गोधना शिक्षक भर्ती मामला: न अब तक भर्ती निरस्त की और न ही दागियों के खिलाफ कार्रवाई
शासकीय अनुदान प्राप्त सरस्वती उमावि गोधना में शासन से रोक होने के बाद भी गुपचुप तरीके से की गई भर्ती को निरस्त की मांग समिति के पदाधिकारी कर रहे हैं। बावजूद जिला प्रशासन अब तक इस मामले में खामोश हैं। जबकि तत्कालीन डीईओ डीके कौशिक ने इस मामले में विभागीय जांचकराकर दर्जनों खामियां उजागर की थी।
जांजगीर चंपा
Published: April 25, 2022 09:48:01 pm
बावजूद इस दिशा में कारगर कदम नहीं उठाया जा रहा है। जिससे ग्रामीणों में रोष व्याप्त है। गौरतलब है कि गोधना के अनुदान प्राप्त सरस्वती उमावि में तत्कालीन डीईओ केएस तोमर ने अपने बेटे सहित शिक्षा विभाग के कई कर्मचारियों के रिश्तेदारों को आधा दर्जन से अधिक पदों में गुपचुप भर्ती कर शिक्षक बना दिया था। मामला काफी तूल पकड़ा था। हद तो तब हो गई थी जब डीईओ ने इन शिक्षकों की ज्वाइनिंग कराकर उनका वेतन भी जारी कर दिया था।
आपको बता दें कि जब पूरा देश कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहा था ठीक उसी समय आपदा को अवसर बनाते हुए तत्कालीन डीईओ केएस तोमर ने शासकीय अनुदान प्राप्त सरस्वती उच्चतर माध्यमिक शाला गोधना में अपने बेटे मनोज प्रताप सिंह तोमर सहित ८ शिक्षकों की भर्ती कर ली थी। मामला जब मीडिया में सुर्खियों में आया तब मौजूदा डीईओ डीके कौशिक ने जांच टीम गठित कर दी। जिसकी रिपोर्ट दो माह बाद ३० नवंबर २०२१ को सामने आया। जिसमें आठ बिंदुओं में जांच रिपोर्ट सामने आई है। रिपोर्ट में डीईओ ने कहा कि जांच में किसी भी मानकों का पालन नहीं किया गया।
दागियों को बनाया था जांच अधिकारी
भर्ती में फर्जीवाड़े की शिकायत हुई तो मौजूदा डीईओ ने जांच टीम गठित की थी। उसमें ऐसे दागी अफसरों का नाम था जो पहले भी कई फर्जीवाड़े मामले में दागी थे। कई लोगों की शिकायत अब भी थाने में लंबित है। इसकी भनक लगने के बाद मामला मीडिया में आया तो डीईओ कौशिक ने जांच टीम ही बदल दिया था। फिर वर्तमान जांच टीम ने किसी तरह हिम्मत जुटाई और २ माह में जांच पूरी की।
ेसरासर झूठ बोल रहे थे प्राचार्य
इस संबंध में जब प्राचार्य प्रदीप तिवारी से सवाल किया गया था तो उन्होंने कहा था कि शिक्षकों की भर्ती में अल्प वेतनमान की तरह हजार से १५०० रुपए देने की बात कही थी। लेकिन जब जांच रिपोर्ट सामने आई तो उसमें प्रत्येक शिक्षकों को २०-२० हजार रुपए वेतन के रूप में भुगतान किया गया है। तीन माह में ८ शिक्षकों का ४ लाख ६८ हजार ९६६ रुपए का भुगतान हुआ है।
अब आगे क्या?
इस संबंध में डीईओ ने कहा कि भर्ती को पूरी तरह से निरस्त करने के लिए राज्य शासन ने मार्गदर्शन मांगा गया है। वहीं जांच रिपोर्ट की कॉपी कलेक्टर सहित अन्य विभागीय कार्यालयों में भेजा जा रहा है। इसके अलावा नियुक्त शिक्षकों के वेतन पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। इसके बाद भी न तो भर्ती प्रक्रिया को निरस्त किया गया और न ही आगे की कार्रवाई की गई। अलबत्ता पूरा प्रोसेस ठप है।
इस तरह मिली खामियां
० शासकीय अनुदान स्कूलों में भर्ती पर रोक के बाद भी की गई भर्ती
० राज्य शासन से नहीं ली गई किसी तरह की अनुमति
० किसी भी राष्ट्रीय स्तर के अखबार में नहीं निकाले थे वेकैंसी
० प्रत्येक पदों में पद के विरूद्ध जाकर की गई भर्ती
० भर्ती में आरक्षण नियमों का पालन नहीं किया गया
० इंटरव्यू में मनमाना अंक देकर किया उपकृत
० भर्ती में योज्ञता के नियम भी दरकिनार
० पद रिक्त नहीं बावजूद मनमानी तरीके से की गई भर्ती
इन चहेते बेटों को बनाया था शिक्षक
० डीईओ केएस तोमर का बेटा मनोज सिंह तोमर
० पीके तिवारी प्राचार्य गोधना पुत्र श्रीति तिवारी
० केके सिंह अध्यक्ष समिति का भतीजा राघवेंद्र सिंह
० आनंद शर्मा शिक्षक समिति सदस्य का भाई अमित शर्मा
० रामकृष्ण यादव डीईओ लिपिक का बेटा प्रकाश यादव
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