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स्वास्थ्यकर्मी संघ के सदस्यों ने बताया कि स्वास्थ्य अधिकारियों ने शुरू से अंत तक केवल कोरोना के पॉजिटिव आंकड़ों को छिपाने पर फोकस किया है। ताकि राज्य जिले का आंकड़ा कम दिखाई दे। स्वास्थ्य कर्मचारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हम पर मौत के आंकड़े छिपाने का भी दबाव था। इसके पीछे बड़ी वजह यह थी कि अफसरों पर राज्य स्तर से दबाव था और कई बार उनके नाम से नोटिस भी जारी हो चुका है। बीते दिवस यह बातें भी सामने आई थी कि जब स्टेट से मौत के आंकड़ों के खुलासे हुए तब एक ही दिन में 66 लोगों की मौत की लिस्ट जारी हो गई।यह भी पढ़ें: कोरोना के ट्रेंड में नया बदलाव, 24 घंटे में मिले इतने पॉजिटिव, कहीं वायरस की री-एंट्री तो नहीं
डेटा में भारी हेराफेरी
कोविड रिपोर्ट के डाटा तैयार करने में ब्लॉक डाटा मैनेजर (बीडीएम) के ऊपर दबाव बनाया जाता था। जिसके चलते वह फर्जी रिपोर्ट भर देता था। यदि रिकॉर्ड चेककर देखें तो किसी का नाम फर्जी निकलेगा या फिर किसी का मोबाइल नंबर व पता।
आरटीआई से सामने आ जाएगी असलियत
विभाग से निकाले गए कर्मचारियों ने बताया कि यदि सूचना के अधिकार के तहत यह जानकारी मांगी जाए कि अब तक कुल कितनी एंटीजन किट आई और कितने की जांच हुई, आरटीपीसीआर जांच कितनी की गई और कितनी रिपोर्ट इनवैलिड थी। मामले की जांच में भी खुलासे हो सकते हैं।
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सीएमएचओ डॉ. एसआर बंजारे ने कहा, नौकरी जाने के बाद निकाले गए कर्मचारी कुछ भी बोलेंगे। उनका आरोप बेबुनियाद व पूरी तरह से निराधार है।