scriptपंतोरा में लट्ठमार पंचमी की परंपरा मार खाने दूर-दूर से पहुंचते हैं लोग | Holi Festival CG 2019 : Laththamar Holi | Patrika News

पंतोरा में लट्ठमार पंचमी की परंपरा मार खाने दूर-दूर से पहुंचते हैं लोग

locationजांजगीर चंपाPublished: Mar 26, 2019 12:00:10 pm

Submitted by:

Rajkumar Shah

अनूठा पर्व: राधा की नगरी बरसाना की तरह डेढ़ सौ साल पुरानी परंपरा का हो रहा पालन

अनूठा पर्व: राधा की नगरी बरसाना की तरह डेढ़ सौ साल पुरानी परंपरा का हो रहा पालन

पंतोरा में लट्ठमार पंचमी की परंपरा मार खाने दूर-दूर से पहुंचते हैं लोग

जांजगीर-चांपा. यूं तो रंग पंचमी क्षेत्र में पूरे उत्साह के साथ मनाई जाती है, लेकिन पंतोरा में मनाई जाने वाली ल_मार पंचमी का अपना अलग ही अंदाज है। राधा की नगरी बरसाना में आज के दिन ल_ मारने की परंपरा है, कुछ इसी तरह इस दिन गांव की युवतियां बांस की पतली छड़ी से लोगों की पिटाई करते हैं। ल_मार पंचमी में मार खाने के लिए दूर-दूर से ग्रामीण पहुंचते हैं।
इस परंपरा के बारे में गांव के बुजुर्ग रामलाल देवांगन एवं चमरा लाल ने बताया कि आज से तकरीबन डेढ़ से दो सौ वर्ष से पूर्व इस गांव को बसाने वाले मालगुजार देवान ठाकुर द्वारा इस छड़ीमार पंचमी की शुरूआत की गई। उन्होंने बताया कि उस समय गांव में महामारी, हैजा का प्रकोप होते रहता था जिससे ग्रामीणों की मौत हो जाया करती थी। उनकी बताई किवदंती के अनुसार एक बार मालगुजार देवान ठाकुर को मां भवानी ने स्वप्र में बताया कि पंचमी के दिन कुंवारी कन्याओं द्वारा मां की पूजा कर छड़ी द्वारा युवकों को मारने से गांव में इस तरह की बीमारी से बचा जा सकता है। तब से लेकर आज तक ल_मार पंचमी के दिन लड़कियों से मार खाने को लोग अच्छा मानते हंै। बुजुर्ग द्वय ने बताया कि मां भवानी पर ग्रामीणों की इतनी अटूट आस्था है कि इसके बाद आज तक गांव में किसी को इस तरह की बीमारी का सामना करना नहीं पड़ा। इस परंपरा के अनुसार रंग पंचमी की पूर्व संध्या पर गांव से १० किमी दूर ग्राम कंठी स्थित मां मड़वारानी मंदिर में पूजा की जाती है। मंदिर के आसपास काफी संख्या में बांस के पेड़ हंै जिसे ग्रामीण डंगाही कहते हैं। डंगाही तोडक़र मड़वारानी मंदिर में लाकर उसमें रंग गुलाल लगाकर उसकी पूजा की जाती है। यहां से बैगा सुबह पंतोरा पहुंचकर मां मड़वारानी दाई के मंदिर में डंगाही व देवी मां की पूजा करते हैं।

नौ कुंआरी कन्या मारती है छड़ी
साथ ही नौ कुंआरी कन्याओं की मां भवानी के मंदिर में गुलाल लगाकर पूजा की जाती है, फिर इन कन्याओं द्वारा छड़ी से सर्व प्रथम मां भवानी को भी पांच- पांच बार मारा जाता है। इसके बाद गांव के अन्य देवी देवताओं को भी छड़ी मारी जाती है। फिर लड़कियां डंगाही लेकर गांव में निकल पड़ती हैं, और लोगों को मारना शुरू करती हैं। उनके पीछे ढोल नगाड़े बजाते, रंग खेलते बड़ी संख्या में ग्रामीण होते हैंं।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो