खरीदने वाले ने भी वहां घर और काम्प्लेक्स बना डाला है। नैला से सरखों तक सड़क किनारे शासकीय भूमि में धड़ल्ले से बेजा कब्जा किया गया है। इस मामले में सरपंच की भूमिका संदेहास्पद दिखाई देती है।
गांव के सरपंच को मामले की पूरी जानकारी होने के बाद भी उसके द्वारा बेजा कब्जा करने से लोगों को मना नहीं किया जा रहा है। ऐसा इसलिए कि आने वाले ग्राम पंचायत चुनाव में उसे लोगों की बुराई का खामियाजा न उठाना पड़े। हालांकि सरपंच का कहना है कि उसके द्वारा लोगों को समझाइश दी जाती है, लेकिन वह बेजा कब्जा करने से बाज नहीं आ रहे हैं।
Read more : ये तो हद्द हो गई- मुंशी के भरोसे करोड़ों की दिव्यांग स्कूल बिल्डिंग का काम अफसरों को नहीं है मॉनिटरिंग की फुर्सत नाम न छापने क शर्त पर एक ग्रामीण ने बताया कि वह शासकीय भूमि को खरीदकर दुकान बनाया है। ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क किनारे के लिए छोड़ी गई सरकारी जमीन को लोगों ने बेजाकब्जा कर लिया है। इस कारण से गांवों में मवेशी चराने की जगह नहीं बची है। कुछ साल पहले तक गांव के लोग इस जमीन पर मवेशी चराते थे।
अब चारागाह की जमीन न बचने से ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों की मांग है कि कलेक्टर को इसे लेकर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, तभी कुछ हो पाएगा।
-ग्रामीणों को बार-बार समझाइश दी जा रही है। उसके बाद भी लोग कब्जा करने से बाज नहीं आ रहे हंै। कलेक्टर जब तक सख्त संज्ञान नहीं लेते, बेजा कब्जा नहीं हटने वाला है।
-संजय राठौर, सरपंच, सरखों
-ग्रामीणों को बार-बार समझाइश दी जा रही है। उसके बाद भी लोग कब्जा करने से बाज नहीं आ रहे हंै। कलेक्टर जब तक सख्त संज्ञान नहीं लेते, बेजा कब्जा नहीं हटने वाला है।
-संजय राठौर, सरपंच, सरखों