तीन साल तक फुर्सत से की पुलिसिंग, २५ फीसदी पुलिसकर्मियों की निकली तोंद
दिसंबर २०१८ में तत्कालीन एसपी नीतू कमल के जाने के बाद अमूमन ऐसे पुलिस अधीक्षकों की जिले में पोस्टिंग हुई जो पुलिसकर्मियों के स्वास्थ्य पर गौर ही नहीं किया। अलबत्ता २५ फीसदी पुलिसकर्मियों के तोंद निकल आया। इससे साफ जाहिर होता है कि इन पुलिसकर्मियों ने बेहद चैन से ड्यूटी की। जिसके चलते उनका तोंद बाहर निकल आया।
जांजगीर चंपा
Updated: June 12, 2022 09:45:28 pm
जांजगीर-चांपा। इनका खुलासा तब हुआ जब मौजूदा एसपी विजय अग्रवाल ने आमद दी और परेड के दौरान सबका बारीकी से परीक्षण किया। अब ऐसे पुलिसकर्मियों की खैर नहीं रहेगी। इनकी ऐसी परेड ली जाएगी ताकि इनका तोंद किसी भी सूरत में अंदर जाए।
एक्सपर्ट की माने तो पुलिस वालों की तोंद तब निकलती है जब वे बड़े चैन से ड्यूटी करते हैं। जो हार्डवर्क करते हैं और उन्हें चिंता रहती है कि उसके क्षेत्र में क्या क्या गलत काम हो रहा है उसकी तोंद किसी भी सूरत में बाहर नहीं निकलती। इतना ही नहीं जिन्हें अपने स्वास्थ्य की चिंता रहती है और ने मानक के अनुरूप अपने स्वास्थ्य को मेटेंन कर रखते हैं उनकी तोंद कभी नहीं निकलती। माना जा रहा है कि बीते साढ़े तीन सालों में ढाई साल तो एसपी पारूल माथुर के समय पुलिस वालों ने चैन से ड्यूटी की। जिसके चलते उनका तोंद बाहर निकल आया। इसके बाद डेढ़ माह के डॉ. आरएन दास व चार-चार माह के लिए प्रशांत ठाकुर, डॉ. अभिषेक पल्लव ने जिले की कमान सम्हाली। इस दौरान भी उन्हें हार्ड वर्क नहीं करना पड़ा। अब प्रदेश के तेज तर्रार पुलिस अधिकारी के रूप में तैनात एसपी विजय अग्रवाल ने जब से जिले की कमान सम्हाला तबसे वे जवानों से ऐसे काम ले रहे हैं कि केवल ५० दिनों में ही काफी पुलिसकर्मियों की तोंद ऐसे की अंदर हो गया। क्योंकि उन्होंने आते ही हाड़तोड़ वर्क लेना शुरू कर दिया।
अब ऐसे दिख रहा बदलाव
बीते साढ़े तीन सालों से चौक चौराहों में ट्रैफिक के जवान छाएं में दुबके हुए अपनी ड्यूटी बजा लेते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है। प्रत्येक चौक चौराहों में अब ट्रैफिक के जवानों को चिलचिलाती धूम में ही बीच चौक में देखे जा रहे हैं। उनके सामने किसी तरह की बहानेबाजी नहीं चल रही है। वहीं थानों की अधिकतर पुलिसकर्मी रात्रि गश्त में भी कोताही बरतते थे। रात में चैन की नींद सोते थे। जिसके चलते उनकी तोंद उभर आई। अब इनसे नियमित रात्रि गश्त कराई जा रही है। पुलिस की जैसी ड्यूटी होनी चाहिए वैसे ली जा रही है। ताकि लोगों को एहसास हो कि पुलिस सो नहीं रही बल्कि जाग रही है। इसी तरह पेंडेंसी की निकाल के लिए भी प्रत्येक थानों की पुलिस टीम को दीगर प्रांतों में दौड़ाया जा रहा है। अलबत्ता यह प्रमाण सामने आया कि ३० दिनों में ही तकरीबन ४०० पेंडिंग अपराधों की निकाल हो गई। जो बीते तीन सालों से पेंडिंग थे।
बीते साढ़े तीन सालों से जिले में १७०० से अधिक अपराध पेंडिंग थे। इससे साफ जाहिर होता है कि मैदानी स्तर के कर्मचारियों ने काम किया ही नहीं और फुर्सत से ड्यूटी करते हुए अपनी तोंद निकाल लिए। इसका खुलासा तब हुआ जब अधिकतर पुलिसकर्मी परेड के दौरान हांफ जा रहे हैं। २५ फीसदी पुलिसकर्मी दौड़ ही नहीं लगा पा रहे हैं। अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन्होंने बीते साढ़े तीन सालों से काम ही नहीं किए। अब ऐसे पुलिसकर्मियों से हार्डवर्क लिया जा रहा है तो उन्हें तकलीफ हो रही है। अब इनका तोंद अंदर करने के उपाय किए जा रहे हैं।
-विजय अग्रवाल, एसपी

तीन साल तक फुर्सत से की पुलिसिंग, २५ फीसदी पुलिसकर्मियों की निकली तोंद
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