऐसे में कम से कम तीन पुलिसकर्मी तैनात रहना आवश्यक है।
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