बिलासपुर डिवीजन को राजस्व चाहिए तो पार्किंग ठेकेदार को कमाई। इस चक्कर में नैला रेलवे स्टेशन के बाहर मौजूद पार्किंग व्यवस्था भगवान भरोसे संचालित हो रही है। रेलवे द्वारा वाहनों की पार्किंग को लेकर जगह की उपलब्धता तो कर दी गई है, पर उसके रख-रखाव को लेकर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। बात चाहे पार्किंग स्टैंड के आधे अधूरे शेड निर्माण की हो या फिर किराया सूची के सार्वजनिक करने की। इन दोनों ही मामलों में नैला रेलवे स्टेशन का पार्किंग स्थल काफी पीछे है।
पुलिस का सायरन सुन व काफिले को गलियों में आता देख सहम गए लोग, इसलिए किया जा रहा फ्लैगमार्च यात्रियों को टेंडर के बढ़ी हुई हुए व नियमों का हवाला देते हुए एक मोटी रकम तो जरूर वसूली जाती है। पर सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नसीब नहीं है। पूरे दिन वाहन धूप, धूल में पड़े रहते हैं। सबसे खास बात तो यह है कि वाहनों को कितना देर रखने पर कितना किराया वसूला जाएगा। इससे संबंधित किराया सूची को भी सार्वजनिक नहीं किया गया है। जिसकी वजह से बाइक चालकों के बीच भम्र की स्थिति बनी रहती है। वहीं स्टैंड के स्टॉफ द्वारा जो राशि की मांग की जाती है। उन्हें उक्त राशि की भरपाई करनी होती है।
रसीद पर्ची के नाम पर खानापूर्ति
रेलवे के बाइक स्टैंड द्वारा ग्राहकों को जारी की जाने वाली रसीद पर्ची के नाम पर भी खानापूर्ति की जा रह है। यहां छपाई वाले रसीद की बजाए सादे कागज पर मुहर मार कर रसीद का औपचारिकता पूरी करने की पहल की जा रही है। जिसमें ना तो संचालक का वैट नंबर का उल्लेख है और ना ही जीएसटी नंबर का। स्टैंड के जिम्मेदारी व्यक्ति का संपर्क नंबर भी उसमें दर्शाया नहीं गया है। ऐसे में, पार्किंग की व्यवस्था पर सवाल उठना स्वभाविक है।