कृषि प्रधान जिले में रबी फसल का रकबा घटने से किसानों के पास
काम नहीं है, जिससे पलायन को एक बार फिर बढ़ावा मिलेगा। इस वर्ष ५३ हजार हेक्टेयर में दलहन व तिलहन फसल लगाने के लक्ष्य के विरूद्ध केवल २५ हजार हेक्टेयर में ही फसल लगाया गया है।
धान फसल को लेकर बनी संदेहास्पद स्थिति के बाद अधिकतर किसानों ने फसल ही नहीं लगाया है। शासन द्वारा रबी फसल में ग्रीष्मकालीन धान की फसल लेने वाले किसानों पर कार्रवाई करने का निर्देश जारी किया गया था, हालांकि शासन द्वारा आदेश को शिथिल करते हुए पर्याप्त जलस्रोत वाले स्थानों में रबी फसल लगाए जाने की अनुमति दी गई।
किसानों को दलहन व तिहलन की खेती के लिए प्रोत्साहित करने का निर्देश दिया गया है। कृषि विभाग द्वारा जिले में ढाई लाख हेक्टेयर भूमि में से मात्र 53 हजार हेक्टेयर भूमि में केवल दलहन व तिलहन लगाए जाने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन व्यापक प्रचार प्रसार के अभाव में इनमें से आधे किसानों ने ही दलहन व तिहलन की खेती की है। क्षेत्र में कम बारिश होने के चलते भूजल स्तर गिर रहा है।
जिसे लेकर राज्य शासन द्वारा सभी कलेक्टरों को पत्र जारी कर जल स्रोतों को बचाने नाला बंधान, डबरी निर्माण, तालाब निर्माण जैसे कार्य पंचायतों द्वारा कराए जाने के निर्देश दिए गए। वहीं सूखा प्रभावित क्षेत्रों में नलकूप के माध्यम से ग्रीष्मकालीन धान उत्पादन लेने पर छग पेयजल संरक्षण अधिनियम 1986 के निहित प्रावधानों के तहत प्रदत्त शक्तियों के अंतर्गत प्रतिबंधात्मक कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए थे। हालांकि माह भर पूर्व सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा आदेश जारी कर आदेश को शिथिल करते हुए पर्याप्त जलस्रोत क्षेत्र के किसानों को ग्रीष्म कालीन धान फसल लगाने की अनुमति दी गई है,
लेकिन विभाग के पर्याप्त प्रचार-प्रसार के अभाव में किसानों को सही जानकारी नहीं मिल पा रही है। इससे किसान धान व अन्य फसल लगाने रूचि नहीं दिखा रहे हैं। गांवों में अब किसान धान बेचने के बाद खाली हो गए हैं। ज्यादातर किसान पलायन कर अन्य राज्यों में
रोजगार की तलाश करेंगे।