अकलतरा, जैजैपुर, नवागढ़, सक्ती, मालखरौदा व बम्हनीडीह के भी सैकड़ों किसानों ने की फर्जी तौर पर करोड़ों की धान की बिक्री
जांजगीर चंपाPublished: Oct 16, 2022 07:57:01 pm
जिले के नवागढ़ ब्लाक के तुलसी किरीत के अलावा अकलतरा, जैजैपुर, नवागढ़, सक्ती, मालखरौदा व बम्हनीडीह तहसील क्षेत्र दर्जनों गांवों के किसानों ने फर्जीवाड़ा कर समितियों में करोड़ों रुपए के धान की बिक्री की है।


अकलतरा, जैजैपुर, नवागढ़, सक्ती, मालखरौदा व बम्हनीडीह के भी सैकड़ों किसानों ने की फर्जी तौर पर करोड़ों की धान की बिक्री
जांजगीर-चांपा। वहीं जिला प्रशासन ऐसे समिति प्रभारियों को केवल स्पष्टीकरण मांगकर कार्रवाई की कोरम पूर्ती कर रही है। जबकि कायदे के मुताबिक जिन पांच समिति प्रभारी व कंप्यूटर आपरेटरों के खिलाफ धारा ४२० के तहत कार्रवाई हुई है उसी तरह इनके उपर भी कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। सूत्रों का यह भी मानना है कि जिन्हें आठ समिति प्रभारियों व कंप्यूटर आपरेटरों को कारण बताओ सूचना जारी किया गया है उनसे १३ अक्टूबर तक स्पष्टीकरण मांगा है लेकिन अब इन्हें बचाने की भी जुगत चल रही है। क्योंकि कई समिति प्रभारियों ने पुलिसिया कार्रवाई से बचने के लिए मुंहमांगी रकम देने के लिए तैयार हैं। ताकि उनके खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई न हो।
पत्रिका को जिस तरह फर्जीवाड़े की फाइल मिली है उसमें न केवल नवागढ़ ब्लाक के किसानों द्वारा फर्जीवाड़े की शिकायत मिली है बल्कि अकलतरा, जैजैपुर, नवागढ़, सक्ती, मालखरौदा व बम्हनीडीह के भी सैकड़ों किसानों ने की फर्जी तौर पर करोड़ों की धान की बिक्री की है। इसकी पूरी फाइल मौजूद है। नवागढ़ समिति के बरगांव के सौ से अधिक किसानों ने फर्जी तौर पर समितियों में धान बिक्री की है। ठीक इसी तरह अकलतरा ब्लाक के पकरिया, कल्याणपुर, लटिया, अमोरा सहित आसापास के सैकड़ों किसानों ने फर्जी तौर पर धान की बिक्री की है। इसी तरह जैजैपुर ब्लाक के ओड़ेकेरा व बम्हनीडीह ब्लाक के पोड़ीशंकर व कपिस्दा में भी सैकड़ों किसानों ने लाखों रुपए का धान बिक्री समितियों में किया है। वहीं सक्ती ब्लाक के कनेटी, सरहर के अलावा मालखरौदा के नवापारा के सैकड़ों किसानों ने समर्थन मूल्य में धान बिक्री कर करोड़ों रुपए की आय अर्जित की है।
जैजैपुर ब्लाक के दर्राभाठा के किसान भी पीछे नहीं
जैजैपुर ब्लाक के दर्राभांठा समिति के छीतापड़रिया सहित अन्य गांव के किसानों ने भी समितियों में फर्जी पंजीयन कराकर लाखों के धान की बिक्री की है। इतना ही नहीं इन किसानों ने राजीव गांधी किसान न्याय योजना की भी राशि निकालकर शासन को लाखों का चूना लगाया है। इन किसानों ने अन्य किसानों के नाम दर्शाकर समितियों में धान की बिक्री कर दी है।
बड़ा सवाल, क्या यही किसान फिर बेचेंगे समितियों में धान
शासन एक नवंबर से फिर से धान खरीदी की शुरुआत करने जा रही है। अब यहां पर बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि क्या यही किसान अब फिर से समितियों में धान बिक्री कर मालामाल होंगे। क्या किसानों के खिलाफ किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं होगी। ऐसे में सरकार को फिर से करोड़ों रुपए का चूना लगेगा। क्योंकि बीते वित्तीय वर्ष में ही शासन को तकरीबन साढ़े पांच करोड़ रुपए का चूना लग चुका है। एक ओर सरकार कर्ज लेकर किसानों का धान खरीद रही है तो वहीं दूसरी ओर समिति प्रभारी व कंप्यूटर आपरेटर फर्जी पंजीयन कर सरकार को चूना लगा रहे हैं।